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पिता की जायदाद मिलने का समय |
माता पिता की जायदाद पर लगभग सभी का हक होता है माता पिता के द्वारा पालन पोषण करने के बाद जातक को जब अपने लिये कर्म करने के लिये स्वतंत्र कर दिया जाता है और माता पिता की मौत के बाद उनकी जायदाद जो जातक के भाई बहिने होते है उन्हे आपस मे कानूनी रूप से वितरित कर दिया जाता है लेकिन कभी ऐसी भी परिस्थितियां आती है कि जातक के अधिक भाई बहिने होने के कारण या जातक द्वारा अपने माता पिता की सही सेवा या अपने को उनके प्रति दूरियां बनाने के कारण उन्हे जायदाद से दूर रख दिया जाता है कभी कभी माता पिता के मरने के बाद या उनके जिन्दा रहते ही जातक के भाई बहिन अपनी चालाकी से माता पिता की जायदाद को अकेले ही भोगने की इच्छा से अपने अन्य भाई बहिनो को दूर कर देते है। कभी कभी यह भी होता है कि अगर जातक स्त्री है और उसके कोई भाई नही है तो जातिका को जायदाद से दूर करने के लिये उसके पिता के भाई आदि जातिका को पिता की जायदाद नही देते है इस कारण जो आपसी द्वंद जो कानूनी या सामाजिक होता है वह जातिका के लिये दिक्कत देने वाला हो जाता है कभी कभी जायदाद मिल जाती है और कभी कभी चालाक लोगो के कारण जायदाद नही भी मिल पाती है। उपरोक्त कुंडली एक जातिका की है और उसे यह जानना है कि उसके पिता की जायदाद उसे मिलेगी कि नही ? कन्या लगन की कुंडली का मालिक बुध मृत्यु से सम्बन्धित राशि वृश्चिक मे विद्यमान है। बुध को नवम पंचम का योग देने वाले ग्रहो मे केतु और मंगल नीच का है। नीच का मंगल पिता के भाइयों के लिये इसलिये माना जाता है क्योंकि दसवे भाव के आगे मंगल पिता के कुटुम्ब मे विराजमान है.इस प्रकार से पिता का मालिक बुध जो दसवे भाव का मालिक है वह मृत्यु की राशि मे होने के कारण पिता के पास केवल पुत्री संतान ही है। जातिका को तीन बहिन भी बुध और केतु की युति से माना जाता है इसके साथ ही बुध केतु का साथ पिता परिवार के उनके भाइयों के लिये जो पिता भाव से तीसरे भाव में शनि की उपस्थिति और शनि के आगे चन्द्र राहु होने से तथा शुक्र सूर्य की युति होने से जातिका के ताऊ आदि उसके पिता की अचल सम्पत्ति के लिये अपनी नीच की मंगल वाली हरकत को करने के लिये माने जाते है। मंगल बुध और केतु की युति से जातिका का अदालती और पुलिस वाला मामला भी माना जाता है साथ ही वर्तमान मे राहु का गोचर जन्म के बुध पर होने से जातिका को पिता की जायदाद से छल या किसी कागजी बदलाव के कारण करना भी माना जाता है जातिका वर्तमान मे नवे केतु यानी जातिका की बडी बहिन के पति के द्वारा अपनी स्थिति को कोर्ट कचहरी से या उच्चतम न्यायालय की शरण मे जाकर अपनी जायदाद की प्राप्ति को लेकर परेशान है.जातिका का केतु सबल है और राहु भी चन्द्रमा के साथ है जातिका का राहु वर्तमान मे जायदाद के प्रति छल तो दे रहा है लेकिन आने वाले जनवरी के महिने से यही राहु जब जातिका के दूसरे भाव मे आयेगा तो नीच के सूर्य को अपनी गति से और अधिक परेशान करने वाला माना जायेगा इस समय मे जातिका के लिये जो छल किया गया है या किसी वकील या अन्य व्यक्ति के द्वारा कागजो मे छल आदि किया गया है वह खुल जायेगा इस प्रकार से मंगल से चौथा राहु आने से जो व्यक्ति जातिका की जमीन आदि को हडपना चाह रहे है उन्हे सजा भी मिलेगी तथा जातिका की जायदाद जातिका को मिल जायेगी। शनि जब जातिका के दूसरे भाव मे शुक्र से गोचर करेगा तो जातिका का स्थान बदलाव अपनी जायदाद के प्रति माना जायेगा,अगर जातिका आने वाली जनवरी तक अपनी जायदाद के लिये लगातार सक्रिय रहती है तो जातिका को जायदाद मिल जायेगी।
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