Friday, February 10, 2012

तीसरे भाव का राहु

कुन्डली का तीसरा भाव सहज भाव के नाम से जाना जाता है और इस भाव से जातक के लिये पराक्रम दुश्चिक्य नाम भी वैदिक रीति के अनुसार कहे गये है इसके अलावा जीवन साथी और विरोधी तथा साझेदार के लिये यह भाव धर्म भाग्य कानून और पूर्वजो की मर्यादा के साथ भी जोडा जाता है,माता के खर्च और यात्रा के साथ साथ अन्तिम गति की बात भी इसी भाव से सोची जाती है पिता का छठा भाव होने से तथा कार्य आदि का छठा भाव होने से रोजाना के कामो के अन्दर मिलने वाली गति की बात भी मानी जाती है। बडे भाई के पंचम स्थान होने के कारण तथा भाभी का ग्यारहवा भाव होने के कारण यह भाव अपने अपने अनुसार अपनी मान्यता रखता है अक्सर जातक के बारे मे इस भाव से जातक की हिम्मत को देखा जाता है,जातक अपने दिमाग को कितना खर्च कर सकता है अपने दिमाग को कितना अच्छा फ़ैला सकता है,जातक के द्वारा अपने जीवन मे तरक्की पाने के लिये सोच कैसी होती है,लोग उसे किस रूप मे देखते है,जातक के अन्दर अपने को प्रदर्शित करने का कितना बल है अपने पहिनावे आदि के प्रति कितनी अच्छी या बुरी कला है,वह फ़ैसन युक्त रहना चाहता है या फ़टेहाल घूम कर ही उसे अपने मे सन्तुष्टि है,वह घर से बाहर जाने पर अपने को कैसी महसूस करता है उसकी छोटी यात्राये कैसी है वह उन यात्राओ से क्या कमा सकता है और क्या खो सकता है,उसके छोटे भाई बहिन उसके पडौसी उसे कितना चाहते है या उसके प्रति कितना विश्वास रखते है,अगर विवाहित पुरुष है तो उसकी सबसे बडी साली या साला उसके साथ कैसा व्यवहार रखता है अगर वह स्त्री है तो उसके बडे जेठ और जिठानी उसके साथ कैसा व्यवहार रखते है,उसकी आजीविका का मुख्य बिन्दु क्या है क्या आजीविका कुछ समय की है या लम्बी चलने वाली है अथवा आजन्म चलने वाली है,उसका बोलने का स्वर कैसा है वह भारी आवाज मे बोलता है या किसी पतली आवाज मे बोलता है उसे थाइराइड आदि जैसी बीमारिया है या वह हमेशा अपने को स्वस्थ समझता है उसके गले मे इन्फ़ेक्सन रहता है या वह बोलते समय खखारता रहता है या बोलने के वक्त गला अधिक सूखता है उसका संगीत आदि मे कितना मन लगता है वह कभी गाना आदि सुनने मे किस प्रकार का संगीत सुनना पसन्द करता है। या उसे किसी संगीत आदि सुनने के बाद अपमान महसूस होता है या फ़िर झल्लाहट आती है,उसकी लिखने की कला कैसी है उसका लेख कैसा है वह जो लिखता है वह दूसरो को पसन्द आती है या नही उसका चित्रकारी की तरफ़ कोई मन लगता है या वह केवल चित्रो को देखकर उनके अन्दर अपनी भ्रान्तियों के कारण गल्तिया ही खोजा करता है। वह दूसरो से फ़ोन मोबाइल इन्टरनेट आदि से कैसे जुडता है किस प्रकार की बात उसे करने से सन्तुष्टि मिलती है या फ़ोन उठाने से ही मन दूर हो गया है,किसी की घंटी बजते ही उसे झल्लाहट तो नही आती है या फ़ोन पर किसी के काम को करने की बजाय कही अपने को बीमार तो नही बताता है,या काफ़ी देर तक बात करने की इच्छा तो नही होती है,यह भाव धैर्य का भी माना गया है जातक अपने अनुसार किसी कार्य के पूरा होने के लिये कितनी देर इन्तजार कर सकता है,अथवा वह हर काम को जल्दी करना चाहता है,उसे इन्तजार नही करना पडे धन या शरीर की हानि हो जाये कोई बात नही इस बात की चिन्ता तो नही है,उसके शरीर मे स्त्री है तो रज और पुरुष है तो वीर्य की मात्रा का ज्ञान भी इसी भाव से मिलता है। शरीर को मोहक बनाने और एक प्रकार का तेज देने के लिये स्त्री के अन्दर रज और पुरुष के अन्दर वीर्य की अधिकता का होना जरूरी है,कही स्त्री या पुरुष अपनी अति के कारण रज या वीर्य को बरबाद तो नही कर रहा है,अनुसन्धान करना या किसी विषय मे दक्षता को हासिल करना इसी भाव से देखा जाता है,कानो के लिये भी इसी भाव से समझा जाता है कि उसे कैसी बाते सुनने को मिलती है वह सुनने की शक्ति कितनी रखता है कही उसके अन्दर अपनी ही धुन मे रहने के कारण बात को अनसुनी करने की आदत तो नही है,शरीर मे छाती का हिस्सा भी इसी भाव मे आता है जो ह्रदय के ऊपर का कवर यानी छाती वाला पासलियो वाला बक्सा होता है वह भी इसी भाव मे आता है,सांस को लेने से फ़ेफ़डों की सिकुडन फ़ेफ़डो मे सूजन इन्फ़ेक्सन कफ़ का जमना सांस की दिक्कत आदि इसी भाव से देखे जाते है। लोगो को ईमेल करना पत्र व्यवहार करना टेलीफ़ोन कम्पनियां हवाई कम्पनिया समाचार पत्र और अन्य प्रकार की पत्र पत्रिकायें सामान को वितरण करने वाले साधन जैसे कोरियर आदि की सेवायें अन्तर्देशीय हवाई सेवायें देश के अन्दर राजनीति चलने वाली गतिविधियां जनता को डर लगना और कनफ़्यूजन मे रहना आदि इसी भाव से देखा जाता है।

मेष राशि मे मिथुन राशि इस भाव मे आती है और इस भाव मे राहु के होने पर जातक के अन्दर उपरोक्त सभी कारको के लिये उत्तेजना आजाती है और वह अपने को सीमा से अधिक आगे ले जाने की कोशिश करता है उसके साथ कानून विदेशी सम्बन्ध ऊंची शिक्षा और बडी राजनीति सहायता देने लगती है।

वृष राशि मे तीसरे भाव मे कर्क राशि आती है इस भाव मे राहु होने पर जातक के बाहर आने जाने वाहन आदि के लिये मीडिया और मनोरंजन आदि के लिये विद्या के क्षेत्र मे आने जाने के प्रति उपरोक्त कारको मे भ्रम रहने से मानसिक चिन्ता का पैदा होना माना जाता है लोग अपने अपने विचार अपने अपने रूप मे रखते है उन्हे मर्यादा घर परिवार समाज देश के लिये कोई मूल्य नही होता है उनकी नजर मे जो जैसा आता है कहना भी शुरु कर देते है और सोचना भी शुरु कर देते है,अक्सर पानी के इन्फ़ेक्सन और कफ़ की बीमारी पैदा हो जाती है सांस लेने मे दिक्कत के साथ उपरोक्त कारको मे दिक्कत आने लगती है।

मिथुन राशि के तीसरे भाव में सिंह राशि आती है जातक के अन्दर उपरोक्त कारको के अन्दर अक्समात ही राजनीति पैदा होने लगती है और अपनी ही बात हांकने या अपनी ही बात कहने का कारण पैदा होने लगता है अपने लोग भी पराये लगने लगते है सन्तान आदि के लिये भी भ्रम पैदा हो जाते है उनके मित्र और धर्म स्थान के लोग उन्हे अपने अनुसार चलाने मे सामने आने लगते है.राजनीति करना दूसरे के भेद को लेकर उसे प्रसारित करना जिन्होने अपने साथ भला किया है उन्ही के बारे मे बुरा सोचने की बात राहु के होने से पैदा होने लगती है बाहर जाते समय किसी न किसी प्रकार का कारण दिमाग मे पैदा हो जाता है और कोई सरकारी कनफ़्यूजन वाली दिक्कत का आना भी माना जा सकता है।

कर्क राशि के तीसरे भाव मे कन्या राशि आती है इस राशि के होने से उपरोक्त कारको के अन्दर अचानक वृद्धि होने लगती है और परेशानी के अलावा गुप्त रूप से दुश्मनी बनना जरा जरा सी तकलीफ़ मे डाक्टर के पास भागना गले मे दिक्कत का होना फ़ेफ़डो मे सूजन आना तथा अधिक कामुकता का भी पैदा होना माना जा सकता है लोन आदि के लिये हमेशा भावना रहना कोई भी काम करने के लिये शरीर शक्ति की आवश्यक्ता को महसूस करना आदि पाया जाता है।

सिंह राशि के तीसरे भाव में तुला राशि आती है जातक को उपरोक्त कारको मे राहु के आने से अक्समात ही बेलेन्स करने की हिम्मत पैदा होने लगती है और इस बेलेन्स बनाने के चक्कर मे जातक किसी भी काम को देर से कर पाता है या किये गये काम का फ़ल नही मिल पाता है,लडाई झगडे मे कोर्ट केश आदि की तरफ़ जाना भी हो जाता है.

कन्या राशि के तीसरे भाव मे वृश्चिक राशि आती है इस भाव मे राहु के होने से जातक को अपमानित होना पडता है उपरोक्त कारक उसके लिये एक प्रकार से राख के जैसे दिखाई देने लगते है,यहां तक कि वह अगर किसी को अपने मन की बात को भी कहना चाहता है तो उसे अपमानित होना पडता है अधिक वीर्य की क्षति या रज की क्षति से जातक को कमजोरी अधिक होने लगती है और वह स्त्री है तो ल्यूकोरिया जैसी बीमारी और पुरुष है तो मधुमेह का शिकार हो जाता है। पुरुष है तो उसके बडे साले और साली से किसी न किसी बात की कनफ़्यूजन वाली स्थिति का बन जाना होता है जिससे उसके जीवन साथी से मनमुटाव होना और उसके परिवार के पूर्वजो के प्रति दुर्भावना का बनन गाली गलौज आदि देना माना जाता है उसी प्रकार से अगर स्त्री की राशि है तो उसके ससुराल वाले बडे भाई बडी भाभी आदि के द्वारा आक्षेप देना उसके प्रति घर के बडे बूढो से अनर्गल आरोप लगाना,जो भी धन आदि कमाया जाता है उसके प्रति गलत धारणा का देना इन कारणो से अक्सर जीवन साथी भी अपने घर वालो के लिये एक प्रकार से डाकिया जैसा काम करने लगता है उसे अपने जीवन साथी से कोई लगाव नही रह जाता है वह अपने को केवल इसी कारणो मे उलझाये रखता है कि वह अगर अपने घर वालो से दूर हो गया तो उसे कोई सहारा देने वाला नही है आदि बाते मानी जाती है। इस राशि मे तीसरे भाव का राहु सबसे अधिक खराब माना जाता है.

तुला राशि के तीसरे भाव में धनु राशि आती है इस भाव मे राहु के आने से अक्सर जातक को अपने छोटे भाई बहिनो के द्वारा ठगा जाता है वह अपने मेहनत से कमाये हुये धन को उनके प्रति खर्च करता है और अगर गुरु सही नही है तो अक्सर यह भी देखा गया है कि इस राशि के जातक अपने भाई बहिनो के दुष्कर्म के शिकार भी हो जाते है। इसके अलावा जातक अपने को धार्मिक रूप से अधिक प्रशारित करना जानने लगता है उसकी इज्जत देश विदेश मे बढनेलगती है और धन की आवक भी अनाप सनाप आने लगती है।

वृश्चिक राशि के तीसरे भाव मे मकर राशि आती है इस स्थान पर राहु के होने से जातक के लिये जो भी काम किये जाते है वह अक्सर एक बार खराब होते देखे जा सकते है जब भी जातक को कोई बडी परेशानी होती है तो जातक किसी न किसी प्रकार के मादक पदार्थों को सेवन करने लगता है या उसके साथ दवाइयां जुड जाती है।उपरोक्त कारको मे अधिकतर जातक फ़ेल ही रहता है पिता से या स्वसुर से बनाव बिगाड हो जाता है माता की सेहत खराब रहती है यह बात माता के द्वारा अधिक चिन्ता करने से होती है।

धनु राशि के तीसरे भाव मे कुम्भ राशि आती है इस भाव के अन्दर जातक की राहु के कारण मित्र बनाने की मात्रा बहुत अधिक बढ जाती है जातक अपने को मित्रो से घिरा पाता है और गीत सन्गीत आदि मे अपने मन को लगाने वाला होता है उसे यह भी पता नही होता है कि उसने काम क्या किया और उसे फ़ल कितना मिलेगा अक्सर इस भाव मे राहु के आने से अगर जातक किसी प्रकार के कानूनी काम मे जुडा है तो उसे अपने आप ही उन्नति मिल जाती है देश या राष्ट्र की सेवा से जुडा है तो उसे किसी न किसी प्रकार की अतिश्योक्ति उन्नति मिलती रहती है।

इसी प्रकार से अन्य राशियों के बारे मे जाना जाता है अधिक जानकारी के लिये बेव साइट www.astrobhadauria.com पर अपने जन्म समय आदि को भेज सकते है या ईमेल astrobhadauria@gmail.com पर लिख सकते है.

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