Tuesday, November 1, 2011

दस खरीदेगा,ग्यारह पकायेगा तब बारह खायेगा !

वृष कन्या और मकर को एक त्रिकोण मे देखा जाता है और कार्य का त्रिकोण कहा जाता है। वृष और कन्या की निगाह मकर पर ही होती है,इस राशि मे या तो वृष यानी धन से पहुंचा जा सकता है या कन्या यानी सेवा से पहुंचा जा सकता है। बिना दोनो के प्रभाव के मकर तक पहुंचा ही नही जा सकता है। अर्थात मकर राशि वाले जातक से दोस्ती करनी है तो पहले वृष को पकडना पडेगा या कन्या का सहारा लेना पडेगा। बात एक जगह पर ही आ सकती है या तो चैक या जैक,चैक तो दमडी से और जैक चमडी से इन्हे घिसने के बाद ही मकर अपने क्षेत्र मे प्रवेश करने का अवसर देगा। यह बात उन लोगो के लिये है जो राज्य मे प्रवेश करना चाहते है और उन्हे राजनीति मे प्रवेश का कारण नही मिलता है। इन दोनो मे से एक का भी सहारा लिया जाता है तो मकर यानी राज्य अपने मे आने का अवसर प्रदान कर देता है। यही बात अगर साधारण रूप से देखी जाये तो मकर को बाजार कहा गया है,बाजार से कोई भी वस्तु प्राप्त करने के लिये या तो धन की जरूरत होती है या सेवा के द्वारा प्राप्त धन से बाजार से वस्तु को प्राप्त करना होता है,बिना इन दोनो के बाजार मे जाने और वहां से वस्तु को प्राप्त करने का कोई कारण ही नही बनता है,बाजार से आटा लाया जायेगा तो ग्यारहवां भाव उसे पकाकर देगा उसके बाद ही बारहवा भाव उस आटे से बनी रोटियों को खाने के लिये देगा। यानी उस बाजार की कीमत को बारहवे भाव मे ही आकर समाप्त करना होगा। यह बात शेयर बाजार मे रुचि रखने वाले लोगो के लिये भी देखी जाती है,मकर राशि अगर उनकी प्रबल है और कोई भी सशक्त ग्रह उसकी कुंडली में मकर राशि को बलवान बना रहा है तो वह व्यक्ति शेयर बाजार मे उन्नति कर जाता है,यानी उसके पास धन जो वृष राशि का कारक है साथ ही उसे बैंकिंग का ज्ञान है यानी कन्या राशि प्रबल है और उसके बाद वह बाजार का रास्ता जानता है और बाजार मे उसकी अच्छी साख है तो वह शेयर और जल्दी से धन कमाने के क्षेत्र मे बहुत ही जल्दी सफ़ल हो सकता है। बाजार से जो लाया गया है उसे अगर ग्यारहवे ने अच्छी तरह से पकाया है तो बारहवे में खाने के बाद वह पका हुआ नुकसान नही देगा,यानी जो बारहवा खायेगा उसे सीधे से लेकर छठे मे पहुंचा देगा। पचाने के बाद अगर वह सही रूप से छठे मे जा पहुंचा है तो वह जरूर ही दोबारा से दसवे की राह को पकडने के लिये आसान रहेगा,अगर वह सही पचा ही नही है और बजाय बारहवे के पहुंचने के चौथे मे जाकर टकरा गया है या अष्टम मे जाकर बैठ गया है तो या तो वह पचाया गया घरेलू खर्चो मे जा बैठेगा जो कभे भी वापस नही आयेगा और अष्टम की युति होने से वह रिस्क ही मानी जायेगी,वहां से निकला और नही निकला तो फ़जीहत बाजार मे भी है और दूसरा भी बेरुखी से सीधा रास्ता छठे के लिये दिखाने मे कोई कसर नही छोडेगा,अगर छठे ने हेल्प नही की तो बात साफ़ है कि अष्टम गाली गलौज भी करेगा और सरे बाजार बेइज्जती भी करेगा। इस बात को अगर ध्यान से देखा जाये तो ग्यारहवे से पकाया गया अगर बारहवे में जाकर तरीके से रखा गया है जैसे खर्च करने के लिये वह धन सेवा के कारको में दिया गया है और बैंक आदि मे जमा किया गया है तो दसवा सशक्त हो जायेगा और उसे अगर सीधा सा ले जाकर घर मे दे दिया है तो वह या तो अचल सम्पत्ति या मकान आदि बनवाने के लिये या वाहन आदि खरीदने के मदो मे जाकर खर्च हो जायेगा,वह जो खर्च हुआ है वह रिस्क मे ही माना जायेगा,यानी समय पर अगर वाहन या मकान ने अपनी कीमत नही दी तो जहां से रिस्क लेने की बात होती है वह भी अगर सफ़ल नही हुआ तो बाजार मे दिक्कत तो आनी ही है,न तो खरीदा जा सकता है और न ही पकाया जा सकता है और न ही पकाकर खाया जा सकता है।

2 comments:

  1. sir, apki gyan ganga se isi tarah gyan barsate rahe.

    ReplyDelete
  2. गुरूजी प्रणाम ।
    मेरा जन्म दिनांक 1 नवम्बर 1985 जन्म समय 13:15 जन्म स्थान इटारसी (म॰प्र॰) है।
    मकर लग्न और वृष राशि है।
    तो क्या मेरा शेयर बाजार में निवेश करना लाभदायक रहेगा?
    बैंक में भी सफलता के आसार हैं?
    बताने की कृपा करें।
    धन्यवाद।

    ReplyDelete