कल अवधेश ससुराल गये और अपने काम की चिन्ता को भूलकर अपने ससुराल के कामो मे व्यस्त हो गये,वही बात कल बलबीर के साथ हुयी घर से गये थे किसी बैंक वाले काम से और रास्ते मे एक दुकान किराये की तय करके आ गये,कमलेश भी अपनी माताजी के साथ मौसी की मौत की खबर सुनकर दाह क्रिया मे शामिल होने के लिये गये और बदले मे दाह क्रिया मे तो शामिल हो नही पाये यात्रा की दिक्कत झेलने के बाद गुरुजी के दर्शन करने ही चले गये,हर्षवर्धन की बात अजीब ही रही पहले उनका अच्छा काम केबिल सप्लाई का था लेकिन अब उन्होने अपनी दुकान भी बना ली है,मनोहर ने भी अब उन्ही कामो को करने की ठानी है जो दुकान पर बैठ कर नही चलफ़िर कर माल को बेचा जा सके,पवन ने भी जो पैसा उनके पास था उसे खर्च करने के बाद दुकान बनवाने के लिये जमीन खरीद कर डाल दी है भविष्य मे या तो दुकाने बन जायेंगी या अच्छे पैसे मिलने पर जमीन को ही बेच दिया जायेगा। रामकुमार का यह हाल है कि कल तक घूमने फ़िरने से ही फ़ुर्सत नही थी अब सर्दी जुकाम की बीमारी से परेशान है और घर पर पडे है,गर्मी है लेकिन रजाई की जरूरत उन्हे अभी से पडने लगी है,नीरज को भी एक धुन सवार हो गयी है कि घर मे नीचे वाले पोर्सन मे रहने की दिक्कत है तो वे अब ऊपरी मंजिल मे अपने घर को बनवाने के लिये प्रयास मे लग गये है,भंवर सिंह के बडे भाई बीमार है लेकिन वे अपने लडके की बहू के लिये नौकरी खोजने मे लगे है,जय सिंह की पत्नी बहुत बीमार रहने लगी है और इस बीमारी मे भी जय सिंह अपनी नौकरी को करने के चक्कर मे लगातार भागमभाग मे लगे है,समीर भी अपने पिता और दादा की जायदाद को बनाने के लिये अपने प्रयास करने मे लगे है लेकिन उनके साथ समस्या यह है कि वह जायदाद कमाने के उद्देश्य से बनाई जाये या रहने के मामले मे,दयालबाबू का ध्यान अब प्रापर्टी खरीदने बेचने के काम की तरफ़ मन जाने लगा है वे सोच रहे है कि नौकरी मे क्या रखा है.
यह बखान बारह राशियों के लिये शनि के गोचर का था,शनि देव ने अपना गोचर तुला राशि पर करना शुरु कर दिया है,तुला राशि भचक्र की सातवी राशि है और इसका स्वामी शुक्र है.शुक्र और शनि के बारे मे कहा जाता है कि यह जहां भी होते है वहां यह अपनी शरारतो से बाज नही आते है बहुत ही भूखा बताया गया है.इतना भूखा कि लकडी पत्थर चूना सीमेंट बजरी घास फ़ूस अनाज घी तेल दूध दही खट्टा मीठा चरपरा जो भी मिलता है सभी खा जाते है। लेकिन तुला राशि बेलेंस की राशि है और जो भी यह खाते है वह बेलेन्स बनाकर ही खाते है यह नही कि सभी को एक साथ खाना शुरु कर दें,जो अधिक कडा बनता है उसे जल्दी खा जाते है और दर्द भी बहुत देते है लेकिन जो मुलायम होता है उसे देर मे खाते है लेकिन दर्द नही देते है। सूर्य गुरु बुध मंगल चन्द्रमा जो भी अपने अपने समय मे निर्माण करते जाते है यह दोनो एक साथ इकट्ठे होकर उसे खा पीकर बरबाद करते जाते है। पिछले समय में यह एक साथ जब भी कन्या राशि मे इकट्ठे हुये तो काम करने वाले लोगों राज्य से जो भी मिला सभी को साफ़ कर दिया। अब इनका समय राज्य को बल देने वाले व्यवसाइयों पर आया है,यह उन्ही व्यवसाइयों को अपने घेरे मे लेंगे जो राजकीय लोगों को चन्दा देकर अपने कार्य राज्य से करवाने में अपने को महारथी समझते थे। इसके बाद इनका नम्बर वीरान पडी बंजर भूमि और शमशान कब्रिस्तान की जमीनो की तरफ़ जायेगा,वहां यह अपनी चालाकी से अथवा अपनी शातिर नजर से हजम करने के बाद उससे भी कमाने की कोशिश करेंगे और उसे खाने से कोई परहेज नही करेंगे। राहु शनि देव के सामने होने से और राहु का धीरे धीरे शनि देव की तरफ़ बढने से जो लोग धर्म भाग्य ईमानदारी विश्वास आदि को धोखा देने वाले लोग है हिंसा को अपना बल मानते है वे सभी इन शनि देव की तरफ़ बढते जा रहे है। इसी के साथ साथ जो देश या राज्य पहले से ही अनैतिक कार्यों में जुड कर चलने वाले थे सभी इनकी तरफ़ बढते जा रहे है। शनि देव की बिसात को समझने के लिये उस कडक ठंड का अन्दाज करना चाहिये और उस अमावस्या की काली अन्धेरी रात का अन्दाज करने के बाद ही शनि देव के बारे मे सोचना ठीक माना जा सकता है।
घर्म पर घमंड करने वाले लोग भी इनके शिकंजे मे आयेंगे और अपने शरीर का बल नापने वाले लोग भी इनके प्रभाव से अछूते नही रहेंगे,जो लोग अपने को वाहन और बडी बडी बिल्डिंग का मालिक समझ कर अहम करने लगे थे वे भी इनके शिकंजे मे आकर जाम होकर अंधेरे मे विलीन हो जायेंगे। जिन लोगों ने शादी जैसे पवित्र बंधन को भी कमाई और ऐशोआराम के लिये समझा था उनके लिये भी बहुत ही कठिन दिन शुरु हो गये है,या तो उनकी शादी ही नही होनी है और हो भी गयी तो रात रात भर रोने के सिवाय और कुछ नही होने वाला है. जिन लोगों ने न्याय को अपनी बपौती समझ लिया था उनके लिये भी बुरी खबर यह मानी जा सकती है उनकी चालाकी और फ़रेबी कागजों की फ़ौज भी मात खाने वाली है,जो भी राज्य के प्रति अपनी वफ़ादारी को भूल गये थे या तो न्याय को साथ लेकर चलेंगे अन्यथा उन्हे ऐसे बदनामी वाले कारणो मे फ़ंसना पडेगा कि वे अपनी सूरत को छिपाने के लिये जगह को भी खोजेंगे तो नही मिलेगी। वर्तमान मे पश्चिम दिशा के लोगो मे गर्मी अधिक पायी जाती है वह गर्मी अब शांत होकर फ़्रीज होने वाली पोजीशन मे जाने वाली है। साथ ही यह पोजीशन दक्षिण पश्चिम दिशा मे भी होनी है पूर्व दिशा मे भी दिक्कत का कारण बनना शुरु हो जायेगा और उत्तर दिशा मे भी भारी हिमपात जैसे कारणो से कार्य और व्यापार जैसे ठप्प से पडने लगेंगे।
यह बखान बारह राशियों के लिये शनि के गोचर का था,शनि देव ने अपना गोचर तुला राशि पर करना शुरु कर दिया है,तुला राशि भचक्र की सातवी राशि है और इसका स्वामी शुक्र है.शुक्र और शनि के बारे मे कहा जाता है कि यह जहां भी होते है वहां यह अपनी शरारतो से बाज नही आते है बहुत ही भूखा बताया गया है.इतना भूखा कि लकडी पत्थर चूना सीमेंट बजरी घास फ़ूस अनाज घी तेल दूध दही खट्टा मीठा चरपरा जो भी मिलता है सभी खा जाते है। लेकिन तुला राशि बेलेंस की राशि है और जो भी यह खाते है वह बेलेन्स बनाकर ही खाते है यह नही कि सभी को एक साथ खाना शुरु कर दें,जो अधिक कडा बनता है उसे जल्दी खा जाते है और दर्द भी बहुत देते है लेकिन जो मुलायम होता है उसे देर मे खाते है लेकिन दर्द नही देते है। सूर्य गुरु बुध मंगल चन्द्रमा जो भी अपने अपने समय मे निर्माण करते जाते है यह दोनो एक साथ इकट्ठे होकर उसे खा पीकर बरबाद करते जाते है। पिछले समय में यह एक साथ जब भी कन्या राशि मे इकट्ठे हुये तो काम करने वाले लोगों राज्य से जो भी मिला सभी को साफ़ कर दिया। अब इनका समय राज्य को बल देने वाले व्यवसाइयों पर आया है,यह उन्ही व्यवसाइयों को अपने घेरे मे लेंगे जो राजकीय लोगों को चन्दा देकर अपने कार्य राज्य से करवाने में अपने को महारथी समझते थे। इसके बाद इनका नम्बर वीरान पडी बंजर भूमि और शमशान कब्रिस्तान की जमीनो की तरफ़ जायेगा,वहां यह अपनी चालाकी से अथवा अपनी शातिर नजर से हजम करने के बाद उससे भी कमाने की कोशिश करेंगे और उसे खाने से कोई परहेज नही करेंगे। राहु शनि देव के सामने होने से और राहु का धीरे धीरे शनि देव की तरफ़ बढने से जो लोग धर्म भाग्य ईमानदारी विश्वास आदि को धोखा देने वाले लोग है हिंसा को अपना बल मानते है वे सभी इन शनि देव की तरफ़ बढते जा रहे है। इसी के साथ साथ जो देश या राज्य पहले से ही अनैतिक कार्यों में जुड कर चलने वाले थे सभी इनकी तरफ़ बढते जा रहे है। शनि देव की बिसात को समझने के लिये उस कडक ठंड का अन्दाज करना चाहिये और उस अमावस्या की काली अन्धेरी रात का अन्दाज करने के बाद ही शनि देव के बारे मे सोचना ठीक माना जा सकता है।
घर्म पर घमंड करने वाले लोग भी इनके शिकंजे मे आयेंगे और अपने शरीर का बल नापने वाले लोग भी इनके प्रभाव से अछूते नही रहेंगे,जो लोग अपने को वाहन और बडी बडी बिल्डिंग का मालिक समझ कर अहम करने लगे थे वे भी इनके शिकंजे मे आकर जाम होकर अंधेरे मे विलीन हो जायेंगे। जिन लोगों ने शादी जैसे पवित्र बंधन को भी कमाई और ऐशोआराम के लिये समझा था उनके लिये भी बहुत ही कठिन दिन शुरु हो गये है,या तो उनकी शादी ही नही होनी है और हो भी गयी तो रात रात भर रोने के सिवाय और कुछ नही होने वाला है. जिन लोगों ने न्याय को अपनी बपौती समझ लिया था उनके लिये भी बुरी खबर यह मानी जा सकती है उनकी चालाकी और फ़रेबी कागजों की फ़ौज भी मात खाने वाली है,जो भी राज्य के प्रति अपनी वफ़ादारी को भूल गये थे या तो न्याय को साथ लेकर चलेंगे अन्यथा उन्हे ऐसे बदनामी वाले कारणो मे फ़ंसना पडेगा कि वे अपनी सूरत को छिपाने के लिये जगह को भी खोजेंगे तो नही मिलेगी। वर्तमान मे पश्चिम दिशा के लोगो मे गर्मी अधिक पायी जाती है वह गर्मी अब शांत होकर फ़्रीज होने वाली पोजीशन मे जाने वाली है। साथ ही यह पोजीशन दक्षिण पश्चिम दिशा मे भी होनी है पूर्व दिशा मे भी दिक्कत का कारण बनना शुरु हो जायेगा और उत्तर दिशा मे भी भारी हिमपात जैसे कारणो से कार्य और व्यापार जैसे ठप्प से पडने लगेंगे।
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