मेष लगन की कुंडली है और लगनेश मंगल सूर्य के साथ विद्यमान है,धनेश शुक्र सप्तमेश होने के साथ साथ केतु के साथ पंचम स्थान मे विराजमान है,पराक्रमेश और अरि भाव के मालिक बुध चौथे भाव मे चौथे भाव के मालिक चन्द्रमा के साथ ही विराजमान है,पंचमेश सूर्य पराक्रम के भाव मे लगनेश और अष्टमेश मंगल के साथ विराजमान है,कार्येश और लाभेश शनि छठे भाव में विराजमान है,भाग्येश और व्ययेश गुरु व्यय भाव मे विराजमान है। कुण्डली मे ग्यारहवे भाव मे राहु विराजमान है तथा कार्य का भाव खाली है। राहु की निगाह लगन पर भी है तीसरे भाव मे स्थापित लगनेश और पंचमेश पर भी है,पंचम में सप्तमेश शुक्र के साथ भी है,तथा सप्तम स्थान पर भी है.जातक के सन्तान भाव का मालिक सूर्य मंगल के साथ है इसलिये जातक अग्नि ग्रह का अग्नि ग्रह के साथ होने से तथा राहु के द्वारा द्रिष्टि देने से पुत्र संतान की कमी मानी जा सकती है। सन्तान भाव मे शुक्र के होने से और शुक्र के साथ केतु के होने से कन्या सन्तान का होना भी माना जाता है और पत्नी के किसी सम्बन्धी के पुत्र या कन्या सन्तान के पति यानी दामाद को भी घर मे रखा जाना माना जा सकता है। पिता का कारक गुरुहै जो बारहवे भाव मे है और तीन भाई दो बहिन की औकात भी रखता है।
ग्यारहवा राहु होने से जातक का बडा भाई राहु के रूप मे समझना ठीक है वैसे बडे भाई का कारक शनि है जो छठे भाव मे होने से कर्जा दुश्मनी बीमारी और रोजाना के कामो के अन्दर अपने को रखकर था मेहनत करने के बाद किसी बडे संस्थान को सम्भालने के लिये भी माना जा सकता है। लेकिन ग्यारहवा राहु अपनी युति से इस छठे शनि को अपनी युति से अन्धेरे मे रखने और राहु की चालाकी के लिये भी अपनी युति को प्रदान करता है। इसकी पहिचान एक प्रकार से और भी मानी जा सकती है कि जातक के बडे भाई की पत्नी या जातक की पत्नी किसी एक का शिक्षा से जुडे कार्यों मे होना या जातक के बडे भाई का अपनी ससुराल से अधिक सम्बन्ध होना भी माना जा सकता है। राहु के आगे गुरु होने से जातक के बडे भाई के सम्बन्ध बाहरी लोगो से भी होने माने जाते है और बाहरी लोगो के लिये किये जाने वाले कार्यों से राहु को धन तथा अन्य प्रकार के कारणो का बनाना भी माना जा सकता है। राहु से आगे गुरु होने से जातक का बढा भाई पानी के साधन खेती बाडी और मकान आदि का काम करवाना फ़ार्म हाउस आदि बनाना भी माना जा सकता है। चन्द्रमा से बारहवे भाव में सूर्य मंगल के होने से जातक के बडे भाई का अधिक दखल घरेलू मामले मे भी होना माना जा सकता है। जातक के घर मे आभूषण आदि बनाने का काम और सूर्य को मंगल से तप्त करने के बाद सूर्य का व्यापारिक रूप से किया जाने वाला काम भी माना जा सकता है।
वर्तमान मे राहु का जातक की कुंडली से अष्टम होना जातक के बडे भाई का अपमानित होना और धन के साधनो के लिये अन्य लोगो पर आश्रित होना भी माना जा सकता है। इसके साथ ही जो भ्रम अभी तक जातक के बडे भाई ने रखे थे और खुद ही अपने को घर परिवार के खर्चे आदि के लिये जिम्मेदारी निभाई थी वह सभी अपने अपने अनुसार बाकी के घर के सदस्यों को नही बताने और अपने पर ही झेलने के कारण राहु अपनी औकात को समाप्त करने की श्रेणी पर भी माना जा सकता है। राहु के द्वारा सप्तम द्रिष्टि से शुक्र और केतु को देखे जाने से तथा वर्तमान मे केतु के द्वारा राहु को दसवे प्रभाव से असर देने के कारण भी राहु का असर अन्धेरे मे रखने का कारण माना जा सकता है।
ग्यारहवा राहु होने से जातक का बडा भाई राहु के रूप मे समझना ठीक है वैसे बडे भाई का कारक शनि है जो छठे भाव मे होने से कर्जा दुश्मनी बीमारी और रोजाना के कामो के अन्दर अपने को रखकर था मेहनत करने के बाद किसी बडे संस्थान को सम्भालने के लिये भी माना जा सकता है। लेकिन ग्यारहवा राहु अपनी युति से इस छठे शनि को अपनी युति से अन्धेरे मे रखने और राहु की चालाकी के लिये भी अपनी युति को प्रदान करता है। इसकी पहिचान एक प्रकार से और भी मानी जा सकती है कि जातक के बडे भाई की पत्नी या जातक की पत्नी किसी एक का शिक्षा से जुडे कार्यों मे होना या जातक के बडे भाई का अपनी ससुराल से अधिक सम्बन्ध होना भी माना जा सकता है। राहु के आगे गुरु होने से जातक के बडे भाई के सम्बन्ध बाहरी लोगो से भी होने माने जाते है और बाहरी लोगो के लिये किये जाने वाले कार्यों से राहु को धन तथा अन्य प्रकार के कारणो का बनाना भी माना जा सकता है। राहु से आगे गुरु होने से जातक का बढा भाई पानी के साधन खेती बाडी और मकान आदि का काम करवाना फ़ार्म हाउस आदि बनाना भी माना जा सकता है। चन्द्रमा से बारहवे भाव में सूर्य मंगल के होने से जातक के बडे भाई का अधिक दखल घरेलू मामले मे भी होना माना जा सकता है। जातक के घर मे आभूषण आदि बनाने का काम और सूर्य को मंगल से तप्त करने के बाद सूर्य का व्यापारिक रूप से किया जाने वाला काम भी माना जा सकता है।
वर्तमान मे राहु का जातक की कुंडली से अष्टम होना जातक के बडे भाई का अपमानित होना और धन के साधनो के लिये अन्य लोगो पर आश्रित होना भी माना जा सकता है। इसके साथ ही जो भ्रम अभी तक जातक के बडे भाई ने रखे थे और खुद ही अपने को घर परिवार के खर्चे आदि के लिये जिम्मेदारी निभाई थी वह सभी अपने अपने अनुसार बाकी के घर के सदस्यों को नही बताने और अपने पर ही झेलने के कारण राहु अपनी औकात को समाप्त करने की श्रेणी पर भी माना जा सकता है। राहु के द्वारा सप्तम द्रिष्टि से शुक्र और केतु को देखे जाने से तथा वर्तमान मे केतु के द्वारा राहु को दसवे प्रभाव से असर देने के कारण भी राहु का असर अन्धेरे मे रखने का कारण माना जा सकता है।
Guruji, kya aap mere birth chart par prediction doge????meri details hai:
ReplyDeleteSAHIL SHAH
24/06/1989
2.50 AM
Ahmedabad...
Mujhe apni career ke barein main jan na hai sir.. please mujhe prediction dena