प्रस्तुत कुंडली मालपुरा राजस्थान के एक सज्जन की है,उन्हे अपने व्यापार को बढाने की चिन्ता है। मीन लगन की कुंडली है और गुरु लगन का मालिक है। व्यापार के लिये अक्सर चौथा आठवा और बारहवा भाव देखा जाता है। चौथा भाव सोचने का होता है आठवा रिस्क लेने का होता है और बारहवा खर्च करने करने का होता है,जो आय व्यापार से होती है वह पंचम नवम और लगन से देखी जाती है। जो हानि व्यापार मे होती है वह तीसरे सातवे और ग्यारहवे भाव से मानी जाती है। व्यापारी लग या लगनेश होता है व्यापार करने का स्थान चौथा भाव होता है व्यापार का गुप्त रूप आठवा होता है और व्यापार मे प्रयुक्त कारको को प्रयोग मे लेने वाला बारहवा भाव होता है। व्यापार करने के लिये जो शक्तिया देखी जाती है वह चतुर्थेश अष्टमेश और द्वाशशेश की स्थिति से देखी जाती है। व्यापार को हानि देने के लिये मैने अभी बताया है कि तीसरा भाव जो व्यापारिक स्थान के लिये खर्च करने वाला होता है,सातवा भाव को व्यापार की स्थिति मे प्रतिस्पर्धा के लिये देखा जाता है और ग्यारहवा भाव जो कहा तो लाभ का जाता है लेकिन प्रतिस्पर्धा करने वाले लोगो की बुद्धि का भाव होने से हानि को देने के लिये भी माना जाता है। व्यापार को लगातार लाभ मे रखने के लिये दूसरा भाव छठा भाव और दसवा भाव मुख्य माने जाते है,दूसरे भाव से नकद धन भौतिक लागते देखी जाती है छठे भाव से की जाने वाली मेहनत और प्रतिस्पर्धा करने वाले कारको से जूझने की कला तथा दसवे भाव से व्यापार में की जाने वाली जोखिम के प्रति तथा समाज सरकार कानून आदि से मिलने वाले फ़ायदे के लिये देखा जाता है। व्यापार का कारक चौथे भाव के ग्रह बताते है,व्यापारिक स्थान का चुनाव तीसरा स्थान बताता है व्यापार मे प्रयुक्त सामान को बेचने की कला का स्थान आठवा होता है और व्यापार को करने के बाद उसका मीजान लगाना ग्यारहवे भाव से देखा जाता है। उपरोक्त कुंडली मे बुध स्वग्रही है और सूर्य के साथ है। बुध बोलने की कला से जाना जाता है,बुध प्रदर्शन करने के कारक से भी इसलिये समझा जायेगा क्योंकि बुध का स्थान मिथुन राशि मे है और बुध सूर्य के साथ कालपुरुष की कुंडली के अनुसार जनता वाहन पानी मकान रहने वाले स्थान आदि से भी सम्बन्ध रख रहा है। जातक का मुख्य बिन्दु बुध से सम्बन्धित है,बुध शिक्षा स्थान मे भी है और बुध का क्षेत्र माता से भी जुडा है,अपने मकान से भी जुडा है पैत्रिक जायदाद से भी जुडा है भूमि सम्बन्धी कामो से भी जुडा है लोगो को सुख देने वाले कारको से भी जुडा है वस्त्र और आभूषण आदि के कामो से भी जुडा है सूर्य के साथ होने से जंगल कृषि आदि के कारको से भी जुडा है सम्पत्ति को खरीदने बेचने के कारको से भी जुडा है बुध का स्थान किसी प्रकार के कुटीर उद्योग से भी जुडा है,आयात निर्यात के कारको से भी जुडा है व्यापार का रूप गृहस्थ जीवन से भी जुडा देखा जाता है,बडे रूप मे इस भाव के बुध का प्रभाव शिक्षण संस्थाओ से भी जुडा है और कृषि जमीन आदि की खरीद बेच से भी जुडा है।
चौथे आठवे और बारहवे भाव का त्रिकोण जब तक पूरा नही होता है तब तक व्यापार नही चल पाता है। जातक की कुंडली के अनुसार चौथे भाव मे बुध है सूर्य है आठवे भाव मे यूरेनस जो केवल कमन्यूकेशन से ही जुडा है उपस्थित है तथा बारहवे भाव मे चन्द्रमा के साथ केतु विराजमान है,जिसमे केतु के उपस्थित होने के कारण चन्द्रमा का बल समाप्त हो चुका है। लगनेश भी व्यापारिक कारणो को देखते है तो जातक के पास स्थान तो है,लेकिन बुद्धि वाला भाव खाली पडा है,और भाग्य भाव भी केतु और मंगल की स्थिति से भाग्येश के पहुंच से दूर है। लगन से भी देखा जाये तो लगन खाली पडी है यानी जातक खुद शिक्षा से सम्बन्धित कामो से और कपडे आदि के कामो से जुडा तो है लेकिन खरीद बेच करने के कामो को वह केवल अपनी सामयिक पूर्णता को पूरा करने मे भी असमर्थ है। जातक चन्द्रमा की सहायता लेता है तो वह केवल कमन्यूकेशन कम्पनियों की एजेन्सी लेकर मोबाइल रीचार्ज करना,उन्हे किसी दूसरे से रिपेयर करवा कर धन कमाने के लिये माना तो जा सकता है,लेकिन गुरु का चन्द्रमा और केतु से षडाष्टक योग व्यवहार मे ही धन को खर्च करने वाला माना जा सकता है। जातक के व्यवसाय स्थान मे जाने के लिये पहले अपने रोजाना के खर्चो को पूरा करने के लिये मंगल से जूझना पडेगा फ़िर छोटी यात्रा आदि करने के लिये शुक्र यानी वाहन से जूझना पडेगा तब जाकर वह अपने व्यवसाय स्थान मे पहुंच पायेगा,पास के किसी शिक्षा स्थान के पास उसे अपने व्यवसाय स्थान को स्थापित करना पडेगा और शिक्षण संस्थाओ मे बाहर से आने वाले लोगों के लिये अपने कार्यों को करना पडेगा। जातक जब भी किसी काम की जोखिम लेगा तो केवल कमन्यूकेशन से ही जोखिम लेने के लिये माना जायेगा,जैसे किसी कमन्यूकेशन कम्पनी या बाहर की जनता के द्वारा समाचार मिलने पर वह उनके कार्यों को पूरा करेगा लेकिन शनि राहु का जो छठे भाव मे है उनके द्वारा धन की आवक को असमंजस मे माना जायेगा। जातक को अपने व्यापार के त्रिकोण को पूरा करने के लिये अष्टम को पहले साधना जरूरी होगा तभी जाकर वह अपने व्यापार मे सफ़ल हो पायेगा।
जातक के अष्टम मे तुला राशि है और इस राशि का मालिक शुक्र है जो व्यापार स्थान यानी चौथे भाव से बारहवे भाव मे विराजमान है,लेकिन वह अपनी राशि मे होने के कारण अटल है,जातक को इस भाव को भरने के लिये अष्टम के उपाय यानी अपनी पत्नी का योगदान लेना पडेगा,या जातक अपने व्यवसाय स्थान में अष्टम के शुक्र यानी सजावटी कला का पूर्ण रूप से प्रदर्शन करना जानने के लिये अपने को योग्य बनाना पडेगा। जातक को चन्द्रमा से नवे भाव मे शुक्र की तुला राशि होने से जातक अपने भाग्य की बढोत्तरी के लिये शुक्र की सहायता ले सकता है,यानी शुक्रवार का व्रत करना,लक्ष्मी की स्थापना अपने व्यवसाय स्थान मे स्थापित करना जो भी मीडिया या कमन्यूकेशन के अथवा कम्पयूटर के कार्य है या उन्हे सिखाने के कारण है उन्हे व्यक्तिगत रूप से सम्भालने के लिये अपने प्रयास जारी रखने होंगे। जातक अपने व्यवसाय को प्रदर्शित करने के लिये अपने आस्पास के माहौल मे अपनी स्थिति को अपनी पत्नी केनाम से भी कर सकता है।
चौथे आठवे और बारहवे भाव का त्रिकोण जब तक पूरा नही होता है तब तक व्यापार नही चल पाता है। जातक की कुंडली के अनुसार चौथे भाव मे बुध है सूर्य है आठवे भाव मे यूरेनस जो केवल कमन्यूकेशन से ही जुडा है उपस्थित है तथा बारहवे भाव मे चन्द्रमा के साथ केतु विराजमान है,जिसमे केतु के उपस्थित होने के कारण चन्द्रमा का बल समाप्त हो चुका है। लगनेश भी व्यापारिक कारणो को देखते है तो जातक के पास स्थान तो है,लेकिन बुद्धि वाला भाव खाली पडा है,और भाग्य भाव भी केतु और मंगल की स्थिति से भाग्येश के पहुंच से दूर है। लगन से भी देखा जाये तो लगन खाली पडी है यानी जातक खुद शिक्षा से सम्बन्धित कामो से और कपडे आदि के कामो से जुडा तो है लेकिन खरीद बेच करने के कामो को वह केवल अपनी सामयिक पूर्णता को पूरा करने मे भी असमर्थ है। जातक चन्द्रमा की सहायता लेता है तो वह केवल कमन्यूकेशन कम्पनियों की एजेन्सी लेकर मोबाइल रीचार्ज करना,उन्हे किसी दूसरे से रिपेयर करवा कर धन कमाने के लिये माना तो जा सकता है,लेकिन गुरु का चन्द्रमा और केतु से षडाष्टक योग व्यवहार मे ही धन को खर्च करने वाला माना जा सकता है। जातक के व्यवसाय स्थान मे जाने के लिये पहले अपने रोजाना के खर्चो को पूरा करने के लिये मंगल से जूझना पडेगा फ़िर छोटी यात्रा आदि करने के लिये शुक्र यानी वाहन से जूझना पडेगा तब जाकर वह अपने व्यवसाय स्थान मे पहुंच पायेगा,पास के किसी शिक्षा स्थान के पास उसे अपने व्यवसाय स्थान को स्थापित करना पडेगा और शिक्षण संस्थाओ मे बाहर से आने वाले लोगों के लिये अपने कार्यों को करना पडेगा। जातक जब भी किसी काम की जोखिम लेगा तो केवल कमन्यूकेशन से ही जोखिम लेने के लिये माना जायेगा,जैसे किसी कमन्यूकेशन कम्पनी या बाहर की जनता के द्वारा समाचार मिलने पर वह उनके कार्यों को पूरा करेगा लेकिन शनि राहु का जो छठे भाव मे है उनके द्वारा धन की आवक को असमंजस मे माना जायेगा। जातक को अपने व्यापार के त्रिकोण को पूरा करने के लिये अष्टम को पहले साधना जरूरी होगा तभी जाकर वह अपने व्यापार मे सफ़ल हो पायेगा।
जातक के अष्टम मे तुला राशि है और इस राशि का मालिक शुक्र है जो व्यापार स्थान यानी चौथे भाव से बारहवे भाव मे विराजमान है,लेकिन वह अपनी राशि मे होने के कारण अटल है,जातक को इस भाव को भरने के लिये अष्टम के उपाय यानी अपनी पत्नी का योगदान लेना पडेगा,या जातक अपने व्यवसाय स्थान में अष्टम के शुक्र यानी सजावटी कला का पूर्ण रूप से प्रदर्शन करना जानने के लिये अपने को योग्य बनाना पडेगा। जातक को चन्द्रमा से नवे भाव मे शुक्र की तुला राशि होने से जातक अपने भाग्य की बढोत्तरी के लिये शुक्र की सहायता ले सकता है,यानी शुक्रवार का व्रत करना,लक्ष्मी की स्थापना अपने व्यवसाय स्थान मे स्थापित करना जो भी मीडिया या कमन्यूकेशन के अथवा कम्पयूटर के कार्य है या उन्हे सिखाने के कारण है उन्हे व्यक्तिगत रूप से सम्भालने के लिये अपने प्रयास जारी रखने होंगे। जातक अपने व्यवसाय को प्रदर्शित करने के लिये अपने आस्पास के माहौल मे अपनी स्थिति को अपनी पत्नी केनाम से भी कर सकता है।
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