जीवन मे नाम का महत्व बहुत अधिक है किसी भी तरह के ज्योतिषीय प्रभाव से अधिक नाम का प्रभाव बहुत ही शक्तिशाली कहा गया है। अ के साथ क वर्ग जुडने से जीवन मे नाटकीय परिवर्तन होता देखा गया है,च वर्ग के जुडने से खुद की ही चिन्ता को करने वाला माना जाता है,ट वर्ग के जुडने से ख्याति का फ़ैलना देखा गया है,लेकिन अपने जीवन की नीची अवस्था को भी देखा जाता है। त वर्ग के जुडने से भी धन सम्पत्ति की भरमार मिलती है लेकिन सन्तान के मामले मे कोई न कोई दिक्कत का होना भी देखा गया है। प वर्ग के जुडने से अपने ही खानदान या देश की मर्यादा रीति रिवाज से दूर जाकर अपने मे ही मस्त रहना भी देखा जाता है। य वर्ग के जुडने से जीवन को कई हिस्सो मे लेकर जीने के लिये लाखो उदाहरण मिले है।
अ के साथ क वर्ग के जुडने से अधिकतर लोग शरीर की ताकत को अपनी दिमागी ताकत को बहुत अधिक जोडने और फ़ैलाने के साथ साथ केवल अपने जिन्दा रहने तक ही अपनी सामाजिक जिन्दगी को ऊंचा दिखा पाते है बाद मे उनके इतिहास को ही सराहा जाता है लेकिन उनकी औलाद या उनकी बची हुयी परिसम्पत्ति को कोई नही सराहता है। उदाहरण के रूप में अकबर नाम को ही देख लीजिये,अखबार का दूसरा रूप भी वस्तु के रूप मे है,अगर की महत्ता सुगन्ध के रूप मे उपस्थित होने तक यानी जब तक वह पूरा जल नही जाता तभी तक माना जा सकता है,जलने के बाद सुगन्ध समाप्त हो जाती है और राख ही मिलती है,अघोर की व्याख्या भी ऐसी और और अंगार की व्याख्या भी आप समझ सकते है। उसी प्रकार से अ के साथ च वर्ग के जुडने से खुद की महत्ता को देखना जातक के लिये जरूरी हो जाता है,जैसे अचला नाम स्त्रियों मे अधिक रखा जाता है,और इस नाम के जातको को अधिकतर अपने ही अन्दर खुश रहने से तथा अपने ही विचारों को व्यक्त करने के लिये देखा जाता है उन्हे दूसरो की परवाह भी नही होती है। अछ शब्द को भी सफ़ाई करने के लिये माना जाता है और यह शब्द केवल शरीर के लिये ही अन्दरूनी सफ़ाई के लिये माना जाता है। अज शब्द का अर्थ वैसे तो वेदों में ब्रह्मा से लिया गया है। लेकिन इसे भी शरीर निर्माण के लिये ही देखा जाता है और अपनी शरीर की शक्ति से भी इसे माना जाता है दुनियावी कारणो का इस शब्द से कोई लेना देना नही होता है। अझ शब्द से भी जुडने वाले नामो के लिये सभी कुछ एक झटके से समाप्त करने के लिये और अयँ शब्द भी केवल अटकने के लिये ही माना जाता है। अ के साथ तवर्ग के जोडने पर अत शब्द को भी अधिकता से लिया जाता है और इस प्रकार के नाम वाले केवल सन्तान आदि के मामले मे अधिक देखे जाते है बाकी की भौतिकता से कोई लेना देना नही होता है। अथ शब्द भी विस्तृत व्याख्या के लिये माना जाता है और इस शब्द के नाम जो शुरु होते है वे अधिकतर कोई भी कार्य विस्तार से करने के लिये माने जाते है। अद शब्द की उत्पत्ति का कारण किसी भी कारक के लिये शुरु से शुरुहोना माना जाता है जैसे जातक के पूर्वज बहुत नामी ग्रामी रहे होते है लेकिन जातक के पैदा होने तक उनका नाम और धन यश आदि समाप्त हो चुका होता है,जातक को अपने जीवन मे केवल शरीर की दौलत से ही सब कुछ इकट्ठा करने के बाद जीवन को चलाया जाना देखा जाता है। अध शब्द के लिये भी जीवन मे किसी न किसी बात की कमी को देखा जाता है वह सन्तान मे है तो धन के लिये नही और धन के लिये है तो शरीर के लिये नही बात को समझ कर देखा जा सकता है। इसी प्रकार से अन शब्द के लिये भी केवल खा पीकर मौज करने के बाद आगे के लिये नही सोचना माना जाता है। अ के साथ पवर्ग को जोडे जाने पर या तो जातक अप शब्द से जुडा है तो वह या तो शाही जिन्दगी को जीने वाला होता है या हमेशा ही किसी न किसी बात से दुखी रहता है। अफ़ शब्द से भी जुडने वाले नाम अक्सर ख्वाबों मे डूबे रहने वाले माने जाते है। अब शब्द से जुडे नाम अक्सर चलने वाले समाज मे अपने को अच्छे या बुरे नाम से जोड कर चलने वाले माने जाते है लेकिन इनके अन्दर एक विशेष बात यह भी देखी जाती है कि वे या तो बहुत ही नैतिकता का जीवन जीते है या फ़िर पूरी तरह से अनैतिकता मे ही अपने को लेकर चलने वाले होते है। अभ शब्द नाटकीय जीवन को जीने के लिये मजबूर करता है,वह देखने मे बहुत खुश हो सकता है लेकिन अन्दर से वह कितना दुखी है इस बात को वह प्रदर्शित नही करता है। अपने परिवार से दूर जाकर ही वह उन्नति को प्राप्त कर पाता है परिवार से जुड कर वह कभी भी अपनी हैसियत को नही बढा पाता है। अम शब्द भी चहुं मुखी विकास के लिये माना जाता है बचपन से वह कठिनाइयों मे ही जीने वाला होता है और एक साथ चार रास्ते देखने और समझ मे नही आने से वह अपने द्वारा ही अपनी जवानी की उम्र से बढना शुरु होता है लेकिन जीवन साथी के मामले मे देखा गया है कि कोई न कोई असमानता या तो शरीर से या शिक्षा से अथवा सामाजिक मूल्यों से अनुसार समान्तर से नही चल पाता है।
अ के साथ क वर्ग के जुडने से अधिकतर लोग शरीर की ताकत को अपनी दिमागी ताकत को बहुत अधिक जोडने और फ़ैलाने के साथ साथ केवल अपने जिन्दा रहने तक ही अपनी सामाजिक जिन्दगी को ऊंचा दिखा पाते है बाद मे उनके इतिहास को ही सराहा जाता है लेकिन उनकी औलाद या उनकी बची हुयी परिसम्पत्ति को कोई नही सराहता है। उदाहरण के रूप में अकबर नाम को ही देख लीजिये,अखबार का दूसरा रूप भी वस्तु के रूप मे है,अगर की महत्ता सुगन्ध के रूप मे उपस्थित होने तक यानी जब तक वह पूरा जल नही जाता तभी तक माना जा सकता है,जलने के बाद सुगन्ध समाप्त हो जाती है और राख ही मिलती है,अघोर की व्याख्या भी ऐसी और और अंगार की व्याख्या भी आप समझ सकते है। उसी प्रकार से अ के साथ च वर्ग के जुडने से खुद की महत्ता को देखना जातक के लिये जरूरी हो जाता है,जैसे अचला नाम स्त्रियों मे अधिक रखा जाता है,और इस नाम के जातको को अधिकतर अपने ही अन्दर खुश रहने से तथा अपने ही विचारों को व्यक्त करने के लिये देखा जाता है उन्हे दूसरो की परवाह भी नही होती है। अछ शब्द को भी सफ़ाई करने के लिये माना जाता है और यह शब्द केवल शरीर के लिये ही अन्दरूनी सफ़ाई के लिये माना जाता है। अज शब्द का अर्थ वैसे तो वेदों में ब्रह्मा से लिया गया है। लेकिन इसे भी शरीर निर्माण के लिये ही देखा जाता है और अपनी शरीर की शक्ति से भी इसे माना जाता है दुनियावी कारणो का इस शब्द से कोई लेना देना नही होता है। अझ शब्द से भी जुडने वाले नामो के लिये सभी कुछ एक झटके से समाप्त करने के लिये और अयँ शब्द भी केवल अटकने के लिये ही माना जाता है। अ के साथ तवर्ग के जोडने पर अत शब्द को भी अधिकता से लिया जाता है और इस प्रकार के नाम वाले केवल सन्तान आदि के मामले मे अधिक देखे जाते है बाकी की भौतिकता से कोई लेना देना नही होता है। अथ शब्द भी विस्तृत व्याख्या के लिये माना जाता है और इस शब्द के नाम जो शुरु होते है वे अधिकतर कोई भी कार्य विस्तार से करने के लिये माने जाते है। अद शब्द की उत्पत्ति का कारण किसी भी कारक के लिये शुरु से शुरुहोना माना जाता है जैसे जातक के पूर्वज बहुत नामी ग्रामी रहे होते है लेकिन जातक के पैदा होने तक उनका नाम और धन यश आदि समाप्त हो चुका होता है,जातक को अपने जीवन मे केवल शरीर की दौलत से ही सब कुछ इकट्ठा करने के बाद जीवन को चलाया जाना देखा जाता है। अध शब्द के लिये भी जीवन मे किसी न किसी बात की कमी को देखा जाता है वह सन्तान मे है तो धन के लिये नही और धन के लिये है तो शरीर के लिये नही बात को समझ कर देखा जा सकता है। इसी प्रकार से अन शब्द के लिये भी केवल खा पीकर मौज करने के बाद आगे के लिये नही सोचना माना जाता है। अ के साथ पवर्ग को जोडे जाने पर या तो जातक अप शब्द से जुडा है तो वह या तो शाही जिन्दगी को जीने वाला होता है या हमेशा ही किसी न किसी बात से दुखी रहता है। अफ़ शब्द से भी जुडने वाले नाम अक्सर ख्वाबों मे डूबे रहने वाले माने जाते है। अब शब्द से जुडे नाम अक्सर चलने वाले समाज मे अपने को अच्छे या बुरे नाम से जोड कर चलने वाले माने जाते है लेकिन इनके अन्दर एक विशेष बात यह भी देखी जाती है कि वे या तो बहुत ही नैतिकता का जीवन जीते है या फ़िर पूरी तरह से अनैतिकता मे ही अपने को लेकर चलने वाले होते है। अभ शब्द नाटकीय जीवन को जीने के लिये मजबूर करता है,वह देखने मे बहुत खुश हो सकता है लेकिन अन्दर से वह कितना दुखी है इस बात को वह प्रदर्शित नही करता है। अपने परिवार से दूर जाकर ही वह उन्नति को प्राप्त कर पाता है परिवार से जुड कर वह कभी भी अपनी हैसियत को नही बढा पाता है। अम शब्द भी चहुं मुखी विकास के लिये माना जाता है बचपन से वह कठिनाइयों मे ही जीने वाला होता है और एक साथ चार रास्ते देखने और समझ मे नही आने से वह अपने द्वारा ही अपनी जवानी की उम्र से बढना शुरु होता है लेकिन जीवन साथी के मामले मे देखा गया है कि कोई न कोई असमानता या तो शरीर से या शिक्षा से अथवा सामाजिक मूल्यों से अनुसार समान्तर से नही चल पाता है।
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