रामायण मे कहा गया है कि "अन्तगति सो मति",जैसा अन्त मे होना है वही बुद्धि बन जाती है।जीवन को चलाने वाला ग्रह गुरु माना जाता है चाहे वह स्त्री की कुंडली हो या पुरुष की गुरु के द्वारा ही पूरा जीवन चलता है। गुरु जब खुद की राशि मे होता है तो वह धर्म और भाग्य के साथ अपने अपने समाज के अनुसार धर्म कार्यो मे चलने लगता है उसे अपनी परिवार की मर्यादा और रीतिरिवाज पालन करने मे अच्छा लगता है गुरु जब शुक्र के साथ आजाता है तो एक बूढा व्यक्ति भी कामवासना का शिकार हो जाता है और गुरु जब बुध के साथ आजाता है तो व्यक्ति अपनी बुद्धि से भावानुसार अच्छे और खराब काम करने लगता है। गुरु का साथ जब राहु के साथ होता है तो भावानुसार वह एक नशे मे भर जाता है तथा जो उसे करना होता वह भी करता है और नही करना होता है वह भी करता है। मेष राशि का गुरु मानव धर्म के लिये अपनी योजनाओ को बनायेगा भी और मानव की हितसाधना के लिये अपने प्रयासो को करने के लिये भी अपनी गति को प्रदान करेगा,वही गुरु जब वृष राशि का होगा तो केवल धन के लिये और अपने ही परिवार के लिये ही अपने जीवन को चलाने के लिये माना जायेगा उसे सम्बन्धो से कोई मतलब भी नही होगा और जहां भी धन दिखाई देगा उसके सम्बन्ध बन जायेंगे और जैसे ही धन समाप्त हुआ सम्बन्ध समाप्त हो जायेगें। मिथुन राशि का गुरु अपने को दिखाने के लिये ही प्रयास करेगा वह सजेगा संवरेगा अपने आप को कई प्रकार के कारणो को साथ लेकर चलेगा जैसी राशि होगी वैसा ही अपना योजनात्मक दिमाग प्रयोग करेगा,चौथे भाव का गुरु मानसिक रूप से उसी राशि का असर पैदा करेगा जैसी राशि है अगर वह वृश्चिक राशि है तो मानसिक रूप से शमशानी ताकतो को पैदा करने और अपने को गुप्त रूप से धन कमाने तथा जनता के अन्दर से पराशक्तियों के कारको को समझकर अपने को आगे बढाता जायेगा वह वही काम करेगा जो शमशान से सम्बन्धित हो चाहे वे अस्पताली कारणो से जुडे हो या वे किसी प्रकार से जनता के दुख को दूर करने के कारणो से जुडे हो। वही गुरु जब पंचम मे होता है तो जातक के अन्दर राशि के अनुसार शिक्षा देने की मनोरंजन करने की खेल कूद मे नाम कमाने की जल्दी से धन कमाकर धनपति बनने की कामना बनी रहेगी ,गुरु का स्थान अगर छठे भाव मे है तो वह कर्जा दुश्मनी बीमारी को पालकर या नौकरी आदि से अपने जीवन को बिताना शुरु कर देगा। गुरु जब सप्तम मे है तो वह अपने प्रभाव के अनुसार ही अपने कार्यों को भी करेगा और जीवन जो कुछ भी है वह अपने जीवन साथी के भरोसे पर छोड कर या अपने साझेदार के भरोसे से ही काम करने का आदी रहेगा उसके लिये सम्बन्ध केवल फ़ायदा या नुकसान को सोच कर ही बनाने का गुण आता होगा इसके साथ ही जब गुरु अष्टम मे होगा तो जातक का दिमाग अपने स्थान पर लगेगा ही नही वह या तो विदेश चला जायेगा या अपने को किसी प्रकार के गुप्त रिस्तो की तरफ़ ले जाने का मानस बनाता रहेगा इसके साथ ही गुरु का एक स्वभाव और इस भाव मे आने से बनता है कि वह अपने भविष्य की चिन्ता मे अधिक रहेगा और बचत करने तथा मौत के बाद के धनो को प्राप्त करने की अपनी गणित को लगाकर चलने वाला होगा। गुरु जब नवे भाव मे होता है तो राशि के अनुसार ही अपने धर्म समाज और कानून को बनाकर चलने वाला होगा अगर गुरु मिथुन राशि मे है त वह अपने कानून को प्रकट करने के लिये अपने हाव भाव को प्रदर्शित करेगा अपने को एक्टिंग मे लाकर धर्म समाज और कानून आदि की व्याख्या करेगा,विदेश मे जाने पर वह अपने धर्म को फ़ैलाने का काम भी करेगा और बडी शिक्षा मे उन्ही शास्त्रो का जानकार बनेगा जो राशि से सम्बन्धित होंगे।
Guru ka Chandra ke saath athwa tula rashi ka ur 12 th Bhaav mein hone ka kya parinam ho sakta hai?
ReplyDeleteCharan Sparsh
जनता के अन्दर गूढ रहकर जनता की जमा पूंजी और ब्रोकर वाले काम मिलते है तथा बारहवे भाव मे रहकर विदेशी सम्बन्ध भी बनते है और किसी बडे संस्थान को स्थापित करने का सौभाग्य भी मिलता है.
ReplyDeleteBahut Bahut Dhanyavad. Appke blogs niyamit padhne se jigyasa shant ho jati hai.
ReplyDeleteMeri kundali mein aisa hi yog hai aur muzhe Videsh se ghar baithe dhan ki prapti ho rahi hai.
Saadar Charn Sparsh
रवि मुझे भी बहुत अच्छा लगा कि मेरी सोच और तुम्हारे साथ मिलने वाला फ़ल एक सा है.ईश्वर और अधिक तरक्की दे.
ReplyDeleteAshirvad ke liye aapka aabhari hoon, Mein Apne ko bhagyashaali samjhonga agar aap meri kundali bhi apne blog per ek udahran ke liye lagaye.
ReplyDeleteSaadar Pranam
ठीक है रवि अपनी जन्म तारीख आदि का ब्यौरा भेज देना,और कोई चिन्ता दिमाग मे हो उसको लिख देना,मै जरूर फ़लादेश देने की कोशिश करूंगा.
ReplyDeleteAcharya ji, Appko mail kar diya hai..
ReplyDeleteSaadar Pranam
hello sir my jupiter is 10th house and dhanu lagan what effect is there.
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