Saturday, February 11, 2012

क्या मैं धनी और सफ़लता प्राप्त करूंगा ?

धनु लगन की कुंडली है लगनेश गुरु है गुरु का स्थान चौथे भाव मे है,लगनेश गुरु का चौथे भाव मे होना उच्च का माना जाता है और इस चौथे भाव से सम्बन्धित कारको ले लिये जातक के पास बुद्धि असीमित मात्रा मे होती है। गुरु जिन कारको पर अपनी नजर दे रहा है उनके अन्दर गुरु से आगे मंगल जो गुरु की तीसरी द्रिष्टि से पूर्ण है,गुरु के पंचम में अष्टम भाव मे वक्री शनि गुरु से सप्तम में दसवे भाव का प्लूटो और गुरु के नवे भाव मे मंगल की वृश्चिक राशि। इस युति से गुरु जब छठे भाव के मंगल को अपनी युति देता है तो मंगल के बैठने वाले स्थान को देखना जरूरी है यह स्थान वृष राशि का है और इस राशि का सम्बन्ध धन और भौतिक कारणो से देखना होता है। इस राशि के पहले भी एक बात का ख्याल रखना जरूरी है कि कालपुरुष की कुंडली के अनुसार यहां बुध की कन्या राशि का भी असर मिलता है,इस प्रकार से मंगल जो कुंडली से बारहवे भाव का भी मालिक है और पंचम का भी मालिक है इसलिये मंगल यहां शुक्र की राशि और गुप्त रूप से बुध की कन्या राशि मे आकर कमजोर हो गया है। जातक को जब भी धन की जरूर पडेगी वह या तो उधार लेकर अपने धन का बन्दोबस्त करेगा या किसी बैंक आदि से लोन लेकर अपने कार्यों को करेगा अथवा किसी की नौकरी करने के बाद ही धन को प्राप्त कर सकता है। इस मंगल की नजर को भी देखना पडेगा,मंगल का पहला असर जातक के भाग्य भाव मे है जो सूर्य की सिंह राशि है जातक अपने अनुसार अपने भाग्य को कन्ट्रोल करने के लिये और भाग्य से सम्बन्धित कामो के लिये अपनी बुद्धि को प्रयोग मे लायेगा,इस राशि का गुप्त प्रभाव धनु राशि से भी सम्बन्ध रखता है इसलिये जो भी कार्य जातक को कन्ट्रोल करने के होंगे वह सरकारी रूप से न्याय राजकीय बलो से सहायता यात्रा आदि के लिये लोगो का भला करना या उनके लिये कार्य करने के बाद धन आदि की प्राप्ति करना,धर्म स्थानो पर अपने कार्यों को करना और वहां से खरीदी बेची जाने वाली चीजो का व्यापार आदि करना माना जाता है। इसके अलावा मंगल का असर सीधा बारहवे भाव मे जाता है जहां मंगल की ही अपनी राशि वृश्चिक है इस राशि को शमशानी राशि से भी जाना जाता है और जमीन के अन्दर से प्राप्त वस्तुओं को खरीदने बेचने का कारण माना जाता है इस प्रकार से जातक की रुचि गुप्त रूप से धन को प्राप्त करने के लिये इसी प्रकार की चीजो को खरीदने बेचने आदि का काम भी करना समझ मे आता है। मंगल का कन्ट्रोल लगन पर होने से और लगन मे धनु राशि होने से जातक जो भी काम करेगा वह कानून से विरुद्ध टेक्स आदि के बचाव के साधन कानून को काटने के काम आदि करना माना जाता है। इसी गुरु का प्रथम पंचम प्रभाव जातक के मृत्यु भाव पर भी जाता है जहां शनि वक्री होकर धन और अपना दिखावा करने की राशि के मालिक है। इस भाव मे कर्क राशि है और यह राशि जनता पानी के साधन खजाना आदि के लिये जानी जाती है लेकिन शनि के वक्री होने के कारण जातक को गुप्त धन रहस्य और गुप्त रूप से जनता के अन्दर किये जाने वाले कामो का करना भी माना जा सकता है। जातक के अन्दर जमीन मकान जायदाद वाहन आदि खरीद कर बेचने का काम करने की बुद्धि को भी माना जा सकता है। शनि जो भी कार्य करेगा वह अपने असर से जातक के दसवे भाव से जातक के धन भाव से और जातक के पंचम भाव से जुडे ही काम करने के लिये माना जायेगा। शनि की तीसरी नजर दसवे भाव मे जाने से जातक सरकारी मशीनरी जो मशीनी कामो के लिये जानी जाती है जैसे कागजो का बनवाना सरकारी महकमे के लिये मशीनी काम करना लोगो की सुख सुविधा के लिये किये जाने वाले कामो का आकलन करने का काम करना,गुप्त रूप से नक्से आदि के बनवाने और जमीन आदि की रजिस्ट्री आदि करवाने के लिये भी अपना काम करना माना जा सकता है इसके बाद शनि की नजर जातक के दूसरे भाव मे स्थापित बुध और शुक्र पर भी है शुक्र जातक के लाभ भाव का भी मालिक है और नौकरी कर्जा दुश्मनी बीमारी आदि का भी मालिक है जातक अपने ज्ञान के अनुसार शुक्र सम्बन्धी कारको से राज्य सेवा या इसी प्रकार की सन्स्था से जुडे होते है के लिये अपने कार्यों को करेगा,और जो लोग धन आदि से अपने कामो को सरकारी क्षेत्र की भवन कालोनी आदि के लिये कार्य किये जाते है उनके खरीदने बेचने आदि के काम करने के लिये भी अपनी युति को प्रदान करेगा। बुध के साथ शनि का सम्बन्ध होने के कारण जातक राजयोग मे भी अपनी साझेदारी को पैदा करेगा इस कारण से जो भी कानून या राजकीय कार्यों मे दक्षता या नेता जैसे काम करने वाले है उनके लिये भी अपनी योजना से काम करवाने के बाद धन को प्राप्त करने का कारण जाना जाता है। इसके अलावा शनि की नजर पंचम स्थान मे केतु पर जाने से जातक को खरीद बेच करने जुआ लाटरी सट्टा जैसे कामो को भी करने का शौक होगा और वह जल्दी से धन कमाने के कारणो को दिमाग मे लाकर अपने कार्यों को करने का बल भी प्रसारित करेगा। जातक के लाभ भाव मे राहु चन्द्र के होने से जातक को खुद भी पता नही होगा कि जातक कितना धन कमा रहा है और कहां से धन आ रहा है और कहां जा रहा है। चन्द्रमा के साथ राहु के होने से चन्द्रमा के कारक मन और माता पर अक्सर यह चिन्ता का कारण भी बन सकता है और जातक के लिये अपनी आय का कुछ भी समझ नही होने से जातक खर्चा करने मे भी कोताही कर सकता है। राहु का प्रभाव सूर्य पर होने के कारण जातक अपने को राजनीति से सम्बन्धित व्यक्तियो से अपनी दोस्ती भी रखेगा और अक्सर उन लोगो के साथ चल कर अपने को राजनीति से जुडा भी बताने की कोशिश करेगा।

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