प्रश्न कुंडली के अनुसार देश का नाम लगन से होता है और देश की बागडोर सम्भालने वाला मंगल होता है,सूर्य से राजनीति होती है बुध से कानून होते है चन्द्रमा से जनता होती है,गुरु से देश की भाषा सभ्यता और चलने वाली गतिविधिया देखी जाती है तथा विदेशी रिस्ते भी देखे जाते है। शुक्र देश की धन सम्पत्ति और भवन कला आदि से मिलने वाली ख्याति के लिये जाना जाता है शनि देश की सुरक्षा के लिये और देश मे चलने वाली कार्य योजनाओ के प्रति देखा जाता है राहु देश के अन्दर अचानक देने वाले बदलाव के लिये और केतु देश में कार्य करने वाले लोगो चलने वाली योजनाओ के लिये तथा देश की जनता के लिये अपनी सहायता देने वाले कारको के लिये जाना जाता है। वर्तमान मे देश की गतिविधियों को जानने के लिये जो प्रश्न कुंडली बनायी गयी उसके अनुसार ग्रह स्थिति इस प्रकार से है:-
- लगन कुम्भ है.
- लगनेश शनि कानून के भाव मे विराजमान है.
- देश के धन के स्वामी गुरु है गुरु तीसरे भाव मे है.
- तीसरे भाव यानी देश की हिम्मत के मालिक मंगल है मंगल वक्री होकर देश के प्रति पराक्रम को बढाने वाले क्षेत्र मे अपनी उल्टी नीतियों को लेकर विराजमान है.
- चौथे भाव में चन्द्र केतु विराजमान है देश के उत्तरी भाग का क्षेत्र कृषि सम्बन्धी मामले मे अपनी योजना को बना रहा है,इस भाव का मालिक शुक्र है जो लगन मे ही विराजमान है.
- पंचम भाव का मालिक बुध है जो सरकार से सम्बन्धित है सूर्य के साथ बारहवे भाव मे विराजमान है.
- छठे भाव का मालिक चन्द्रमा है जो केतु के साथ चौथे भाव मे विराजमान है.
- सप्तम का मालिक सूर्य है जो बारहवे भाव मे बुध के साथ विराजमान है.
- अष्टम का मालिक बुध है जो सूर्य के साथ बारहवे भाव मे विराजमान है.
- नवे भाव का मालिक शुक्र है जो लगन मे ही विराजमान है.
- दसवे भाव का मालिक मंगल है जो वक्री होकर सप्तम मे विराजमान है.
- ग्यारहवे भाव का मालिक गुरु है जो तीसरे भाव मे पराक्रम के स्थान मे है.
- बारहवे भाव का मालिक शनि है जो नवे भाव मे विराजमान है.
सूर्य के अनुसार राजनीतिक गतिविधिया वर्तमान मे पूर्व और दक्षिण पूर्व मे भी चल रही है सूर्य के त्रिकोण उत्तर और उत्तर पश्चिम दिशा मे भी चल रही है,सूर्य के नवे भाव यानी दक्षीण पश्चिम मे भी जल्दी ही राजनीतिक गतिविधिया शुरु होने वाली है.
बुध के द्वारा जो सूर्य के साथ है और बल दे रहा है,साथ ही वर्तमान की शासन व्यवस्था से जाना जाता है वह पंचम के साथ साथ अष्टम का मालिक भी है.जो भी राजनीतिक गतिविधिया चल रही है,वह गुप्त रूप से अपनी प्रणाली को बदलने के लिये चल रही है,जिसके अन्दर चन्द्र केतु का बल भी मिल रहा है.चन्द्रमा छठे भाव का मालिक है जो किसी भी प्रकार की गतिविधियों मे अपनी अन्दरूनी सहायता को करने के लिये माना जा सकता है.इस चन्द्रमा का बल केतु के द्वारा ग्रहण किया गया है केतु को सर्वधर्मी की उपाधि प्रदान की गयी है जो अपनी नजर से छठे भाव को अष्टम भाव को और बारहवे भाव को निगरानी मे किये हुये है।
देश मे चलने वाली शासन व्यवस्था का कारण पूर्व मे स्त्री शासित उत्तर मे सर्वधर्मी कारको से शासित पश्चिम में वक्री मंगल की स्थिति से उल्टी कानून व्यवस्था से शासित दक्षिण में शमशानी शक्तियों से शासित कारण माने जाते है। उत्तर की विपरीत शासन व्यवस्था दक्षिण में मानी जाती है.
- लगन कुम्भ राशि और शतभिषा नक्षत्र से शासित होने के कारण राहु के घेरे मे है यानी आशंका से ग्रसित है.अन्दरूनी कार्य योजनाओ से पूर्ण है कुछ भी नही कहा जा सकता है.
- राहु राजकीय कार्यों पर अपना अधिकार जमा कर विराजमान है जो राज्य के धन और राज्य की कार्य शक्ति पर अपना असर डाल रहा है,इस कारण से राज्य के धन का विनास भी माना जाता है,राजकीय कार्यों को करने वाले कार्यों को मिट्टी मे भी मिलाने की क्षमता रखता है.राहु की तीसरी नजर से सूर्य और बुध दोनो घेरे मे आने से देश की राजनीतिक व्यवस्था लोगो की राजनीति सोच सभी राख के ढेर मे बदलने वाली बातो से पूर्ण मानी जा सकती है.
- राहु की नजर मे सूर्य भी है जो देश की राजनीति से सम्बन्ध रखता है बुध भी है जो कानून व्यवस्था और व्यापार आदि से सम्बन्ध रखता है,देश की कमन्यूकेशन प्रणाली को अपने आगोश मे समेट कर चल रहा है,सरकारी रूप से जुडी या सरकार से सम्बन्धित या जुडी कमन्यूकेशन कम्पनियों पर राहु का अधिकार है,राहु उत्तर दिशा मे विराजमान केतु और चन्द्र को भी अपने घेरे मे ले रहा है,राहु बैंक फ़ायनेन्स और रोजगारो की तरफ़ भी अपना असर दे रहा है.राहु गृह रक्षा के कारक मंगल की वक्री गतिविधि यानी नपुंसक रक्षा सेवा का भी फ़ायदा ले रहा है.
- राहु के असर से ग्रसित चन्द्रमा केतु अपनी गति विधि से देश की रक्षा सेवा को पुलिस और इसी प्रकार की सेवा को कन्ट्रोल करने की कोशिश कर रहा है लेकिन यह सब जो कानून है या जो आदेश है उसे नजरंदाज करने के बाद खुद के फ़ायदे की बात रक्षा सेवा के लिये की जानी मानी जा सकती है.यानी राहु के डर से पुलिस रक्षा आदि भी अपनी गति विधि को राहु के कदमो मे समर्पित किये हुये है वक्री मंगल को नपुंसक कहा जाता है.
- राहु का असर धन पर होने से जो भी धन आदि के क्षेत्र है राहु अपनी नजर से खाली कर दिये है,और उन्हे या तो गुप्त कर दिया है या उन पर अपनी नजर रखने के कारण अन्धेरे मे डाल दिया है,देश का रूप जो अन्तराष्ट्रीय रूप मे सामने था वह अन्धेरे मे जाता हुआ दिखाई दे रहा है.
- राहु ने देश को चलाने वाले जनता से चुन कर आये नेता (चन्द्र केतु) को अपने घेरे मे लेने के कारण उनकी छवि भी आने वाले अठारह साल के लिये गन्दी कर देने की अपनी पूरी युति प्रदान की है.
- राहु की नजर से जो भी देश के अन्दर रोजगार देने के साधन थे या जो भी अपनी गतिविधि से देश के लिये कार्य शक्ति को प्रदान करने वाले थे उनके अन्दर भी राहु के दखल से शमशान के ढेरे पर रखे माने जा सकते है,देश की बैंकिंग व्यवस्था भी राहु के घेरे मे आने से लोगों की बचत की गयी मेहनत से कमाई गयी पूंजी को भी राहु अपने ग्रहण मे ले रहा है.
- वक्री मंगल रक्षक की बजाय अपने को भक्षक बना कर लोगो की मेहनत और जमा पूंजी को भी अपने घेरे मे कर्जा की वसूली बीमारी पैदा करने के बाद तथा दुश्मने आदि के रूप मे वसूल करने के लिये अपनी योजना को पूरा कर रहा है,यह कालान्तर तक चलने की बात मानी जा सकती है इस मंगल से पुलिस सेवा रक्षा सेवा डाक्टरी सेवा तकनीकी सेवा आदि सभी राहु की कार्य प्रणाली से भयंकर अन्धेरे मे जाती हुयी समझी जा सकती है.
- शनि ने अपनी युति से कानूनी व्यवस्था और विदेशी सहायता को तथा शिक्षा के ऊंचे संस्थानो को फ़्रीज कर दिया है,वर्तमान मे कानून की कीमत को और कानूनी सहायता को लेने अथवा जनता के लिये हित साधने के लिये आस्तित्वहीन माना जा सकता है.
- देश के मित्र राष्ट्रों पर भी इस शनि की छाया आने से तथा देश को मिलने वाले लाभ से इस शनि की छाया ने बाधित कर दिया है.
- शनि और गुरु का आमने सामने का कारण पैदा होने के कारण देश के सामने भयंकर रोजगार की समस्या सामने आने की बात भी मानी जा सकती है.
- केतु अपनी उल्टी गति से पहले जनता के सुख शांति के साधन फ़िर जनता की धर्म मर्यादा सम्बन्धो को उसके बाद देश की लाभ देने वाली और कानून को सम्भालने वाली नीति तथा धरोहर को अपने ग्रहण मे लेकर जा रहा है उसके बाद यह केतु देश की कानून व्यवस्था और बडे सरकारी क्षेत्रो को अपने द्वारा ग्रहण देने के लिये निरंतर आगे बढ रहा है,केतु को ही ईसाई माना जाता है.
- केतु के द्वारा देश के पच्चीस साल तक के नौजवान अपनी धर्म मर्यादा और आन बान शान को भूल कर सर्वधर्मी बनते जा रहे है जो आगे की पीढी के लिये खतरनाक माना जाता है और यह कारण उनकी कार्य शक्ति को लगातार स्वार्थी भावना में ले जाने के कारण एक दूसरे का विश्वास खत्म करना घर परिवार समाज आदि की इज्जत को भूलना और एक तरह से इंगलिसिया राज्य की स्थापना के लिये माना जा सकता है.
- इस राहु केतु के कारण आगे का जो इतिहास लिखा जायेगा उसके अनुसार यही कहा जायेगा कि देश की गरिमा को डुबाने के लिये मुस्लिम और ईसाई समुदाय की अपनी अपनी सोच के कारण इस देश की गरिमा समाप्त हुयी थी.
No comments:
Post a Comment