"क्या कन्या राशि सामान लाकर रखा है,क्या कन्या राशि काम को करने का मानस बनाया है,क्या कन्या राशि व्यक्ति से पाला पडा है,यहां तक कि किसी घर मे भोजन करने के बाद अगर तबियत खराब भी हो गयी है तो यही कहा जाता है- उस कन्या राशि के यहां का भोजन किया था इसलिये तबियत खराब हो गयी है.आप बुरा नही माने अगर आपका भी किसी मामले मे कन्या राशि से पाला पडा है.
घर मे प्रवेश करते ही अगर घर मे चुप्पी छा जाये और किसी भी बात को करने पर केवल आदेश का पालन किया जाये तथा शक्ल को देखकर ही पानी पीने को मिल जाये नास्ता समय पर आजाये कोई सामान इधर उधर रखा है और वह तरीके से जमा दिया जाये तो यह मत समझना कि कन्या राशि इस काम को करना जानता है अथवा सलीके से वह किसी भी काम को करना जानता है,बल्कि यह समझना कि उस समय आपके तेवर कुछ चढे है और आप किसी भी प्रकार से घर के अन्दर कोई आदेश या गुस्सा से काम करने जा रहे है अथवा आपको घर मे किसी कारण से नाराजगी से समय निकालने का अवसर मिला है। कन्या राशि की पत्नी को पता चल जाता है कि सामने वाले का भाव क्या है वह किस प्रकार से नाराज है या क्या उसे चाहिये,कारण कन्या राशि का असर सीधा द्रिष्टि के अनुसार मीन राशि पर होता है,पैरो की तरफ़ देखने के बाद भी उसे पता होता है कि वह जो काम कर रहा है वह किसी न किसी प्रकार से गलत हुआ है या वह किसी बडे काम को करने के समय कुछ भूल गया है। यही बात अगर आपको और अधिक देखनी है तो आप पास के किसी स्त्री रोग अस्पताल मे जाकर पता कर सकते है कि सबसे अधिक महिला मरीज कन्या राशि के ही रजिस्टर मे दर्ज मिलेंगे। अगर कोई दवाई कहीं नही मिल रही है तो आप सीधे से कन्या राशि की महिला से जाकर ले सकते है,किसी प्रकार से भी अगर आपको अपनी बीमारी समझ मे नही आ रही है तो आप कन्या राशि वाली महिला के सामने अपने मर्ज का गुणगान करने लगे तो आपको बीमारी का भी पता लग जायेगा और दवा का नाम भी फ़्री मे मिल जायेगा।
अक्सर घर मे औरतो मे खुशर फ़ुसर के मामले काफ़ी सुने होंगे,अगर आपके घर मे कोई कन्या राशि महिला है तो आपको समझ लेना चाहिये कि पडौस से लेकर नाते रिस्तेदारी के सभी भेद उसके पास है,वह एक अन्दरूनी खबरी की तरह से सब की सूचनाये तो अपने पास रखता ही है लेकिन अपनी खबर को कभी भी कहीं भी प्रसारित नही होने देना चाहता है। कन्या राशि की पहिचान अगर की जाती है तो एक बात जरूर है कि आप सामने वाली महिला का चेहरा देखकर ही पता कर सकते है,जैसे माथा चौडा होगा लेकिन थोडी तक आते आगे चेहरा बिलकुल ही त्रिभुजाकार हो जायेगा,और अन्ग्रेजी के V अक्षर की पहिचान वाला चेहरा किसी न किसी प्रकार से कन्या राशि का प्रभाव अपने मे रखता होगा। हाथो और पैरो के मुकाबले मे कन्धे से जांघो तक जाने मे भी आपको V अक्षर की पहिचान ही समझ मे आयेगी। वैसे इस अक्षर का अर्थ लिया जाता है कि V फ़ार विक्ट्री यानी इस राशि वाली पत्नियां हमेशा ही अपनी जीत की कामना करती रहती है और साम दाम दण्ड भेद की नीति से हमेशा अपने को आगे रखने की कोशिश करती है,वैसे बाहर की राजनीति तो आपने खूब देखी होगी लेकिन घर के अन्दर की राजनीति देखनी है तो आप कन्या राशि की महिला से आराम से सीख सकते है। घर के किस सदस्य से कैसे काम लेना है उसके द्वारा की गयी बुराई को कैसे गुप्त रूप मे पता करने के बाद अपने पास सबूत के तौर पर रखना है,परिवार और समाज मे गुप्त रूप से कैसे उसके बारे मे की गयी बुराई को प्रसारित करना है,अगर उस महिला के देवर जेठ है तो वह किस प्रकार से अपने पति को बहुत आगे बढाने और बाकी के लोगो को अपना गुलाम बनाने के लिये कैसे कैसे गुल अन्दर ही अन्दर खिलाती है इसका प्रभाव वही लोग अधिक जानते है जो कन्या राशि की महिला के साथ पारिवारिक जीवन को बिताते आये है।
विवाह के बाद कन्या राशि की महिला एक ही उद्देश्य होता है कि वह किस प्रकार से अपने परिवार और समाज से दूर रहकर अपने जीवन को चला सकती है,कैसे वह अपने बच्चो और अपने पति को स्थायित्व दे सकती है,किस प्रकार से सास स्वसुर को अपने अनुसार चलाने के लिये बाध्य कर सकती है,कैसे कोई भी जमा पूंजी जो सास या स्वसुर ने अपने द्वारा कमाई है या जोड कर रखी है उसे ले सकती है। जब भी कोई बडा सामूहिक काम हो तो कन्या राशि की महिला को कार्य करते हुये देखा जा सकता है,उसका एक ही नारा होता है,-"काम मत करो,लेकिन काम काम कहते रहो",कोई दूसरा काम कर रहा है तो जैसे ही उसका काम पूरा हो उसके गुण दोष देखना और उस काम के अन्दर इतनी कमियां निकाल देना कि सामने वाला मान जाये कि वास्तव मे उसके पास कोई काम करने का ज्ञान ही नही है। यह कारण भी शास्त्रो मे लिखा है कि बुध की कन्या राशि भौतिक राशि होती है वह सोचती नही है केवल करती है,और उस करने के अन्दर केवल दिखावा अधिक होता है अगर उस किये गये काम को दूर गामी रूप मे देखा जाये तो फ़ल नकारात्मक ही होता है।
कन्या राशि का रूप कर्जा दुश्मनी बीमारी बचत नौकरी गुप्त कार्य माता का दाहिना हाथ पिता का भाग्य पति या पत्नी के बाहरी जोखिम सन्तान के लिये नगद धन राज्य के लिये जो भी कार्य किये जाते है उनके अन्दर गुप्त रूप से अधिक से अधिक कमाई जाने वाली पूंजी,सेवा करने से तीमारदारी करने से,अपने लोगो की बुराई दूसरो से करने और दूसरे लोगों की बडाई अपने घर मे करने से,देखा जाता है। स्वसुर के लिये अक्सर इस राशि की महिलायें बहुत ही सलीके से पेश आती है कायदे से घूंघट अगर रखा जाता है तो भले ही स्वसुर के बडे भाई के लिये घूंघट नही किया जाये लेकिन स्वसुर के आते ही या सामने होते ही घूंघट या चुन्नी का पल्ला सिर पर अपने आप चला जाता है.अपनी माता के किसी भी काम के लिये हमेशा हाजिर होना एक कमजोरी होती है कही सुई भी रखी है तो माता हमेशा अपनी पुत्री को ही पूंछेगी कि वह कहां रखी है.कन्या राशि अपने पति की कमाई को कभी भी समझने वाली नही होती है उसे केवल कमाई के बाद एक ही बात सामने होती है कि कैसे उस पैसे को कहां खर्च किया जाये और जब काम पडे तो पति को बता दिया जाये कि अमुक स्थान पर खर्च हो गया था,अगर खर्च नही करते तो दिक्कत बहुत ही बडी सामने आ सकती थी। इसके अलावा भी एक बात और भी देखी जाती है कि इस राशि की महिलाओ के पति अक्सर नौकरी करते ही नजर आते है कभी भी खुद का काम अगर कर लिया तो जरूरी है कि वे या तो दिवालिया हो जाते है या एक बार धनी होकर निर्धन हो जाते है और उसके बाद वे किसी व्यवसाय को करना तो दूर सोचना भी बन्द कर देते है। नौकरी करने वाले पति अक्सर दूर ही रहते है और कभी कभी ही कन्या राशि वाली पत्नी से मिल पाते है। नौकरी करने का क्षेत्र भी इनके पतियों का बाहर ही रहता है और साल छ: महिने मे इनका मिलना होता है जिससे जो भी आपसी मतभेद होता है वह दूर हो जाता है।
कन्या राशि की पत्नी का स्वभाव कुछ इस प्रकार का होता है कि किसी भी बात मे स्वार्थी और लाभ का भाव पहले देखा जाता है,बेलेंस करने की कला का होना भी होता है,उनेह अपने शरीर से अधिक चेहरे को सम्भालने की बहुत चिन्ता होती है,धन को बढाने के लिये वे किसी साधन की तलास मे हमेशा रहते है और अक्सर इस कार्य को बोली के द्वारा अधिक क्या जाता है,यानी कमाने का क्षेत्र बोलने के द्वारा ही अधिक माना जा सकता है,तुला राशि इस राशि के सामने आती है,वृश्चिक राशि तीसरे भाव मे होने से जो भी कमन्यूकेशन या कार्य शक्ति का उपयोग किया जाता है वह हमेशा गुप्त रूप मे किया जाता है जासूसी की आदत जन्म जात होती है,जब भी कोई बडा काम करने या जिम्मेदारी को निभाने की बात की जाये तो हमेशा कोई न कोई बीमारी का कारण बताकर उससे छुटकारा कर लिया जाता है,दवाइयों अस्पताली कारणो बचत किये जाने वाले धन तथा बीमा आदि के द्वारा पूरा अपने प्रति ख्याल रखा जाता है.अधिकतर पहिनावे मे कत्थई रंगो का अधिक उपयोग किया जाता है.धनु राशि के चौथे भाव मे होने से यह ख्याल हमेशा रहता है कि बडा शानदार घर हो,उस घर मे आने जाने के रास्ते एक नही बल्कि दो दो हों,गाडी आदि के लिये पोर्च भी हो और घनी बस्ती मे मकान का होना भी मिलता है,तीसरे भाव में वृश्चिक राशि होने से पडौसियों से अक्सर मानसिक मुलाकत ही रहती है और एक दूसरे की चुगली वाली बातो से दिक्कत भी आती है अक्सर नाली सडक या किसी प्रकार के अजीब से कारण जैसे टोना टोटका आदि के मामले मे अनबन ही रहती है,कभी कभी तो इन्ही कारणो के कारण मरने मारने की बात भी होती देखी गयी है। तीसरा भाव ही पति भाव से नवा होने के कारण पति के पूर्वजो के निवास को शमशानी क्षेत्र मे बदलने का काम भी माना जाता है अथवा जो पति परिवार की धर्म मर्यादा या रीति रिवाज होते है उनके लिये कोई न कोई अजीब सी बात को पैदा करने के बाद बरबाद भी करते हुये देखा गया है.बुध की राशि मिथुन से जैसे अहसास कराने के लिये माना जाता है वैसे ही बुध की कन्या राशि का स्वभाव मानसिक विरोध पैदा करने के लिये माना जाता है।
कन्या राशि के पंचम भाव मे मकर राशि का असर होने से शनि के गुण सन्तान के अन्दर आजाते है एक बार शिक्षा का टूटना और बाद मे पूरा होना या शादी के बाद शिक्षा को पूरा करना माना जाता है। सन्तान को अपने जीवन साथी को कंधे पर लाद कर चलने वाला भी माना गया है,कारण इस राशि की संतान के अन्दर शनि की रूखी और चालाकी भरी आदत होने के कारण जो भी सन्तान के जीवन साथी होते है वे भावुकता से पूर्ण होते है उनकी भावनाओं की कोई कीमत नही होने के कारण वे अक्सर इस राशि की महिलाओं से दुखी ही रहते है,कारण इस राशि की सन्तान के जीवन साथी के लिये सास हमेशा ही बुरी होती है। पुरुष सन्तान भी अपने को शनि की गिरफ़्त मे आने के कारण अक्सर वह काम कर जाती है जो समाज मे निन्दनीय होते है और स्त्री सन्तान होने के बाद भी अक्सर यही देखा जाता है,भौतिकता मे कितना ही उनके पास बल हो लेकिन सामाजिक बल उनके पास केवल शनि प्रकृति के लोगों से ही होता है बाकी के लिये उनके पास कोई भी परिवार का या समाज का बल नही होता है। कन्या राशि की महिलाओं के छठे भाव मे कुंभ राशि होने से अक्सर इनके लिये मित्रो के भेद जानने और उनकी आय व्यय का ब्यौरा अपने पास रखने से भी माना जा सकता है,यह अपने दिक्कत के समय मे अपने मित्रो को ही प्रयोग मे लाने की कोशिश करते है और मित्रो की भी जान पहिचान अच्छे राजनीतिक लोगों से या पढे लिखे लोगो से होने के कारण उनके काम भी आसानी से निकल जाते है। अचल सम्पत्ति के नाम से उनके पास घर मकान तो कम होते है लेकिन ब्याज से बैंक से बीमा से फ़ायनेन्स से अधिक आय होने की बात भी मानी जा सकती है,सन्तान के द्वारा की गयी कमाई और धन को अधिकतर गुप्त रूप से बनाई जाने वाली जायदाद के रूप मे लगाया जाता है और अक्सर सभी कार्य किस्तो के अन्दर या एक सामयिक अवधि के अन्दर किया जाता है.सन्तान भाव में मकर राशि का प्रभाव होने से एक या दो सन्तान का समय से पहले आक्समिक मृत्यु का कारण भी माना जा सकता है। कन्या राशि के सप्तम मे मीन राशि होने से अक्सर जीवन साथी बडे बडे संस्थानो मे काम करने वाले होते है और उन्हे अपने जन्म स्थान से दूर ही रहना पडता है,जीवन साथी का चुनाव अक्सर जन्म स्थान से दक्षिण-पश्चिम दिशा से ही करना पडता है.पति की कमाई अक्सर लोगो के द्वारा ही होती है और इस राशि के जीवन साथी अक्सर अस्पताली कार्य ब्याज या किराये वाले कार्य बीमा आदि के कार्य लोगों को प्लेसमेंट देने के कार्य सुरक्षा सम्बन्धी कार्य करने जैसे धन की सुरक्षा के कार्य आदि करने के लिये माने जाते है,इस राशि के जीवन साथी भी अपनी अहमियत को धन के रूप मे इसलिये प्रसारित करने के लिये माने जाते है क्योंकि इनके तीसरे भाव मे धन की वृष राशि आती है,यही बात अक्सर इस राशि की स्त्रियों के लिये भी माना जाता है कि वे अपने पैतृक कारणो से अक्सर धन को प्राप्त करने का अवसर प्राप्त करती रहती है,धन की राशि का जिसका मालिक शुक्र है नवे भाव मे होने से धर्म भाग्य मान मर्यादा औकात जीवन का आयाम केवल धन के द्वारा ही देखा जाता है,इसके अलावा उनके लिये जो कार्य विदेश सम्बन्धी होते है वे पाश्चात्य सभ्यता से जुडे माने जाते है और उनके लिये यूरोप जैसी सभ्यता का कारण अपने परिवार मे पैदा करने के लिये भी माना जा सकता है.
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