Wednesday, October 26, 2011

राहु केतु बनाम मुस्लिम ईसाई


केतु धुरी है तो राहु पृथ्वी की गति,राहु केतु का अधिकार पृथ्वी के एक सौ अस्सी अंशों में है,एक सौ अस्सी में ही  में बाकी की जातियां अपना अपना अधिकार बनाकर रखती है। यह जरूरी भी नही है कि कोई व्यक्ति हिन्दू के घर में पैदा हुआ है और वह मुस्लिम नही है,अथवा यह भी जरूरी नही है कि कोई व्यक्ति मुस्लिम के घर मे पैदा होकर भी मुस्लिम ही हो,इसी प्रकार से हर घर के अन्दर कई मुस्लिम अपने आप ही पैदा हो जाते है और हर घर के अन्दर ईसाई भी अपने आप ही पैदा हो जाते है.

राहु की पांच गतियों में पहली वह शरीर पर देता है दूसरी हिम्मत को देता है तीसरी वह परिवार और समाज तथा प्राथमिक शिक्षा पर देता है चौथी वह शादी सम्बन्ध आदि पर देता है और पांचवी गति जो मुख्य होती है वह धर्म कानून और भाग्य को देता है.इसी तरह से पांच गतियों को केतु राहु के विरोध मे रहकर देता है,राहु के विरोध मे बैठ कर केतु सबसे पहले अपना असर शादी सम्बन्ध के प्रति देत है दूसरा असर जिस धर्म और कानून को राहु मानता है जिस समाज समुदाय को राहु अपनाना चाहता वहां देता है तीसरा असर केतु राहु जहां से अपनी लाभ वाली स्थिति को देता है जहां से राहु को लाभ होता है जो भी राहु कार्य करता है और उससे जो फ़ल प्राप्त होने वाले होते है राहु के जो मित्र होते है वहां पर भी केतु अपना असर देता है,इसके अलावा रहा जिस स्थान पर बैठा होता है केतु अपनी विरोधी गति वहां भी देता है,पांचवीं गति केतु के द्वारा राहु के पराक्रम और हिम्मत या कहने सुनने या अपनी स्थिति को दिखाने वाले कारको मे भी देता है.राहु केतु के संबन्ध में अपना अधिकार केवल शिक्षा और प्रारम्भिक जीवन मे तथा सन्तान पर नही दे पाता है,उसी प्रकार से केतु भी अपनी शक्ति राहु के शिक्षा परिवार और सन्तान पर नही दे पाता है,इसलिये केतु और राहु का बाकी का असर चाहे कैसा भी रहे लेकिन सन्तान परिवार शिक्षा प्रारम्भिक जीवन इन कारकों के क्षेत्र मे पूरा नही हो पाता है इसलिये यह दोनो प्रकार संसार में चाहे कितने ही पास क्यों न रहे इनके अन्दर कभी भी आपसी सामजस्य नही बैठ पाता है.दोनो ही पृथ्वी के चाहे किसी भी भूभाग मे रहें एक दूसरे के प्रति हमेशा ही विरोधी स्वभाव प्रकट करते रहेंगे,जहां भी केतु का शासन होगा वहां राहु अपनी गति प्रदान करने के बाद कब्जा कर लेगा और जहां भी राहु अपना शासन करता होगा वहां केतु अपना बल प्रयोग करने के बाद अपना अधिकार जमा लेगा। इन दोनो ग्रहों के कारण ही पृथ्वी की गति बनी हुयी है,और लोग अपने अपने अनुसार चलने के लिये मजबूर है,केतु जहां भी अपनी धुरी जमाने की कोशिश करता है राहु वहीं पर अपनी गति बनाकर कंपन पैदा कर देता है और धुरी पर हलचल होने के कारण केतु का कार्य खतरे मे पड जाता है। उसी प्रकार से राहु जहां भी गति और कंपन पैदा करने की कोशिश करता है केतु वहीं जाकर अपनी धुरी बनाने की कार्य योजना को शुरु कर देता है।

राहु अपने इष्ट को अल्लाह के रूप मे मानता है तो केतु अपने इष्ट को ईशा के रूप मे मानता है। जब राहु अपनी आवाज से अपने इष्ट को अल्लाह के नाम से पुकारता है तो केतु उस आवाज को पलट कर अकबर के नाम से वापस कर देता है,उसी तरह से जब ईशाई अपने इष्ट ईशा को पुकारते है तो राहु उसे मसीह के रूप मे वापस कर देता है। राहु केतु के बाद पैदा हुआ है,केतु पहले पैदा हुआ था.केतु धरती है तो राहु पानी है,राहु पानी है तो केतु पानी का फ़ैन है,फ़ैन केतु है तो फ़ैन पर जमने वाले अन्य पदार्थ जो मिट्टी के रूप मे है वे राहु है,राहु जमने वाले अन्य पदार्थ है तो केतु जीव के रूप मे है,केतु जीव के रूप मे है तो राहु उसके अन्दर मिलने वाली शक्ति के रूप मे है,केतु गला है तो राहु सांस है तो केतु ह्रदय है,केतु ह्रदय है तो राहु धडकन है.राहु धडकन है तो केतु खून है,केतु खून है तो राहु खून का बल है,खून का बल राहु  है तो शक्तिवान शरीर के रूप मे केतु जीव है।केतु मनुष्य है तो राहु उसका परिवार है,केतु परिवार का नाम है तो राहु समुदाय है समुदाय का नाम केतु है तो रहने वाले भूभाग का मालिक केतु है.इस तरह से राहु केतु को एक अलग अलग भी नही देखा जा सकता है। दोनो ही अपनी अपनी योग्यता से केवल छाया देना ही जानते है वास्तविक रूप तो इन्हे अलावा ग्रहों से मिलता है जिसे हम देख और समझ पाते है।

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