Thursday, October 20, 2011

कैसे लोग मानते है भूत प्रेत चुडैल

ग्रह अपने अनुसार बताने लगते है कि कौन सा ग्रह किस प्रकार से व्यक्ति को परेशान कर रहा है अक्सर कुंडलियों को देखने के बाद यह समझ मे आया है कि व्यक्ति की लगन लगनेश चन्दमा और चन्द्र लगनेश को जब ग्रह अपनी गिरफ़्त मे लेलेते है तो वह अपने अनुसार बाते करके और अपनी दिन चर्या के द्वारा लोगों के सामने पेश होने से अपने ग्रहों को स्वयं बखान करने लगता है।

जब व्यक्ति की लगन मे लगनेश पर या चन्द्रमा पर राहु शनि का रूप किसी प्रकार से अपना असर देता है या व्यक्ति के जन्म के समय के शनि या राहु पर या शनि राहु पर गोचर का राहु अपना असर देता है तो उस पर ऊपरी शिकायत की बात कही जाती है,जब इस प्रकार की युति ग्रह देते है तो वह व्यक्ति साधारण लोगो की तरह से बात नही करता है उसकी बातो से लगता है कि वह बहुत बडा ज्ञानी पुरुष या स्त्री है उसके अन्दर गजब की शक्ति भी आ जाती है वह गुस्से मे आजाये तो आठ दस लोगों के वश मे नही आता है।

जब राहु का असर गुरु के साथ हो जाता है और गुरु लगनेश या लगन अथवा चन्द्रमा से अपनी युति लेता है तो व्यक्ति के अन्दर देवताओं जैसे गुण आजाते है वह सदा साफ़ सुथरा रहने की कोशिश करता है स्त्री के प्रति वह हमेशा बाथरूम मे अधिक समय को व्यतीत करती है,स्त्री पुरुष सम्बन्धो से उसे अरुचि आजाती है जब भी उससे बात की जाये तो वह आशीर्वाद या वरदान देने की बात करता है,धूप बत्ती जलाना फ़ूलो को देखकर प्रसन्न होना संस्कृत भाषा का उच्चारण करना आदि बाते देखने को मिलती है,उसकी नजर एक स्थान पर थम सी जाती है आंखो की पुतलियों मे वह चंचलता नही रहती है जो साधारण व्यक्ति मे होती है.

शुक्र के साथ राहु का योगात्मक प्रभाव जब लगन लगनेश या चन्द्रमा से होता है तो वह व्यक्ति देवताओं की बाते करने पर गुस्सा करता है,शरीर मे पसीना अधिक आने लगता है उसे कितना ही खिला दो लेकिन किसी भी तरह से उसे भोजन मे संतुष्टि नही मिलती है ,गुरु शास्त्र और धर्म आदि की बातो मे उसे गुस्सा आने लगती है और वह कई प्रकार के दोष निकालने बैठ जाता है। इसे देवाशत्रु नाम की बाधा के नाम से जाना जाता है.

जब शुक्र राहु के साथ बुध भी शामिल हो जाता है तो व्यक्ति के शरीर पर गन्धर्वशक्ति का आना माना जाता है उस समय वह हमेशा प्रसन्न रहने की कोशिश करता है हंसी मजक करना और अधिक बाते करने मे भी उसका चित्त लगा रहता है बाग बगीचा देखकर उसे खुशी होती है अक्सर वन और जंगल में घूमने और अकेले बैठ कर गुनगुनाने मे उसे अच्छा लगता है उसे अगर ख्यालो से जगा जाये तो वह मुस्करा देता है।

लगन के केतु पर या लगनेश के साथ केतु से अथवा चन्द्रमा के साथ केतु के साथ जब राहु गुरु शनि या गोचर के केतु की छाया आने लगती है तो उसके अन्दर यक्ष वाला दोष बताया जाता है,वह व्यक्ति लाल कपडे अधिक पसंद करता है धीमे स्वर मे बात करता है शरीर मे पतलापन आजाता है उसकी चाल मे तेजी आ जाती है आंखो का रंग भी तांबे जैसा हो जाता है और उसके लिये एक बात और पहिचान के रूप मे देखी जाती है कि वह अक्सर अपनी आंखो से ही इशारे अधिक करने लगता है।

लगन मे या लगनेस पर या सूर्य पर राहु का गोचर होता है और राहु का सम्बन्ध जब नवे भाव से या नवे भाव के स्वामी के साथ हो जाता है तो व्यक्ति पर पितर दोष की बात भी देखी जाती है,व्यक्ति अचानक शान्त स्वभाव का हो जाता है किसी भी बात मे वह अकेले रहना पसंद करता है,उसके कोई भी काम सफ़ल नही हो पाते है उसकी एक पहिचान होती है कि वह जब भी वस्त्र पहिनता है तो किसी भी वस्त्र को बायें हिस्से के अंग के द्वारा पहले पहिनता है,व्यक्ति अपने परिवार के बुजुर्गो के बारे मे बाते करता है मीठा भोजन उसे अच्छा लगने लगता है अथवा वह तिल आदि से बने पदार्थ अधिक पसंद करता है.रात को सोते समय पैरो मे जलन होती है अथवा नींद नही आती है आदि बाते देखने को मिलती है.

जन्म के राहु पर जब केतु का गोचर होता है और किसी प्रकार से शनि की युति राहु केतु से मिलने लगती है तो व्यक्ति को नागदोष से पीडित माना जाता है,वह व्यक्ति सीधा लेटता है तो नींद नही आती है और छाती के बल लेटते ही नींद आजाती है वह जरा सी आहट मे जग जाता है और अपने शरीर को सिकोड कर सोने की आदत होती है,जब भी कोई बडी बात या जातक के प्रति बात की जाती है तो वह सांस छोडने लगता है अथवा अपनी जीभ से होंठो को चाटता रहता है,जातक को दूध और दूध से बने पदार्थ अच्छे लगते है,जातक अन्धेरे मे रहने और सोने की कोशिश करता है,भोजन के करते समय एक अजीब सी आवाज का आना भी देखा जाता है,अंडे और इसी प्रकार के बने भोजन वाले कारक उसे अच्छे लगते है.

वृश्चिक लगन हो या वृश्चिक लगन मे मंगल पर जब राहु का गोचर होता है तो व्यक्ति के शरीर मे राक्षसी कारण पैदा होने लगते है,शराब कबाब भूत के भोजन उसे पसंद आने लगते है वह दाढी को बढाने लगता है हमेशा मारकाट की बात करता है उसे मरता हुया जीव अच्छा लगता है तथा जिन्दा जीवो को भून कर खाने की उसकी आदत हो जाती है,वह किसी भी कारण से शमशान मे जाकर अपने को शांत समझता है,अस्पताल मे जाने पर उसे मरीजो की चीख पुकार अच्छी लगती है,किसी भी एक्सीडेंट आदि के समय वह बहुत पास जाकर उसे देखने की कोशिश करता रहता है,जो लोग मारकाट या लूटपाट के कारको से जुडे होते है उनसे वह अपनी दोस्ती जल्दी बना लेता है।

वृश्चिक लगन मे जब जन्म के केतु पर पर राहु का गोचर होता है तो वह व्यक्ति के अन्दर पिशाच बाधा को देता है,इस बाधा से व्यक्ति कमजोर हो जाता है,उसे कपडा पहिनने मे दिक्कत होती है कम से कम कपडा पहिनने की आदत हो जाती है,रात को वह एकान्त कमरे मे नंगा होकर सोना चाहता है,शरीर से दुर्गन्ध आने लगती है तथा उसे नहाने धोने और साफ़ रहने मे दिक्कत होती है स्वभाव मे बहुत चंचलता आजाती है वह अधिकतर निर्जन स्थानो मे घूमना चाहता है उसे बहुत भूख लगती है और कभी भी कितना ही खाने को देदो वह मना नही करता है,जानवरो के साथ अथवा अप्राकृतिक मैथुन करने मे उसकी रुचि बढ जाती है,अधिक कामुकता मे वह अपने जीवन साथी या किसी को भी जान से भी मार सकता है,अक्सर वह अपने होंठो को काट कर अपने ही रक्त को चाटता भी रहता है.

जब किसी स्त्री के लगन मे मंगल शुक्र होते है और राहु का गोचर जब होता है तो व्यक्ति के अन्दर सती वाले गुण आजाते है वह अपने द्वारा सतियों के गुणगान करने लगती है,उस स्त्री को श्रंगार करने और सजने संवरने मे काफ़ी रुचि बढ जाती है स्त्री पुरुष के सम्बन्धो से वह दूरिया बनाने लगती है और इस कारण से घर मे क्लेश भी होने लगता है,अगर पहले से गर्भ होता है तो वह गिर जाता है,सन्तान की उत्पत्ति मे बाधा भी बन जाती है उसे नहाधोकर दिया बत्ती करने और बाकी का समय पूजा पाठ मे ही बिताने का शौक हो जाता है वह किसी भी रिस्तेदार या जान पहिचान वाले से बात करना पसंद नही करती है.अगर कोई बात घर के अन्दर ऐसी वैसी हो जाती है तो वह हमेशा जल कर मरने की बात करती है।

लगन मे केतु और मंगल की युति होने पर शनि का गोचर से इन दोनो पर असर देने से कामण दोष की उत्पत्ति को माना जाता है यह दोष स्त्री को ही लगता है पुरुष इस दोष से अपने को बचा जाते है और बेकार मे अपने को भटकाव और गलत लोगों की संगत मे लगा लेते है।स्त्री का माथा कन्धा और सिर का पिछला भाग हमेशा भारी रहता है मन में स्थिरता नही होती है शरीर दुर्बल होता जाता है गाल धंस जाते है स्तन और पुट्ठे सूख जाते है नाक हाथ तथा नेत्रों मे जलन रहती है शरीर का आकर्षण समाप्त होने लगता है,ल्यूकोरिया जैसे रोग सामने आजाते है।

जन्म लगन मे चन्द्रमा पर जब राहु का गोचर होता है और अष्ट्मेश की युति भी लगन मे होती है या अष्टमेश की दशा चल रही होती है तो व्यक्ति के अन्दर शाकिनी दोष का होना माना गया है। स्त्री के अन्दर हमेशा किसी न किसी बात मे चिल्लाने का स्वभाव बन जाता है,शरीर मे बिना बजह ही दर्द होता रहता है,आंखो मे जलन या रोशनी भी कम हो जाती है शरीर मे कंपन शुरु हो जाता है,बिना किसी बात के रोना चिल्लाना आदि बाते सामने आने लगती है उसे खाने पीने का कतई होश नही रहता है। किसी काम को करते समय कोई दूसरा काम होने लगता है रखी हुई चीज को भूलने की आदत होती है अपनी चीज को खोजने के लिये किसी न किसी पर आक्षेप लगाने की आदत भी होती है.

लगन से चौथे भाव मे जब राहु का गोचर होता है या चतुर्थेश पर राहु का असर होता है तो उस स्थिति मे व्यक्ति पर क्षेत्रपाल दोष का होना माना जाता है,अक्सर इस दोष मे व्यक्ति राख का तिलक करने लगता है उसे बुरे और डरावने स्वपन आने लगते है पेट दर्द की शिकायत होती है गले के रोग जैसे इन्फ़ेक्सन आदि का होना हमेशा छाती मे जकडन का होना भी देखा जाता है शरीर के जोड अपने आप ही दर्द करने लगते है.

वृश्चिक लगन मे जन्म के गुरु पर जब राहु का गोचर होता है तो वह ब्रह्मराक्षस के दोष से पीडित माना जाता है व्यक्ति के शरीर मे पीडा का होना देखा जाताहै,उसे लगता रहता है कि वह जल्दी ही मरने वाला है लेकिन वह मरता भी नही है जो भी लोग तीर्थ यात्रा या धर्म कर्म की बाते करते है सभी को वह विरोध की बात से दबाने की कोशिश करता है,वह अपने हठ से और तर्क से सभी से अपने को उच्च का समझने लगता है।

मेष लगन का जन्म का राहु जब अष्टम मे होता है और गोचर से जब भी जातक के बारहवे भाव मे गोचर करता है और किसी प्रकार से नवे भाव के मालिक गुरु से अपनी युति को बनाता है तो वह प्रेत दोष की श्रेणी मे गिना जाता है। अक्सर कहा जाता है कि अकाल मौत से मरने वाले या एक्सीडेंट से मरने वालो की आत्मा का असर व्यक्ति पर आ गया है,वह बेकार मे ही पता नही क्या क्या कहने लगता है किसी का नाम लेने लगता है किसी प्रकार से भय वाली आवाज मे चिल्लाने लगता है,बार बार भागने लगता है उसे अगर साधने की कोशिश की जाती है तो वह बहुत ही उत्तेजित हो जाता है और जहां से देखो वहीं से कूदने की फ़लांगने की कोशिश भी करता है,अपने शरीर को काटने दूसरो को आहत करने की कोशिश भी करने लगता है,बिना कुछ खाये पिये उसे बहुत ही ताकत मे देखा जाता है किसी का भी कहा नही मानता है और गाली गलौज आदि से बात करने के बाद वह अपनी ही बात को मनवाने की कोशिश करता है.

जब किसी स्त्री की कुंडली मे अष्टमेश पर राहु का गोचर होता है या लगनेश अष्टमेश एक साथ होने पर राहु का प्रभाव होता है तो वह स्त्री शरीर से सबल हो जाती है,उसके अन्दर कामुकता का अधिक होना पाया जाता है किसी भी प्रकार से वह पुरुषों की तरफ़ अधिक भागती है किसी भी रिस्ते को जाति को अथवा मान अपमान से उसे किसी प्रकार का लगाव नही होता है,वह शराब मांस आदि के भोजन मे रत रहने की कोशिश करती है,सदा मुस्कराने की आदत उसके अन्दर देखी जाती है,इसे चुडैल दोष के अन्तर्गत माना जाता है।

1 comment: