कालभेदन का शाब्दिक अर्थ है काल को जानना समय को समझना समय का ज्ञान होना स्थिति का भान होना आदि.कालभेदन के लिये प्राचीन जमाने से किंवदन्तिया चली आ रही है कोई कालभेद को करने के लिये एक दूसरे के प्रति आपसी समझ को रखता है कोई जलवायु के अनुसार कालभेदन करता है कोई स्थान और परिवेश के अनुसार काल भेद करता है.काल यानी समय को समझने के लिये अक्सर एक साधारण आदमी भी समझता है,जानवरो के अन्दर काल को समझने की गति बहुत तीव्रता से होती है। किसी प्रकार की अनहोनी होने के पहले ही पशु पक्षी हरकते करने लगते है वह समझ जाते है कि काल मे कोई परिवर्तन होने वाला है,समय की गति कुछ अलग ही करने जा रही है,सर्दी से अक्समात गर्मी होने के समय मे भी यही बात देखी जा सकती है साफ़ मौसम मे अक्समात बरसार होने के लिये भी यही बात देखी जा सकती है। समय की गणना करना और समय को समझना एक प्रकार से अलग अलग कारण होते है। एक व्यक्ति समय को पहिचानने के लिये अपनी बुद्धि का जो उसने प्रयोग मे लिया है या जो उसने सुना है या जो उसने कल्पना की है उस के ही आधार पर वह अपनी स्थिति को दर्शा देता है,पिछले समय मे मेरी साइट astrobhadauria.com पर एक सज्जन ने लिखा था कि जो राशिफ़ल अखबार और टीवी आदि मे आता है वह क्या सही होता है,इस बात के लिये मैने एक ही जबाब लिखा था कि शब्द का समझना ही फ़लादेश को समझना होता है जो कनफ़्यूज होता है वह एक शब्द के कई अर्थ भी निकाल सकता है और जो जानकार होता है वह अपनी स्थिति के अनुसार शब्द को समझ कर अपने कार्यों मे सुधार भी करता है और सोच समझ कर भी चलता है। उक्त कुंडली मे केतु लगन मे है और केतु की द्रिष्टि मे स्थान भेद को समझने के लिये लगन से शरीर को भी माना जा सकता है,इसी को अगर किसी स्थान विशेष के लिये देखे तो स्थान के परिवेश के लिये भी माना जा सकता है,इसी को अगर किसी घटना के लिये देखे तो घटना का कारक बनाकर भी जोडा सकता है स्त्री या पुरुष या बच्चे के लिये भी इस कुंडली को देखे तो यह अपने रूप से केतु के रूप मे अलग अलग फ़लादेश देने के लिये माना जायेगा। लगन के मालिक को मंगल मानने पर मंगल पंचम मे होने से साधारण रूप से अगर किसी व्यक्ति के मामले मे जानने की कोशिश करते है तो उसे परिवार भाव मे लाया जायेगा किसी देश के मामले मे देखते है तो राजनीति के बारे मे लाया जायेगा अगर किसी जानवर के लिये देखते है तो वह जानवर के पाचन क्रिया के लिये या जानवर के भोजन के लिये देखा जायेगा अथवा जानवर की प्रजनन क्षमता को समझने के लिये किया जायेगा अगर किसी वस्तु के प्रति देखते है तो वह वस्तु की शक्ति या उपयोगिता के आधार पर मनोरंजन आदि के साधन या शिक्षा के साधन के लिये देखा जायेगा अगर किसी प्रकार गूढ भेद को जानने की कोशिश करते है तो इस मंगल के रूप को जैसे यह वक्री है तो बलहीन है लेकिन नीच राशि के पास है इसलिये इसे बलयुक्त भी कहा जायेगा इसी प्रकार से वक्री मंगल की द्रिष्टि को समझने की कोशिश करते है तो दिशा से विपरीत परिणाम के प्रति भी देखा जायेगा आदि बाते मानी जा सकती है।
कालभेदन के लिये अगर कुंडली को देखते है तो काल यानी मृत्यु का देवता के प्रति भी सोचना जरूरी हो जायेगा,कारण जब कोई मृत्यु को प्राप्त होता है तो लोग कहने लगते है उसका काल आ गया था यानी उसका समय आ गया था। म्रुत्यु की गति को समझना भी एक प्रकार से कालभेदन कहा जा सकता है। मृत्यु के कारण को समझकर उसे नकारा करने की क्रिया को भी कालभेदन कहा जा सकता है। एक प्रकार से सटीक कथन को करना और उसे रूपानतर करने के बाद स्पष्ट कहना भी कालभेदन की सीमा मे आ सकता है। जैस उपरोक्त कुंडली मे राहु ज्येष्ठा नक्षत्र मे बुध के साथ है,नक्षत्र का मालिक भी बुध है,जब बुध राहु के साथ इसी नक्षत्र से आठवी नजर से लगनेश मंगल को देखेगा वह भी तब जब मंगल वक्री होगा उसी समय आने वाले मौत के समय को समझा जायेगा लेकिन उस मौत को रोकने के लिये जब राहु के सामने कोई उच्च का ग्रह सामने होगा तो मौत रुक जायेगी और कह दिया जायेगा कि अमुक कारण से मौत रुक गयी।
काल यंत्र के मामले मे अगर जाना जाये तो सबसे पहले सूर्य चन्द्रमा तारे आदि जाने जाते थे,उनकी स्थिति के अनुसार समय को समझा जा सकता था। कई व्यक्तियों को मैने देखा है जो अन्धे है लेकिन रात के बारह बजे भी उनसे समय को पूंछो तो वे समय को घंटा मिनट सेकेण्ड तक बता देते है। इस प्रकार के चमत्कारिक कारण उन्ही लोगो को मिलते है जो स्थिति प्रभाव परिवेश और जलवायु को समझ कर किसी विशेष इष्ट को मानने लगते है। सूर्य से उदय होने पर दिन की स्थिति को समझा जाता था दोपहर दिन के समय मे शंकु आदि के प्रयोग से छाया आदि से काल की गणना की जाती थी रात मे चांदनी और चन्द्रोदय तथा चन्द्र श्रंगों के अनुसार काल को जाना जाता था रात को ध्रुव तारे की स्थिति से दिशा का भेद भी समझ मे आता था सप्त ऋषि के ध्रुव तारे के आसपास होने त्रितारा बंसी सितारों के कारणो में समय का भेद भी देखा जाता था सर्दी गर्मी और बरसात के समय मे अलग अलग तरीके प्रयोग मे लाये जाते थे,लेकिन आधुनिक समय मे घडियों का निरमाण कर लिया गया और समय की गणना को समझा जाने लगा।
कालभेद का एक अन्य कारण भी समझा जा सकता है कि अलग अलग जलवायु के अनुसार काल की अलग अलग पहिचान की जाती है जैसे सर्दी वाले देशो मे काल का कुछ महत्व होता है गर्मी वाले देशो मे काल का कुछ अलग ही महत्व होता है साथ जन्म परण और मरण का एक अलग से ही काल का कारण जाना जा सकता है। जैसे जहां तीन ऋतुयें होती है वहां सर्दी की ऋतु मे अधिक गर्भाधान होते है और जहां सर्दी के कारण अधिक होते है वहां गर्मी की ऋतु मे अधिक गर्भाधान होते है जहां अधिक बरसात होती है वहां जब सूखे का मौसम होता है तभी गर्भाधान अधिक होते है इसी प्रकार से जहां तीनो ऋतुयें होती है वहा अधिक सर्दी अधिक गर्मी और अधिक बरसात मे मौतो की संख्या बढ जाती है जहां सर्दी की ऋतु होती है वहां पर सर्दी के उतरते समय मौतो की संख्या बढ जाती है जहां बरसात अधिक होती है वहां अधिक बरसात के समय मौतो की संख्या बढ जाती आदि बातें जलवायु से कालभेद के लिये जानी जा सकती है।
स्थान विशेष के लिये कालभेद को समझने के लिये यह भी देखा जाता है कि जहां रेगिस्तान है और वहां अधिकतर राते सर्द होती है और दिन अधिक गर्म होते है जब दिन की गर्मी चरम सीमा पर होती है और रेगिस्तान के लोग उस गर्मी मे अपने जीवन को अच्छा चला सकते है कोई यात्री अगर घूमने के लिये आया है और वह उस गर्मी की चपेट मे आजाता है तो वह सहन नही कर पाता है और परलोक सिधारने के लिये अपनी गति क बना लेता है इसी प्रकार से एक रेगिस्तान का व्यक्ति अगर पानी वाले इलाके मे जाता है और उस पानी वाले इलाके मे उसे जाने के कुछ समय बाद फ़ेफ़डों की बीमारी होने लगती है अगर वह अपने शरीर के अनुसार पानी की मात्रा को प्रयोग भी करता रहता है तो भी उसे सांस के अन्दर अधिक नमी के कारण जकडन आदि की बीमारी होना लाजिमी होता है इस प्रकार से कालभेद को जानने के लिये स्थान विशेष की महत्ता को भी समझना जरूरी होता है।
कालभेदन के लिये अगर कुंडली को देखते है तो काल यानी मृत्यु का देवता के प्रति भी सोचना जरूरी हो जायेगा,कारण जब कोई मृत्यु को प्राप्त होता है तो लोग कहने लगते है उसका काल आ गया था यानी उसका समय आ गया था। म्रुत्यु की गति को समझना भी एक प्रकार से कालभेदन कहा जा सकता है। मृत्यु के कारण को समझकर उसे नकारा करने की क्रिया को भी कालभेदन कहा जा सकता है। एक प्रकार से सटीक कथन को करना और उसे रूपानतर करने के बाद स्पष्ट कहना भी कालभेदन की सीमा मे आ सकता है। जैस उपरोक्त कुंडली मे राहु ज्येष्ठा नक्षत्र मे बुध के साथ है,नक्षत्र का मालिक भी बुध है,जब बुध राहु के साथ इसी नक्षत्र से आठवी नजर से लगनेश मंगल को देखेगा वह भी तब जब मंगल वक्री होगा उसी समय आने वाले मौत के समय को समझा जायेगा लेकिन उस मौत को रोकने के लिये जब राहु के सामने कोई उच्च का ग्रह सामने होगा तो मौत रुक जायेगी और कह दिया जायेगा कि अमुक कारण से मौत रुक गयी।
काल यंत्र के मामले मे अगर जाना जाये तो सबसे पहले सूर्य चन्द्रमा तारे आदि जाने जाते थे,उनकी स्थिति के अनुसार समय को समझा जा सकता था। कई व्यक्तियों को मैने देखा है जो अन्धे है लेकिन रात के बारह बजे भी उनसे समय को पूंछो तो वे समय को घंटा मिनट सेकेण्ड तक बता देते है। इस प्रकार के चमत्कारिक कारण उन्ही लोगो को मिलते है जो स्थिति प्रभाव परिवेश और जलवायु को समझ कर किसी विशेष इष्ट को मानने लगते है। सूर्य से उदय होने पर दिन की स्थिति को समझा जाता था दोपहर दिन के समय मे शंकु आदि के प्रयोग से छाया आदि से काल की गणना की जाती थी रात मे चांदनी और चन्द्रोदय तथा चन्द्र श्रंगों के अनुसार काल को जाना जाता था रात को ध्रुव तारे की स्थिति से दिशा का भेद भी समझ मे आता था सप्त ऋषि के ध्रुव तारे के आसपास होने त्रितारा बंसी सितारों के कारणो में समय का भेद भी देखा जाता था सर्दी गर्मी और बरसात के समय मे अलग अलग तरीके प्रयोग मे लाये जाते थे,लेकिन आधुनिक समय मे घडियों का निरमाण कर लिया गया और समय की गणना को समझा जाने लगा।
कालभेद का एक अन्य कारण भी समझा जा सकता है कि अलग अलग जलवायु के अनुसार काल की अलग अलग पहिचान की जाती है जैसे सर्दी वाले देशो मे काल का कुछ महत्व होता है गर्मी वाले देशो मे काल का कुछ अलग ही महत्व होता है साथ जन्म परण और मरण का एक अलग से ही काल का कारण जाना जा सकता है। जैसे जहां तीन ऋतुयें होती है वहां सर्दी की ऋतु मे अधिक गर्भाधान होते है और जहां सर्दी के कारण अधिक होते है वहां गर्मी की ऋतु मे अधिक गर्भाधान होते है जहां अधिक बरसात होती है वहां जब सूखे का मौसम होता है तभी गर्भाधान अधिक होते है इसी प्रकार से जहां तीनो ऋतुयें होती है वहा अधिक सर्दी अधिक गर्मी और अधिक बरसात मे मौतो की संख्या बढ जाती है जहां सर्दी की ऋतु होती है वहां पर सर्दी के उतरते समय मौतो की संख्या बढ जाती है जहां बरसात अधिक होती है वहां अधिक बरसात के समय मौतो की संख्या बढ जाती आदि बातें जलवायु से कालभेद के लिये जानी जा सकती है।
स्थान विशेष के लिये कालभेद को समझने के लिये यह भी देखा जाता है कि जहां रेगिस्तान है और वहां अधिकतर राते सर्द होती है और दिन अधिक गर्म होते है जब दिन की गर्मी चरम सीमा पर होती है और रेगिस्तान के लोग उस गर्मी मे अपने जीवन को अच्छा चला सकते है कोई यात्री अगर घूमने के लिये आया है और वह उस गर्मी की चपेट मे आजाता है तो वह सहन नही कर पाता है और परलोक सिधारने के लिये अपनी गति क बना लेता है इसी प्रकार से एक रेगिस्तान का व्यक्ति अगर पानी वाले इलाके मे जाता है और उस पानी वाले इलाके मे उसे जाने के कुछ समय बाद फ़ेफ़डों की बीमारी होने लगती है अगर वह अपने शरीर के अनुसार पानी की मात्रा को प्रयोग भी करता रहता है तो भी उसे सांस के अन्दर अधिक नमी के कारण जकडन आदि की बीमारी होना लाजिमी होता है इस प्रकार से कालभेद को जानने के लिये स्थान विशेष की महत्ता को भी समझना जरूरी होता है।
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