Friday, November 25, 2011

मूक प्रश्न विचार

प्रश्न कुंडली कुम्भ लगन की है जातक की नाम राशि या जन्म लगन कुम्भ होनी चाहिये,लगनेश शनि नवम भाव मे है इसलिये जातक का प्रश्न लम्बी यात्रा धार्मिक कथन जो शनि से सम्बन्धित हो न्याय और सन्तान के प्रति तरक्की से होनी चाहिये.मूक प्रश्न मे देखा जाता है कि लगनेश बली है या चन्द्रमा,इस कुंडली मे लगनेश नवे भाव मे है और चन्द्रमा राहु के साथ होने से कमजोर है,जो भी विचार किया जायेगा वह शनि से ही किया जायेगा.वैसे भी लगन कुम्भ वायु तत्व वाली राशि है इस कारण से जातक की सोच के लिये ही बात की जा सकती है वह कार्य रूप से सम्बन्धित कारणो से अपने को दूर रखने वाला होता है.कुम्भ राशि की दिशा पश्चिम दिशा की मानी जाती है जातक का मूल निवास पश्चिम दिशा का होना चाहिये और जातक विवाह के बाद पत्नी के घर पर रहना चाहिये.कुम्भ राशि का शीर्षोदय होने के कारण जातक की बुद्धि बहुत ही उत्तम होनी चाहिये,जातक का निवास जहां है वहां कुम्भ राशि के शूद्रवर्ण की होने से इसी प्रकार के लोगों का निवास होना चाहिये,कुम्भ राशि का अपद होने के कारण जातक एक स्थान पर बैठ कर बहुत से काम कर सकता है लेकिन चल फ़िर कर काम करने मे जातक को परेशानी अनुभव होनी चाहिये जिस स्थान पर जातक का निवास होना चाहिये वह चितकबरा रंगो से होना चाहिये यानी मकान या रहने वाले स्थान का रंग कई रंगो का होना चाहिये,इसे बिना पुता हुआ या निर्माण कार्यों से युति होने के कारण दाग धब्बे वाला स्थान मानना चाहिये कुम्भ राशि संचार की राशि होने से जातक के द्वारा जो भी बात करनी चाहिये उसके लिये संचार के साधनो का प्रयोग करना जरूरी मानना चाहिये। जिस समय जातक के द्वारा प्रश्न करना चाहिये उस समय उसे पानी के स्थान या रसोई अथवा किसी प्रकार के भोजन करने के समय से ही प्रश्न करना चाहिये। शनि से आयु के प्रति योगाभ्यास शयन आलस्य प्रमाद झगडे कानूनी विवाद ऐश्वर्य दम्भ प्रसिद्धि नौकरी और मोक्ष का विचार किया जाता है जब भी कुम्भ लगन के लगनेश शनि नवे भाव मे होते है तो चिन्ता कार्य मुद्रा मुकद्दमा या धन की हानि के विषय मे प्रश्न होता है.सूर्य जब लगनेश से दूसरे भाव मे होता है तो व्यक्ति को धन सम्मान या परिवार के बारे मे चिन्ता होती है,इस लगन से दसवे भाव मे विराजमान चन्द्रमा जिस ग्रह के साथ होता है उसके लिये यात्रा के कारणो को प्रदर्शित करता है जैसे इस कुंडली मे चन्द्रमा भी माता या किसी स्त्री का कारक बन जाता है,बुध वक्री पुत्र का कारक बन जाता है,सूर्य जातक की पत्नी का कारक माना जाता है,जब अदालती प्रश्न सामने होते है तो यह बुध बयान लेने या बयानो को देने के लिये माना जा सकता है.लेकिन मुकद्दमा से सम्बन्धित प्रश्न को देखने के लिये नवे भाव से लेकर दूसरे भाव के ग्रह वादी की तरफ़ और तीसरे भाव से लेकर अष्टम भाव तक के ग्रह प्रतिवादी के लिये अपनी युति को देते है.इस युति मे जातक के नवे भाव मे शनि दसवे भाव मे राहु बुध वक्री सूर्य चन्द्र शुक्र है तथा प्रतिवादी की तरफ़ गुरु वक्री मंगल और केतु है यह युति पारिवारिक रूप से चलने वाली लडाई के लिये भी माना जा सकता है जिसके अन्दर दो वकील एक ही व्यक्ति से बारी बारी से प्रश्न करते है और प्रश्न भी जातक के परिवार के व्यक्ति के लिये विदेश आदि जाने पर लगी पाबंदी के लिये माना जा सकता है लेकिन वक्री गुरु के कारण जो भी होता है वह जल्दबाजी के कारणो के लिये माना जा सकता है लेकिन मंगल के द्वारा अपनी युति से चन्द्रमा वक्री बुध सूर्य को देखने के कारण और शुक्र के साथ मंगल की युति से जातक के सम्बन्धी को विदेश जाने के लिये पुलिस आदि का बन्धन भी मिलता है.

1 comment:

  1. main aap se bhaut prabhit hui. sir, kirpa kareke ase hi gyan date rahe.

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