Sunday, December 25, 2011

श्री अटल बिहारी बाजपेयी

हमारे भूतपूर्व प्रधान मंत्री श्री अटल बिहारी बाजपेयी जी का जन्म २५ दिसम्बर १९२४ को दोपहर दो बजे ग्वालियर मध्यप्रदेश नामक स्थान पर हुआ था.उनकी कुंडली मेष लगन की है और लगनेश मंगल का स्थान बारहवे भाव मे है.आज उनका जन्म दिन भी है.लगनेश से ग्यारहवे केतु है और लगनेश से दसवें सूर्य गुरु वक्री बुध है,लगनेश से नवे भाव में शुक्र चन्द्र है,लगनेश से अष्टम में शनि है,इस प्रकार से आपके कुल चार भाइयों की संख्या मिलती है,तीन बहिने भी मिलती है,शुक्र चन्द्र राहु की हैसियत को प्रदर्शित करती है.भाई बहिनो की संख्या को जोडने के लिये  लगनेश के त्रिकोण की राशियों के नम्बर को जोड लेना एक आसान तरीका है,जिसमे मीन की तीन कर्क की चार और वृश्चिक की आठ संख्या को जोडने पर पन्द्रह की संख्या आती है इस संख्या को छोटा बनाने के लिये आपस में जोडा तो कुल संख्या छ: की मिलती है,आगे की सन्तति चलने के लिये कुछ छ: की संख्या को ही माना जा सकता है आपने शादी ही नही की। मंगल के बाद वाले त्रिकोण में राहु का होना आपकी एक छोटी बहिन को भी बताता है,आपके पिता के भाई बहिनो की संख्या कुल तीन मिलती है जिनमें दो भाई तो मिलते है लेकिन बुध के वक्री होने के कारण होना नही मिलता है.माता के स्थान मे राहु के होने से माता का पिता से जल्दी परलोक सिधारना मिलता है,पिता का बाद में जाना मिलता है,आखिरी वक्त में रहने वाले स्थान से उत्तर दिशा में उनके इलाज का कारण भी मिलता है। सूर्य का नवे भाव मे होना और गुरु के साथ मे होना पिता को शिक्षक के रूप में भी जाना जा सकता है। पिता से नवे भाव मे सिंह राशि का होना आपके दादा के लिये अपनी स्थिति को बताता है,जो संख्या में दो की गिनती में मिलते है,आपके दादा की हैसियत पुजारी और पूजा पाठ वाले काम धार्मिक कृत्य तथा कथा भागवत को पढना भी मिलता है,बारहवे राहु होने के कारण एक ज्योतिषी के रूप में भी उनकी औकात को माना जा सकता है। राहु के द्वारा चौथे भाव में शनि का उच्च का होना पिता का स्थान परिवर्तन मिलता है,पिता के बारहवे भाव में शुक्र चन्द्र का होना पिता का जन्म किसी नदी के किनारे होना और वहां शंकर जी की स्थापना होने की बात भी मिलती है। वास्तव में इनके पिता का जन्म स्थान जिला आगरा में बटेश्वर नामक स्थान में हुआ था और वहां यमुना नदी बहती भी है तथा महाराज भदावर के द्वारा स्थापित शिव स्थान भी जो बड के पेड के नीचे स्थापित होने के कारण बटेश्वर के नाम से प्रसिद्ध भी है। कुंडली के अनुसार केतु ही राज्य को देने वाला है,तथा केतु से तीसरे भाव में लगनेश मंगल का होना पद के रूप में सर्वोच्च पद का देने वाला भी माना जाता है। गुरु का स्वराशि में होना और सूर्य के साथ होना धर्म और कानून की रक्षा करने वाला भी माना जाता है।

राहु शुक्र चन्द्र की युति होने से आपकी रुचि कविता करने में भी मानी जाती है,शुक्र का वृश्चिक राशि मे चन्द्रमा के साथ होने से दादा और पिता की सम्पत्ति का त्याग भी माना जा सकता है। अपने हिस्से की सम्पत्ति को राहु को प्रदान करने का मतलब किसी पुस्तकालय या स्कूली कार्यों के लिये दान मे देना भी माना जा सकता है। राहु का नवे भाव में मंगल का होना लगन से मंगल का दक्षिण-पूर्व दिशा में होना पिता का पलायन बटेश्वर से ग्वालियर में होना भी माना जा सकता है।

आपके पिता की केन्द्र आयु चौरासी साल थी,जिसमे से बारह साल राहु के द्वारा समाप्त करने से बहत्तर साल कुछ महिने की मिलती है,उसी प्रकार से आपकी केन्द्र आयु भी इतनी है लेकिन राहु के चौथे भाव में बैठने के कारण बारह साल राहु के द्वारा प्रदान किये गये है। ईश्वर से प्रार्थना है कि आपको शतायु प्रदान करने के बाद आपकी कार्यों की रोशनी से जन साधारण शिक्षा ले,और आपका नाम इतिहास के पन्नो पर स्वर्णाक्षरो से लिखा जाये। 

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