कुंडली को देखकर पता करना होता है कि शरीर के किस भाग मे कौन सा अंग दोष युक्त है,इसके लिये जो उपाय प्राचीन शास्त्रों से बताये गये है उनके अनुसार जन्म समय के द्रेषकाण का बहुत ही महत्व दिया गया है,जन्म के द्रेषकाण के अनुसार ही अंगों का विभाजन किया जाता है.
जन्म का पहला द्रेषकाण
जन्म समय अगर किसी भी राशि के पहले द्रेषकाण मे हुया है तो:-
जन्म का पहला द्रेषकाण
जन्म समय अगर किसी भी राशि के पहले द्रेषकाण मे हुया है तो:-
- लगन को मस्तिष्क.
- दूसरे और बारहवे भाव को नेत्र
- तीसरे और ग्यारहवे भाव को कान
- चौथे और दसवे भाव को नाक
- पांचवे और नवे भाव को गाल
- छठे और आठवे भाव को थोडी.
- सातवे भाव को भुजायें कहा जायेगा.
अगर जन्म किसी भी राशि के दूसरे द्रेषकाण मे हुआ है तो शरीर के अंगो को इस प्रकार से देखा जायेगा:-
- लगन को पहला भाव
- कण्ठ को दूसरा
- कन्धे को बारहवां
- तीन और ग्यारह को भुजायें
- चार और दस को बगलें
- पांच और नौ को छाती के दोनो तरफ़
- चार और आठ मे पेट का
- सप्तम को नाभि वाला भाग जाना जाता है.
- लगन से नाभि से जननांग तक
- दो बारह से जननांग के दोनो तरफ़
- तीन ग्यारह से गुदा वाला स्थान
- चार दस से जंगायें
- पांच नौ से घुटने
- छ: आठ को घुटने से नीचे की पिंडलियां
- सप्तम भाव को पैरों के लिये जाना जायेगा.
जिस अंग में पाप ग्रह यानी कमजोर चन्द्रमा मंगल शनि बुध होते है उस अंग मे घाव का फ़ोडे फ़ुन्सी का निशान होता है.
यदि किसी पापग्रह पर किसी शुभ ग्रह की द्रिष्टि होती है तो उस स्थान पर तिल मस्सा लहसुन आदि का निशान होता है.
अपनी राशि या अपने नवांस अथवा स्थिर राशि लगन मे होती है तो जन्म के समय से ही इस प्रकार के दोष मिलते है.
अंग के कारको मे जहां शनि होता है उस अंग में या तो पत्थर से चोट लगती है या उस स्थान का कठोर होना माना जाता है.
मंगल की स्थिति उस स्थान पर जलने से कटने से या किसी लडाई झगडे मे निशान बनता है.यह दशा मे अन्तर दशा मे या गोचर के समय मे भी बन सकता है.
जिस स्थान पर बुध होता है और वह नीच या अस्त या वक्री होता है तो उस स्थान पर जमीन पर गिरने से या पटकने से निशान बनता है.
जिस स्थान पर सूर्य होता है वहां पर लकडी चुभने से किसी जानवर के काटने से निशान बनता है.
कमजोर चन्द्रमा के होने से किसी सींग वाले या दूध देने वाले जानवर से मारने से दौडाने से या उछाले जाने से निशान बनता है.पानी के जीवो से भी निशान बनते देखे गये है.
जिस अंग पर शुभ ग्रह होते है वह स्थान सुन्दर शक्तिशाली और देखने मे शोभायमान होता है.
यदि लगन से छठे स्थान में कोई भी पाप ग्रह होता है तो उस स्थान पर जरूर ही कोई निशान घाव आदि का होता है.
इस स्थान पर अगर किसी शुभ ग्रह की द्रिष्टि होती है तो तिल मस्सा या लहसुन आदि का निशान होता है.
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ReplyDeleteherbs used in astrology and availbility