Tuesday, February 7, 2012

कन्या का शनि नवे भाव में

मकर लगन की कुंडली मे कन्या का शनि नवे भाव मे स्थापित होने पर जातक को जीवन मे कार्यों के प्रति धर्म न्याय कानून यात्रा वाले काम विदेशी बैंक मे काम करने का योग आदि माना जाता है। कन्या का शनि सेवा वाले कार्यों के लिये ही माना जाता है जब भी जातक को अपने अनुसार मालिक बनकर काम करने की बात समझ मे आती है यह शनि अपने असर के बाद जातक की शक्तियों को बरबाद करने के लिये भी माना जाता है। जातक को धन से सम्बन्धि शिक्षा भी दिलवाने का काम करता है,जातक के लिये ऊंची शिक्षा आदि का कारक भी माना जा सकता है लेकिन जातक उन्ही शिक्षाओं को अधिक प्राप्त करने की कोशिश को करता है जो काम को करने के बाद सीखी जाती है। यह शनि दिमागी हालत मे बुद्धि को फ़्रीज करने के लिये भी माना जाता है जातक को धार्मिक कामो को करने और धार्मिक कामो में आध्यात्मिकता को लाने भी अपनी कमी को देने के लिये माना जाता है।

शनि एक ठंडा और अन्धेरे को प्रदान करने वाला ग्रह है यह जिस भाव मे जाता है उसी भाव को अपने असर ठंडा कर देता है और जातक को उसी भाव के अनुसार गलत असर को देने के लिये भी माना जा सकता है। शनि को जो भी ग्रह अपना प्रभाव देते है अगर उन ग्रहों में कोई भी ग्रह शनि का शत्रु है तो शनि अपनी युति को उस ग्रह के अनुसार बना सकता है अन्यथा शनि का प्रभाव खराब ग्रह के असर के कारण और भी खराब हो जाता है। एक जातक ने इलाहाबाद से प्रश्न किया है कि उसका मन सरकारी नौकरी मे जाने का है और उसकी कुंडली मकर लगन की है तथा शनि का स्थान नवे भाव मे गुरु के साथ है। गुरु जातक के लिये अष्टम का प्रभाव देने वाला है साथ ही तीसरे भाव का मालिक भी है,इसलिये जातक के लिये तीसरे भाव और अष्टम भाव के कार्य भी करने के लिये जो न्याय तथ कानून के अलावा धन पैत्रिक जायदाद आदि के लिये भी गलत असर देने वाला माना जा सकता है। धन और कानून का सम्बन्ध भी होना माना जा सकता है किसी प्रकार की धन वाली कार्य योजनाओ को भी दिमाग मे रखकर चलना माना जा सकता है। जातक की लगन मे केतु है और केतु का असर मकर राशि मे होने से जातक का ध्यान सरकारी कामो को करने का अधिक माना जाता है जातक का दिमाग एक कामो को पूरा करने से नही होता है वह एक काम को बन्द करने के बाद दूसरे काम को जल्दी से उठाने वाला भी माना जाता है साथ ही दो लोगो को साथ ले जाकर एक के साथ ही चलने वाला होता है। केतु का असर शनि पर आने से केवल सहायता करने वाले काम ही समझ मे आते है और अधिकतर मामले मे जो भी कार्य किये जाते है वह किसी न किसी प्रकार से लोगो के लिये हित करने वाले धन आदि की कानूनी सहायता देने वाले भी माने जा सकते है। चौथे और लाभ भाव का मालिक मंगल है जो बारहवे भाव मे है इस मंगल के कारण यात्रा वाले कामो मे तथा लोगो के लिये रहने उनके लिये इन्तजाम करने आदि के काम भी माने जाते है कानूनी कामो मे जान पहिचान मे खर्च करना भी माना जा सकता है।

जातक के अनुसार उसकी इच्छा सरकारी नौकरी के लिये है लेकिन सूर्य का लाभ भाव मे होना और वृश्चिक राशि मे होना पिता के बाद की नौकरी या अन्दरूनी रूप से रिस्वत आदि देकर नौकरी का करना भी माना जा सकता है इस भाव के सूर्य की युति सप्तम मे चन्द्रमा और राहु के होने से सरकारी सहायता से चलने वाले स्कूलो के लिये भी माना जा सकता है या किसी स्त्री नाम से सम्बन्धित संस्थान मे नौकरी करना भी माना जा सकता है। राहु का चन्द्रमा के साथ होना और सप्तम मे बैठे होने के कारण जातक की निगाह हमेशा उन्ही कामो के अन्दर जाती है जहां से जनता से जुडे काम हो और उन कामो से जातक को कोई अवैद्य कमाई करने का कारण मिलता रहे। कार्य स्थान मे शुक्र बुध के होने के कारण जातक जो भी कार्य करना चाहता है वह कार्य अक्सर उन्ही कारको मे होते है जहां या तो व्यापारिक कार्यों को किया जाये या किसी जमीनी काम को करने के लिये भौतिक कारणो को प्रतिस्पर्धा से किया जाये। इस प्रकार के कार्य सरकारी ठेके मे ही देखने को मिलते है वैसे जातक को कानूनी क्षेत्र मे वकालत से जुडे कार्य या किसी न्याय सेवा या स्कूल कालेज मे धन को संभालने वाले काम करना उचित माना जा सकता है। 

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