Wednesday, October 12, 2011

Every Birth Chart has a different Story Part-1

होशंगाबाद जिला में एक बालक का जन्म होता है नक्षत्र रेवती का तीसरा पाया.कुंडली में ग्रह स्थिति इस प्रकार से लगन में केतु वृष राशि,तीसरे भाव में कर्क का नीच मंगल चौथे भाव में सूर्य बुध सूर्य स्वग्रही,पंचम भाव में शनि शुक्र की युति कन्या राशि सप्तम में राहू वृश्चिक राशि का ग्यारहवे भाव में मीन का चन्द्रमा,और बारहवे भाव में मेष का गुरु वक्री.चन्द्र राशि का मीन का होना और गुरु का सामने आकर यानी राशि से दूसरे भाव में वक्री होना,जातक की माता के लिए एक अजीब स्थिति को पैदा करने वाला नियम है,जो माता अपने धर्म कर्म पूजा पाठ परिवार समाज मर्यादा को लेकर चल रही थी अचानक उसका दिमाग बदलता है और उसके अंदर हर काम की जल्दबाजी आजाती है उसके अन्दर रिस्तो का कोइ मूल्य नहीं रहता है वह अपने ससुराल परिवार को छोड़ कर चली जाती है और अपने पिता के घर पर जाकर रहने लगती है,जातक का पिता जब अपनी ससुराल में बात करता है तो बेटी की बातो और पारिवारिक बातो के प्रति नुक्ताचीनी करने के बाद जातक के पिता को उसके ननिहाल खानदान वाले प्रताणित करने लगते है,जातक का पिता अपने परिवार और अपने समाज से प्रताणित होने ही लगता है पत्नी जिसके लिए सब कुछ करने के लिए तैयार रहना खुद भूखे प्यासे रहकर नौकरी करना और उसकी गर्भावस्था में उसका हर काम में हाथ बताना सभी कुछ एक झटके से दूर हो गया.

यह कहानी अगर दुनियादारी को लेकर चलेगी तो पारिवारिक व्यवस्था का विनाश होना जरूरी है,जातक का सूर्य माता के भाव में बुध के साथ है बुध कुंडली में अस्त हो कर बैठा है.बुध के अस्त होते ही जातक के कुटुंब का कारक अस्त है यानी जातक पैदा होने के बाद अपने कुटुंब से दूर हो गया,इधर माता के भाव से भी कुटुंब का कारक बुध है इसलिए माता के परिवार भाव से भी माता का विच्छेद है,इस कारण को और अधिक गहराई से देखते है तो पिता भाव का पुत्र भाव भी अस्त है,और पिता भाव के द्वारा जीवन के प्रति लिए जाने वाले भविष्य के निर्णय भी अस्त है.इधर मंगल नीच राशि में है जातक के अन्दर खून जो है वह पानी की अधिक मात्रा को लेकर बैठा है,उसके साथ ही कारक कर्क का मंगल खून के अन्दर पानी की मात्रा को बढ़ा देता है,और जब सप्तम का राहू भी इस मंगल से अपनी युति ले ले तो जातक के खून में इन्फेक्सन भी बढ़ जाते है,जब राहू मंगल और मीन के चन्द्रमा के बल से भी पूरित होना पड़े तो शर्तिया माता के खून के साथ जातक का खून भी इन्फेक्टेड हो गया.यह इन्फेक्सन केवल माता के द्वारा गर्भावस्था के तीसरे महीने (लगन से तीसरा मंगल) कोइ गर्भ गिराने वाली दवा का इस्तेमाल किया गया,(माता से चौथा राहू और आठवा चन्द्रमा) इस कारण से माता को गर्भ समय में गर्भाशय से पानी का गिरना शुरू हो गया,(माता के भाव से अष्टम चन्द्रमा) इस लगातार गिरते पानी का कोइ समाधान नहीं हुआ और जातक के पैदा होने के समय से पहले ही माता के अन्दर जननांग वाला इन्फेक्सन पैदा हो गया.इस इन्फेक्सन के कारण माता में कमजोरी आने लगी और जातक के अंदर खून के अन्दर पानी की मात्रा के साथ साथ राहू का इन्फेक्सन भी पनपने लगा.वर्त्तमान में हालत है की बच्चा सर दर्द से परशान है और माँ का दूभ भी पीने में उसे दिक्कत है.
माता के घर वाले माता की कमजोरी और माता के कमजोर होने के कारण बढ़ने वाली गुस्सा से परेशान होकर उसे वापस अपने घर ले गए है,जातक के पिता के लिए यह जानना अधिक आवश्यक नहीं है की आखिर में पत्नी को दिक्कत क्या है,इस कारण को जातक के पिता ने जिम्मेदारी में केवल अपनी माँ को यानी जातक की दादी को ही सर्वे सर्वा बना दिया है.लगन का केतु इस बात के लिए माना जा सकता है.केतु की युति से शुक्र शनि भी बाधित है इसलिए जातक की दादी के कारण घर के सभी रोजाना के कार्य भी बाधित है.

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