प्रस्तुत कुंडली सिंह लगन की है और भाग्य के मालिक मंगल स्वगृही है। मंगल पर राहु की नजर है इस राहु की नजर के कारण जातक को अपने अटल भाग्य पर भरोसा नही है,वह अपने इस राहु के प्रभाव के कारण अपने भाग्य को समझ नही पा रहा है। चन्द्र राशि से भी भाग्य के मालिक सूर्य है और भाग्य स्थान मे केतु मंगल से युति बनाकर विराजमान है केतु की स्थिति भी मंगल से कम नही है। धन और लाभ के मालिक बुध वक्री होकर छठे भाव मे विराकना है शुक्र तथा चन्द्र भाग्येश सूर्य ने साथ दिया है। अक्सर वक्री बुध का कारण एक और हो जाता है कि वह अपने को समझाने के बजाय दूसरे से तर्क करने के लिये भी जाना जाता है और अपने अनुसार खुद के कानून बनाने की बात भी करता है उन्ही कानूनो पर चलने की कोशिश करता है और अपने बनाये हुये कानूनो के अन्दर उलझ कर खुद ही खड्डे मे चला जाता है। ग्रह अपना प्रभाव देते है वह कुंडली मे शनि और चन्द्रमा की युति को देखकर पता किया जाता है इससे बुद्धि वाला क्षेत्र एक तरह से जमे हुये पानी की तरह से और इस जमे हुये पानी की युति को प्रवाहित करने के लिये ईश्वर ने जातक को भाग्य भाव मे ही मंगल को बैठाकर भेजा है लेकिन इस शनि चन्द्र की युति सीधी राहु पर जा रही है और जातक को अपने ही किये गये कार्यो पर भरोसा नही है साथ ही किसी की बात को सुनना और समझना भी राहु के कारण नही है। राहु की जाने वाली कमाइयो मे जीवन साथी के मामले मे तथा अपने से बडे भाई या बहिन के लिये भी गलत असर को देने वाला माना जा सकता है,इस राहु का प्रभाव सीधा सा भाग्येश को भी देख रहा है बडे भाई बहिन के भाव को भी देख रहा है लगन को देखने के साथ साथ तीसरे भाव को भे देख रहा है,इस प्रकार से जातक का शरीर जातक के प्रति बुद्धि से प्रयोग किये जाने वाले तकनीकी दिमाग आदि के कारण भी राहु के कारण दिक्कत देने वाला माना जा सकता है। बुध सूर्य और शुक्र के साथ होने तथा बुध का वक्री होने के कारण जातक के अन्दर बुध ही फ़र्क देने वाला है,और बुध ही जातक की बुद्धि को भ्रम देने के लिये माना जा सकता है।
dob 20.06.1986
ReplyDeletedop nagpur
guruji krupaya mere bare mai batayie
सुशील जी आपने अपने जन्म समय को नही लिखा है साथ ही वृश्चिक राशि है शनि भी वृश्चिक का है गूढ ज्ञान और तत्व आदि की अच्छी जानकारी प्रदान करता है तकनीक मे जमीनी कारको की खोज और खनिज सम्बन्धी विद्या का श्रेष्ठ ज्ञान मिलता है पत्नी और ससुराल खानदान लक्ष्मी धन का कारक है बुद्धि से खुद का व्यवसाय करने की अच्छी प्रोग्रेस पत्नी के आने के बाद मिलती है,खुद के अन्दर उत्तेजना की कमी है और बुद्धि का होना तथा उत्तेजना का नही होना जीवन के प्रति अच्छी प्रोग्रेस का कारण बनता है पूर्वजो के प्रति स्थान बदलाव और पिता के प्रति भवन आदि की अच्छी प्राप्ति का कारण मिलता है.
ReplyDeletenaam मनोज कुमार साह , DOB: 21/2/1990 samaya: 2:45 SUBH ke; Janam Sthan: Ghaziabad (Uttar Pradesh)... GURUJI Kripya mEri aane wali life, Life Partner Or Study ke bare me^ batayein PLS...
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ReplyDeleteगुरूजी मेरा जन्म 08 अप्रैल 1988 समय 20:35 समस्तीपुर बिहार में हुआ मुझे जानना है क मेरी आर्थक हालात कब ठीक होंगे और मुझे क्या करना चाहिए कृपया ये जवाब मुझे मेल कर दे srvsingh0621@gmail.com मै आपका आभारी रहूँगा
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