Thursday, February 9, 2012

प्रेत बाधा

शमशानी राशि वृश्चिक लगन है मंगल केतु दोनो मिलकर लगन मे ही विराजमान है,जब भी केतु किसी भी ग्रह के साथ बैठता है तो वह ग्रह और भाव दोनो के बल को अपने अन्दर सोख लेता है। मंगल का केतु का प्रभाव लेकर असर चौथे भाव के शुक्र पर है और मंगल की आमने सामने की युति सप्तम के राहु पर भी है। केतु का असर मंगल के असर के साथ शमशानी भाव लेकर पंचम के सूर्य और बुध पर भी है। लगनेश मंगल लगन मे है,धनेश गुरु धन मे है,शुक्र और शनि का परिवर्तन योग है। चन्द्रमा से सूर्य अष्टम मे है। चन्द्रमा से सूर्य अष्टम मे होने पर अक्सर माना जाता है कि शमशानी आत्मा और ऊपर का प्रभाव जातक के अन्दर समाहित हो जाता है इस ऊपर के असर को समाहित करने के लिये जातक का शुक्र और शनि का परिवर्तन योग अपना असर देता है। जो शुक्र मित्र भाव वाली राशि मे चौथे भाव मे विराजमान है,उस शुक्र को अपने निजी लाभ के शनि की चतुराई में लाकर अपने खुद के धन और मानसिक सन्तुष्टि के लिये पहले प्रयोग मे लाना फ़िर उस शुक्र का शोषण करने के बाद उसे अपने हल पर छोड देना। अक्सर इस बात को और समझने के लिये हमे राहु की स्थिति को भी देखना जरूरी होगा। राहु पर असर केवल मंगल केतु के द्वारा ही मिल रहा है मंगल का असर केवल शुक्र पर है और केतु का असर सूर्य और बुध पर भी है। यह योग जातक के अन्दर एक तकनीकी दिमाग को देने वाला है जिस तकनीकी दिमाग से जातक धन कमाने के लिये शुक्र यानी स्त्रियों का प्रयोग करता है,उनसे मानसिक रूप से पहले दोस्ती करता है फ़िर उन्हे अपनी स्थिति के अनुसार पत्नी के रूप मे लाता है और जब उस स्त्री से धन और मन की सन्तुष्टि हो जाती है तो वह उस स्त्री को त्याग देता है। इस प्रकार का योग अक्सर जातक की कुंडली मे प्रेत बाधा के कारण ही मिलता है। जो पुरुष अपनी कामोत्तेजना को शांत करने के लिये विभिन्न स्त्रियों को प्रयोग मे लाते है वे स्त्रियां कहने को तो जातक की संतुष्टि करती है लेकिन वह सन्तुष्टि जातक की नही होकर जातक के खून के अन्दर उपस्थित प्रेतात्मक शक्ति की होती है। इसके अलावा भी जिस कुंडली मे इस प्रकार का योग अगर स्त्री की कुंडली मे होता है वह स्त्री भी पिशाचनी बाधा से पूर्ण मानी जाती है,वह पुरुषों को अपने प्रयोग के लिये उपयोग मे लाती है तरह तरह के प्रलोभन देकर पुरुषों को अपनी हवस का शिकार बनाती है,जब पुरुष की शक्ति क्षीण होने लगती है तो वह अपने खून की कमी से खुद ही तरह तरह की बीमारियों से ग्रसित होकर मरने के लिये मजबूर हो जाता है। अक्सर देखा जाता है कि एक बूंद वीर्य को बनाने के लिये चालीस बूंद खून की जरूरत पडती है और चालीस बूंद के निर्माण के लिये तीस दिन की सही खुराक की जरूरत पडती है,जब पुरुष अपने वीर्य को इस प्रकार की स्त्रियों के संसर्ग मे खत्म करता रहेगा और खुराक के नाम पर वह जो रोज मिल रहा है उससे दूर होता रहेगा तो एक तरह से पिशाचिनी के रूप मे खून का पीना ही माना जा सकता है,उसी प्रकार से जब किसी पुरुष के अन्दर कामोत्तेजना अधिक होगी और वह बार बार नई नई स्त्रियों के लिये अपनी चाहत बनाये रखेगा तथा जिस स्त्री से अपना सम्पर्क बना कर रखेगा जब वह स्त्री या तो असमर्थ हो जाये या अपनी सम्पूर्ण ताकत को रज की कमी से उसी तरह से खत्म कर ले जैसे पुरुष अपने वीर्य को समाप्त करता है तो समझना चाहिये कि पुरुष के रूप मे एक पिशाच उसके खून को खत्म कर रहा है। उपरोक्त कुंडली वाले जातक ने पहले शादी अपने घर वालो की मर्जी से की,एक साल मे ही उस स्त्री की मौत एक अजीब सी बीमारी के कारण हो गयी,दूसरी शादी उसने अपने मित्र मंडली से की उस स्त्री के पिता परिवार मे कोई नही था,पूरा धन इस जातक के पास आने के बाद तथा धीरे धीरे उस स्त्री की हालत अनजान बीमारी से समाप्त होती गयी,कहने को तो पीलिया हुआ था लेकिन वह पीलिया वाली बीमारी नही कही जा सकती है,सूख सूख कर कांटा होती गयी वह दूसरी स्त्री भी चल बसी। तीसरी स्त्री के आने के बाद जातक की जिन्दगी कुछ समय के लिये सामान्य सी हो गयी लेकिन वह स्त्री भी बीमार रहने लगी और अपने मायके मे जाकर रहने लगी। 

1 comment:

  1. Manane wali Shayari In Hindi We are sharing the latest collection of Manane Ki Shayari with Images. Find the best Photos, Messages, Quotes, Status, Videos on our blog.

    ReplyDelete