Friday, February 10, 2012

फ़रेब धोखा जालसाजी

प्रस्तुत कुंडली वृष लगन की है और लगनेश शुक्र अष्ट्म भाव मे मंगल के साथ विराजमान है.केतु बारहवा है राहु छठा है,चौथे भाव के मालिक सूर्य सप्तम मे है,मृत्यु भाव के मालिक और लाभ के मालिक गुरु भी सप्तम मे है,तीसरे भाव के मालिक चन्द्रमा भाग्य मे है,बारहवे भाव और सप्तम भाव के मालिक मंगल लगनेश के साथ अष्टम स्थान मे है। लगनेश के अष्टम मे विराजमान होने के कारण जीवन का समय चोरी से किये जाने वाले काम यानी सेन्ध लगाकर किये जाने वाले काम मृत्यु का प्रकार पत्नी का धन गुप्त धन वसीयत बीमा आदि से मिलने वाला धन उत्तराधिकार के रूप मे मिलने वाली सम्पत्ति खुद के द्वारा अर्जित आय से प्राप्त किया जाने वाला मकान मौत के समय जातक की स्थिति अपने लोगो से दूर हो जाना लिये गये कर्जे को नही चुका पाने के कारण दुख पैदा होना,अक्समात शरीर मे चोट आदि लगने से दिक्कत होना सजा हो जाना बिना किये गये काम का फ़ल भुगतना यानी लांछन लगना गिरने पडने से चोट लगना शरीर में गुप्तांग की स्थिति आदि के बारे मे यह कुंडली अपने प्रभाव को प्रस्तुत करने के लिये मानी जा सकती है। जातक का नाम नरेन्द्र है और जातक कुल चार भाई बहिन है.बडे भाई का कारक गुरु है,उससे बडी बहिन का कारक शनि है,उससे बडी बहिन का कारक चन्द्रमा है.जातक का कारक शुक्र है.पिता के स्थान में शनि विद्यमान है और शनि से तीसरे भाव मे केतु का होना जातक के पिता का धागे से सम्बन्धित कार्य है। शनि का सूर्य बुध गुरु से सम्बन्ध होने के कारण जातक का पिता जो शनि के रूप मे है,दिखाने के लिये तो सिलाई आदि का कार्य करता है लेकिन उसका वास्तविक कार्य शनि से ग्यारहवे भाव मे शुक्र और मंगल के होने से कर्जा दुश्मनी बीमारी से पीडित लोगों का कीमती सामान जैसे सोना चांदी आदि गिरवी रखने का काम है। छठे भाव मे राहु और बारहवे भाव मे केतु के होने से जातक के पिता का रहने वाला स्थान जातक के दादा की पुरानी जायदाद और जमीन आदि को माना जाता है राहु के साथ शनि का योगात्मक रूप होने से जातक का जातीय परिवार बहुत अधिक है।

दिनांक 9 फ़रवरी 2012 को दिन 2 बजे के आसपास जातक स्कूल से वापस घर आ रहा होता है रास्ते मे दो लोग मिलते है। जातक को बुलाते है और उसे उसके माता पिता के बारे मे बताते है घर की स्थिति को बताते है तथा जातक को भय देते है कि उसकी माँ की मौत होने वाली है और वे लोग उसकी माता को बचा सकते है अगर वह अपने घर से जो भी महंगी धातु यानी सोना चांदी को चुपचाप लाकर उन्हे दे दे,जातक अपने घर जाता है माता के काम मे व्यस्त रहने के कारण अलमारी की चाबी लेता है अपने स्कूल वाले बैग मे दो चार किताबो को रखता है और जो भी घर का सोना चांदी होता है वह लेकर ट्यूशन का बहाना करने के बाद चला जाता है और सारा माल उन लोगो बताये गये स्थान पर दे देता है और चुपचाप घर आ जाता है। घर आकर अपने रोजाना के कामो मे लग जाता है,और सहमा सा बना रहता है,शाम को खाना नही खाने के कारण जब माता जोर लगाकर पूंछती है तो रो रो कर पूरी दास्तान को बताता है,लेकिन तब कुछ नही किया जा सकता है। 

जातक के चन्द्र लगनेश शनि है शनि का गोचर वर्तमान मे जन्म के राहु के साथ चल रहा है,राहु का कार्य भय देना होता है और जातक के लगनेश शुक्र पर अष्टम भाव मे होने के कारण जातक को मृत्यु सम्बन्धी भय दिया जाता है। राहु शनि की युति अनैतिक काम करने के लिये भी मानी जाती है। शनि की स्थिति राहु के साथ छठे भाव मे होने के कारण चोरी का कारण भी जातक क लिये माना जा सकता है। जन्म का शनि मार्गी है और गोचर का शनि घटना वाली तिथि को वक्री है। मार्गी शनि जब भी वक्री शनि से नवम पंचम का योग बनाता है वह उल्टे काम करने के लिये माना जाता है। जब राहु का साथ होता है तो किये जाने वाले कार्यों का रूप भ्रम या शक करने वाले कारणो से जोडा जाता है। वर्तमान मे राहु का गोचर भी जन्म के गुरु बुध और सूर्य पर अपना असर डाल रहा है,गुरु बुध और सूर्य वृश्चिक राशि के है इसलिये राहु जो भी असर देगा वह साख को राख बनाने के लिये अपनी शक्ति को देगा। राहु जब भी सूर्य पर गोचर करता है तभी पिता के लिये अशुभ समाचार देने वाला होता है पिता के कार्यों मे आलस होता है साथ ही पिता के कार्यों मे असावधानी देता है। राहु जब बुध के साथ गोचर करता है तो जातक को डर पैदा करने वाले कारण पैदा करता है,जातक को निराशा भी होती है। जब गुरु के साथ राहु का गोचर होता है तो जातक को अपने जीवन से खतरा होता है जातक के दिमाग मे अन्जाने से ख्याल चला करते है मानसिक तनाव भी होता है और डर भी लगता रहता है,मृत्यु का कारक राहु माना जाता है और जीवन का कारक गुरु माना जाता है।

वर्तमान मे फ़रेब का कारण बनने के लिये जो ग्रह युति है उसके अनुसार जातक की लगन मे केतु विराजमान है.इस केतु का सीधा सम्बन्ध तीसरे भाव से भी है पंचम भाव से भी है और सप्तम मे विराजमान जन्म के गुरु बुध सूर्य से भी है.यह केतु जातक के अन्दर याददास्त की कमी पैदा करता है,गुरु से युति मिलने पर जातक को किसी ऐसे व्यक्ति से जान पहिचान होती है जो जातक को जातक के घर वालो के बारे मे पूंछता रहता है जातक को कई प्रकार की बाते बताता रहता है और जातक को अपने वश मे करने के बाद नीति और अनीति के कार्य करवाता रहता है।

प्रश्न यह पैदा होता है कि जातक ने जो कथन अपने घर पर कहा है और जातक की बताई जाने वाली बात का भरोसा कैसे किया जा सकता है:-
  • लगनेश का गोचर वर्तमान मे ग्यारहवे भाव मे है और जन्म के गुरु बुध सूर्य की युति से नवम पंचम का योग बन रहा है,जातक के मित्रों में छठे भाव का मालिक भी शुक्र बनकर विराजमान है,तो क्या जातक गुप्त रूप से अपने मित्रो की सहायता के लिये यह कार्य करता है।
  • जातक के सप्तम का कारक मंगल चौथे भाव मे है और मंगल ही जातक के बारहवे भाव का मालिक है,मंगल वक्री है,तीसरे भाव का मालिक चन्दमा भी वक्री मंगल के साथ है,चौथा भाव और बारहवा भाव यात्रा और घूमने फ़िरने की अपनी युति को देता है,मंगल के वक्री होने के कारण जातक को अपने दोस्तो के साथ कही बाहर घूमने फ़िरने के लिये या यात्रा मौज आदि के लिये पहले से उल्टा प्लान बनाकर तो की गयी साजिस नही है.
  • जातक का चन्द्रमा वक्री मंगल के साथ है और वक्री मंगल के साथ चन्द्रमा की नवम पंचम की युति अष्टम भाव मे विराजमान जन्म के शुक्र मंगल की युति के साथ है,वक्री मंगल और मार्गी मंगल की युति भी जातक को उल्टे काम करने के लिये तथा अपने ही घर मे अपना ही माल लेकर नीच के मंगल की युति को डर की वजह से वास्तव मे समर्पित करने से तो नही है,अथवा वक्री मंगल का साथ चन्द्रमा के साथ होने से माता को मार डालने की बात से डरा कर माता के प्रति उल्टी बात करने के बाद अष्टम के मंगल शुक्र को हासिल करने का उपक्रम भी चालाकी से देखा जा सकता है।
फ़रेब जालसाजी धोखा आदि जानने के लिये यह जरूरी होता है कि जन्म समय का ग्रह गोचर से जब नवम पंचम मे आकर वक्री होता है तो वह जन्म समय के मार्गी ग्रह से अपना उसी क्रम मे धोखा देने वाला होता है। भाव और राशि के अनुसार आसानी से पता लगाया जा सकता है कि धोखा या जालसाजी किस क्षेत्र से किस व्यक्ति से और किस कारक से की जा सकती है।

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