Saturday, February 18, 2012

धन कमाने के कितने ही तरीके होते है ?

    धन कमाने के कितने ही तरीके होते है,कोई तन से धन कमाता है,और कोई मन से धन कमाता है,कोई धन से ही धन कमाता है,तन से धन कमाने वाले अपना पसीना बहाकर धन को कमाते है,उनके पास तरह तरह की कलाकारियां और मेहनत करने वाले तरीके होते है,कोई अपने तन को नचाता है,कोई अपने तन को खूबशूरत बनाकर दिखाता है,कोई अपनी ताकत को अपनाकर धन कमाता है,और कोई अपने बाहुबल से धन के लिये बाजार में कूदता है,कोई अपने तन को खतरे में डालकर वाह वाही के साथ धन कमाता है,कोई धन के लिये अपने शरीर को डकैत का रूप देकर जबरदस्ती धन को लूटता है,इसी प्रकार से मन से धन कमाने वाले अपने मन के अन्दर नई नई स्कीमे बनाते है,लोगों को देते है और धन कमाते है मन से ही कविता बनती है,मन से ही प्लान बनते है,और मन से ही कितने ही प्रकार के आपाधापी वाले काम किये जाते है,धन से धन कमाने के लिये कोई जुआ खेलता है,कोई बैंक की स्कीमों के अन्दर अपने धन को लगाता है,और ब्याज से धन को कमाता है,कोई सट्टा का बाजार लगाकर अपना धन कमाता है,कोई शेयर बाजार में अपना धन लगाकर धन को कमाता है,अधिकतर एक नम्बर का जुआ बाजार शेयर बाजार है,और बाकी में सट्टा लाटरी जुआ आदि दो नम्बर के बाजार बन जाते है,शेयर बाजार को लोग अपनी अपनी स्कीमे बनाकर चलाते है,कोई सपोर्ट लेबल से काम करता है,कोई रजिस्टेंस लेबल से काम करता है,और कोई धन को अधिक करने के चक्कर में केलकुलेसन को अपना कर शेयर बाजार को चलाता है,फ़ायदा केवल एक ही व्यक्ति को मिलता है,वह व्यक्ति होता है,दलाल यानी ब्रोकर,मरो या जिन्दा रहो,उसका कमीशन तो पक्का था,पक्का है और पक्का रहेगा,साथ ही सभी तो दलाल बन नही जाते,कितनी ही कुबानियां देने के बाद दलाल बना जाता है,जैसे ओन लाइन मनी ट्रांसफ़र के लिये् बैंक के एकाउन्ट,दलाली करने के लिये लाइसेंस,और न जाने क्या क्या।
    कहावत है कि "पहली जीत,मंगावे भीख",अधिकतर मामलों में गये धन को रीकवर करने के लिये और अधिक धन गंवाया जाता है,"जो जीता सो सिकन्दर",वाह वाही के चक्कर में और दूसरों की देखा देखी,जनता की भेड चाल अपने को बरबाद करने के लिये काफ़ी है,एक जानकार है,उनका एक ही उद्देश्य है कि वे लीक से हट कर देखते है,और उनका धन का तीर हमेशा ही निशाने पर लगता है,जब भी बाजार में मंदी का दौर गुजरता है,वे सबसे कम कीमत के शेयर को उठा लेते है,वे किसी भी शेयर को सत्ताइस दिन के पहले नही बेचते,उनसे पूंछने पर कि छब्बिसवें दिन की कीमत की अपेक्षा उनके द्वारा बेचा जाने वाला शेयर दो रुपय कम कीमत में गया है,तो उनका कहना कि धन तो संसार में भरा पडा है,तकदीर और तदवीर में कहीं तो फ़र्क होगा ही,अगर नही होता,तो लोग तकदीर नामका शब्द ही डिक्सनरी से हटाकर फ़ेंक देते,हम से भी दिमाग वाले पहले पैदा हो चुके है,और हम से अधिक जटिल परिस्थितियों के अन्दर रहकर उन्होने काम किया है,हम तो भी सौभाग्यशाली है,कि हर काम को किसी के द्वारा बनाये गये पैमाने के अनुसार करना पड रहा है,अगर उस पैमाने को नही बनाया गया होता,तो जंहा पर हम आज बिना किसी मुशीबत के चढे चले जाते वह मुश्किल ही था।
    अर्थशास्त्र की एक परिभाषा ह्रासमान तुष्टिगुण नियम के अनुसार कभी भी और कहीं भी खरी उतरती रही है,और आगे ही उतरती रहेगी,कि वस्तु कम तो कीमत अधिक और कीमत कम तो वस्तु अधिक,समय पर फ़सल की तरह से सभी वस्तुओं के उतार चढाव को देखा जाता है,समय को देखकर एक कूंजडा भी अपनी सब्जी का भाव प्राप्त कर लेता है,और समय को न समझ पाने की स्थिति में एक धन्नासेठ भी कंगाल होकर और अंगोछा पहिन कर बाजार से पलायन कर जाता है,तुलसीदास को कोई नही मानता हो,लेकिन उनकी रामचरित की चौपाइयां हर प्रकार से हर जगह पर चरितार्थ होती देखी गयी है,उन्होने एक चौपाई में लिखा है,"धर्म से बिरति,बिरति से ग्याना। ग्यान मोक्षप्रद वेद बखना॥",और आगे लिखा है कि,"तामस जग्य करहिं नर,भक्ष्य अभक्षय खाहिं",फ़िर उसका फ़ल भी लिखा है,"कालहि कर्महिं ईश्वरहिं मिथ्या दोष लगाहिं",सारांश में कहा जा सकता है कि धर्म का मतलब मन्दिर में माथा टेकने से कम और ध्यान करने से अधिक लिया जाता है,अगर व्यक्ति कुछ समय तक अपने दिमाग को शांति की स्थिति में रखकर अपने बिरति यानी कार्य के प्रति सोचता है,तो उसका कार्य जो वह करने जा रहा होता है,उसके प्रति ज्ञान मिलता है,और जैसे ही ज्ञान प्राप्त होता है,और उस ज्ञान को वह किसी भी कार्य क्षेत्र में प्रयोग करता है,उसे सफ़लता मिलती है,यही सफ़लता नाम ही मोक्ष का अर्थ है। 
    धर्म काम अर्थ और मोक्ष का चक्र हर व्यक्ति की जिन्दगी में चला करता है,लेकिन जो भी व्यक्ति इस चक्र को जानता है,उसका नाम सामने होता है,लोग उसे इतिहास पुरुष मानने लगते है,लेकिन जो शरीर,दिमाग,शक्ति,सामने वाले के पास है वह हर किसी के पास है,अगर धर्म यानी ध्यान से उसे जगाना आता हो,वरना तो हर कोई खाना,पीना हगना, मूतना सोना बच्चे पैदा करना जानता है,बाकी का नब्बे प्रतिशत तो जगाया ही नही गया,मानव शरीर के लिये जो पदार्थ बनाये गये है,उन्ही को खाना हितकर होता है,अन्यथा बिनाखाने वाली वस्तुओं को अभक्षय माना जाता है,जैसे शराब कबाब भूत का भोजन आदि,इनके खाने पीने के बाद दिमाग में तामस जगता है,और तामस के चलते,बाजार से कोई भी वस्तु उठाने का ब्लात प्रयोग किया जाता है,परिणाम स्वरूप जब भयंकर हानि होती है,तो दोष दिया जाता है कि समय खराब था,ईश्वर को मंजूर था,कर्म के अन्दर कोई खोट आ गयी थी,आदि आक्षेप अन्यत्र के सिर मढ कर व्यक्ति बचना चाहता है।ध्यान से कार्य,कार्य से अर्थ,और अर्थ से मोक्ष प्राप्त किया जा सकता है,लेकिन तीन बातों को मनन करने के बाद।
    तीन बातों को मनन करने के लिये किसी फ़ारसी को नही पढना पडता है,केवल तीन बातों को समझने के लिये आपको तीन दिन पीछे जाना पडता है,एक कापी उठाइये,और तीन दिन पहले आपने क्या छोटे से छोटा और बडे से बडा कार्य किया है,उसका परिणाम क्या आपकी समझ में आया,उस परिणाम में और आज के परिणाम में क्या अन्तर है,अगर आपको अन्तर समझ में आता है,तो आप जाग रहे है,और समझ में नही आता है,तो आप सुषुप्त अवस्था में है,और अगर आपकी दूसरी अवस्था है,तो आप हर्गिज किसी योजना को पारित करने की कोशिश मत करिये,और आप अगर आप पहली अवस्था में हैं, तो आपको कल जो बीत गया है,उसके बारे में लिख डालिये,और फ़िर आज अभी तक गुजरे समय में आपने जो भी किया है,उसके बारे में भी जान लीजिये सभी तरीके से आप धनात्मक है,तो योजना को पारित करने में देर मत लगाइये,क्योंकि सफ़लता आपके पास खडी है,यही तीन बातें ध्यान करने की है,और यही तीन बातें आपको तीन दिन के जाग्रत,सुषुप्त और अर्धजाग्रत का परिणाम दे सकती हैं।
शेयर बाजार में कमाने के लिये आप को ध्यान करने की अधिक जरूरत है,और जो विधि कमाने की है,उससे आगे पीछे मत जाइये,ध्याता करेगा ध्यान,तो बनेगा धनी,चाहे वह ज्ञान में हो या धन में। अधिकतर लोग खर्च करने की क्रिया को नही जानते है,धन को खर्च करने का तरीका हो या ज्ञान को खर्च करने का,पानी अधिक बरसता है,तो उसे तालाब में इकट्ठा किया जाता है,फ़िर बरसात के मौसम के जाने का इंतजार करना पडता है,बरसात के बाद ठंडी का मौसम आता है,पानी जो इकट्ठा किया गया है,ठंड के कारण बहुत बुरा लगता है,अगर उस पानी को संभाल कर रख लिया जाये और गर्मी के मौसम में प्रयोग किया जाये,तो आथगुना मजा देता है,यही विधि धन के मामले में मानी जाती है,अगर जल्दी से आगया है,तो उसे बरसात का मौसम समझ कर इकट्ठा कर दीजिये,जैसे बरसात के मौसम में पानी को कम पीने की आदत होती है,उसी प्रकार से कम खर्च करिये,फ़िर उसे बिलकुल मत प्रयोग करिये,और समय आते ही उसे प्रयोग करना चालू कर दीजिये वही आपका बरसात के पानी रूपी धन का मजा आठ गुना मजा देने लगेगा।
रामेन्द्र सिंह भदौरिया (ज्योतिषाचार्य और वास्तुशास्त्री)
जयपुर

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