Saturday, February 18, 2012

भाई की मृत्यु कैसे ?(दुर्घटना या मर्डर)

प्रस्तुत प्रश्न कुण्डली मेष लगन की है,गुरु लगन में है,केतु दूसरे भाव में मंगल वक्री पंचम भाव में शनि वक्री सप्तम भाव में राहू अष्टम में चन्द्रमा नवे भाव में सूर्य ग्यारहवे भाव में बुध ग्यारहवे भाव में है.प्रश्न का कारक पंचांग के अनुसार शनि को माना जाएगा,कारण गुरु का नक्षत्र अश्विनी है और इस नक्षत्र का मालिक केतु है,नक्षत्र का पाया शनि का है,दूसरे भाव में केतु है केतु रोहणी नक्षत्र में है इस नक्षत्र का पाया भी शनि का है शनि वक्री होकर सप्तम में विराजमान है,जिस दिन प्रश्न किया गया है उस दिन का वार भी शनि का है,प्रश्न करता का आगमन भी रात को हुआ है इसलिए रात का समय भी शनि का है,शीत ऋतू है इसलिए यह ऋतू भी शनि की है,शनि के द्वारा चन्द्र सूर्य बुध गुरु द्रष्ट है इसलिए शनि की अधिक ग्रहों अपर नजर है,शनि ने गुरु को नजर देकर तथा गुरु ने पंचम मंगल को नजर दी है पंचम  मंगल वक्री है इसलिए अपनी नजर राहू को ही है,राहू ने मंगल के द्वारा शनि सूर्य बुध गुरु केतु की नजर लेकर अष्टम का फल प्रदान किया है.सबसे पहले प्रश्न कर्ता के बारे में जानना जरूरी है,प्रश्न कर्ता लगन है,प्रश्न जिससे किया जाता है वह सप्तम है प्रश्न का रूप प्रदर्शित करने के लिए प्रश्न कर्ता प्रश्न का जबाब देने वाले की योग्यता का परिचय लेना चाहता है की उसके मन में किस बात का प्रश्न चल रहा है.


कुंडली में शनि का स्थान वक्री होकर सप्तम में है,प्रश्न शनि से सम्बंधित है,शनि कार्य का भी मालिक है और शनि बड़े भाई का कारक होने के साथ साथ मित्रो का भी कारक है.शनि का स्थान मंगल और राहू के बीच में होने से तथा लगनेश मंत्रणा राज्य विद्या बीमारी का कारण मनोरंजन यात्रा के बाद मिलने वाली संतुष्टि में होने से राहू का मृत्यु के भाव में होने से और राहू का रूप लगनेश के मानसिक प्रभाव में मृत्यु संबंधी कारण को जानने के लिए तथा उस मौत संबंधी तथ्य को जानने के लिए अपनी शंका को बताना जाना जा सकता है.


शनि के अष्टम में केतु के होने से बड़े भाई या मित्र की मृत्यु से सम्बंधित प्रश्न है,शनि के सामने राहू के होने से शनि का रूप राख के रूप में माना जाता है,मृत्यु देने का कारक भी शनि से दूसरे भाव यानी मारक स्थान में होने के कारण राहू को ही माना जाता है,मृत्यु का कारण पैदा करने के बाद मृत्यु का रूप देने के लिए राहू केतु के रूप में मृत्यु को कारित करना माना जाता है.केतु मौत को देने का मालिक है.


राहू मौत देने के कारण को गुरु से और वक्री मंगल से प्राप्त करता है.वक्री मंगल को बल देने के लिए ग्यारहवे भाव का सूर्य और बुध बल दे रहा है,शनि वक्री सूर्य और बुध को राजनीति के क्षेत्र में बल देने के लिए माना जाता है और शनि वक्री का रूप एक प्रकार से वक्री मंगल से पहले अपने बड़े भाईके रूप में भी माना जाता था लेकिन किसी प्रकार की राजनीतिक सोच के चलते इस मंगल ने शनि को राहू के द्वारा बल देकर और फरेबी कारण पैदा करने के बाद पहले शनि को बाहर बुलाता है बुलाने का कारण केतु से जोड़ा गया है,बुलाकर कुछ खिलाने पिलाने में मिला कर दिमाग को बाधित करता है,कार्य और कार्य के बाद मिलाने वाले धन को प्राप्त करने तथा उसे राजनीतिक कारणों से दूर हटाने के लिए केतु के द्वारा पहले मारा जाता है,फिर एक्सीडेंट का रूप दिखाने के लिए किसी सामान ले जाने वाली गाडी से लगन से चौथे भाव के कारक चन्द्रमा को बुरी तरह से तहस नहस किया जाता है.

13 comments:

  1. janma 30/07/1968 05;50am 73;51E ,18;31N OUR mrutyu 25/11/2010 07;30am to 07;45am jatak ke kutumb me jyada tar ladkonki kundali me dashmesh astam ya vyay me hai . mrutyu ke bareme sandeha hai / aapki kya raay hai ?

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  2. अष्टमेश शनि और पंचमेश मंगल की युति है अष्टमेश शनि दसवे भाव मे है और पंचमेश मंगल लगन मे है,चन्द्र बुध का परिवर्तन योग है,शनि बुध का षडाष्टक योग है,परिवर्तन शील दिमाग और अक्समात दिमाग बदलाव का कारक बनता है,मृत्यु के कारक शनि से चौथे भाव मे सूर्य मंगल बुध शुक्र विराजमान है मौत का कारण एक्सीडेन्ट बनता है अस्पताल मे मृत्यु होती है,चन्द्र केतु के एक साथ रहने और बुध के परिवर्तन योग के कारण घर की संतति के दसम मे मृत्यु के कारक जाना और चन्द्र केतु से बारहवे भाव मे गुरु के होने से घर की संतति के बारहवे भाव मे अष्टमेश का होना दर्शाता है,दसम मे मृत्यु के कारक का जाना बाताता है कि पिता की मौत दुर्घटना में कार्य की तल्लीनता मे होती है वही बारहवे भाव मे जाने से पिता की मौत पिता के बडे भाई के रूप मे घर से बाहर हुयी है आदि बातो को दर्शाता है.

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  3. Do bhai our teen bhai ke ladke aise pach ek hi umarke ladke hai(the)/jinko pitaka sukh nahi mila/ unmese ek ki mrutyu ho gai/ in pach me se char ki kundali me dashamesh ashtam ya vyay me hai /our in pacho ki 6 putra santati me se 4 ki kundali me bhi dashamesh astam ya vyay me hai / to kya ye shapit pariwar hai?

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  4. जिनकी कुंडली से दशमेश का दूषित होना शुरू हुआ है अर्थात दशमेश आठवें या व्यय भाव में कब से जा रहा है?अगर पीछे जा कर इसकी जानकारी लग सकती है आपको कहीं से, तो जहाँ तक मैं समझ पा रहा हूँ ,जिसकी कुंडली में यह योग सर्वप्रथम आया था उनके पिता जी का विधिवत संस्कार शायद नहीं हो पाया था.या तो वो कहीं चले गए थे ,या कोई अनहोनी उनके साथ घटित हुई हो या कोई और कारण रहा हो .अब इस कारण ये दोष एक प्रकार के पितृ दोष के रूप में दिखाई पड़ रहा है.क्या कोई जानकारी दे सकते हैं आप?हालाँकि मैं जानता हूँ की प्रस्तुत प्रश्न मुझ से नहीं हुआ है किन्तु ज्योतिष का एक जिज्ञासु छात्र होने के नाते इस पर नजर पड़ने के पश्चात मैं स्वयं को नहीं रोक पाया जिसके लिए क्षमा प्रार्थी हूँ.

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  5. राहु के अष्टम मे जाते ही और राहु के आगे चन्द्रमा होने से पितृदोष की उत्पत्ति अपने आप ही पैदा हो जाती है इसके अलावा भी पंचम मे जब मंगल वक्री है तो जो दोष खून के अन्दर है वह दोष पिता के परिवार से ही शुरु होता है,राहु जो दादा का कारक है वह अष्टम स्थान यानी शमशान मे जातक के जन्म समय तक राख के रूप मे पडा है और सूर्य जो पिता के धन पर ऐश करता रहा तथा संतान के अन्दर वह भाव नही भर पाया जो एक पिता संतान को अपने पूर्वजों से सीख कर भरता है तो संतान इसी तरह से मृत्यु को प्राप्त होती है भटकती है और जीवन मे सफ़लता या तो ले नही पाती है या जीवन के उत्तरार्ध मे अपने द्वारा कोई नेकचलनी के कार्य करने के बाद प्राप्त कर लेती है.शायद आपको समझ मे आ गया होगा.

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  6. आपका इशारा मैं समझ गया हूँ और आपके आशीर्वाद से मैं भी इसी दिशा की और बढ रहा था.इस परिवार की समस्या अब मेरी समझ में भली भांति आ चुकी है. सादर चरण स्पर्श .

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  7. आप ब्राह्मण है मुझे पाप मे न डाले केवल अपना आशीर्वाद बनाये रखें.आपका आभार.

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  8. मेरी ज्योतिष की शिक्षा जिन आचार्य के चरणों में रहकर हुई है ,इस दकियानूसी समाज में उन्हें भी वर्ण व्यवस्था के आधार पर चतुर्थ दर्जे का समझा जाता है.किन्तु मेरे लिए वो ईश्वर के समतुल्य हैं.मैं जाति से ब्राह्मण अवश्य हूँ किन्तु ज्ञान में आपके चरणों की धूल के सामान भी स्वयं को नहीं पाता. आपकी कृपा दृष्टी पा सका तो स्वयं को सफल समझूंगा. कभी समय हो तो एक बार आपके चरण मेरे ब्लॉग पर भी डालें व आपकी अमूल्य टिप्पणी से मेरा मनोबल बढाएं .धन्यवाद्.

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  9. सन 1970 मे शनि मंगल के बारे में छठे भाव मे होने पर विचार किया जाता था कि गुरु की द्रिष्टि नही होने पर चमडा काटने के काम में निपुण है.
    सन 1980 में जब विचार किया गया तो पता लगा कि कारीगरी में निपुण है.
    सन 2000 मे विचार किया गया कि धन के बारे मे सही आकलन करने और फ़ैक्टरी कारखाने मे लेबर से तकनीकी काम को करने के लिये सही है.
    सन 2012 में धर्म स्थान में पूजा पाठ करवाने केलिये भी शनि मंगल को गिना जाने लगा और होटल मे नौकरी करने के साथ साथ बैंक आदि से लोन की रीकवरी के लिये अनुमान लगाया जाने लगा.
    इस मामले मे प्लूटो को पढना बहुत जरूरी है,राशि के परिवर्तन करते करते यह क्या से क्या कर जाता है बाद मे पता लगता है.

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  10. सर जी

    आपसे एक विनम्र प्रार्थना है क्रप्या आप मेरे भी एक प्रश्न का समाधान करें. मेरे जन्म का समय मालूम नहीं हैं. इसलिए आप प्रश्न कुंडली से बता सकते है. आपकी सहायता मेरे जन्म को एक लक्ष्य देगी. आज तक का जीवन मेरे लिए व्यर्थ ही सिद्ध हुआ है. मैंने जीवन में कुछ भी हासिल नहीं किया है. क्रप्या मेरा मार्गदर्शन करें.

    मेरा प्रश्न हैं उस ईश्वर, सर्वोच्च सत्ता ने मुझे आज तक क्यों जीवित रखा है. वो मुझसे क्या चाहता हैं? क्रप्या बतायें...

    सधन्यवाद

    रेखा कल्पदेव

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  11. Sir plz mujhe btaye ki mai kb apni presani se mukt hongi

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