वृश्चिक लगन की कुंडली,में मंगल लगनेश के रूप मे अष्टम भाव मे विराजमान है.चन्द्र राशि कन्या है,राहु बारहवे भाव मे है,केतु का स्थान गुरु बुध के साथ छठे भाव मे है,सूर्य शुक्र मीन राशि के होकर पंचम भाव मे विराजमान है.शनि देव नवे भाव मे कर्क राशि के है। कन्या राशि का नाम होता तो माना जा सकता था,लगन के अनुसार वृश्चिक राशि का होता तो माना जा सकता था। नवमांस की लगन का नाम होता तो माना जा सकता था,नवमांस के चन्द्रमा के अनुसार नाम होता तो माना जा सकता था। लगनेश की राशि मिथुन का नाम क अक्षर से दिया गया था। ज्योतिष में जन्म तारीख के अलावा भी नाम को भी उसी प्रकार से देखा जाता है जैसे लगन और चन्द्र लगन तथा सूर्य लगन। लेकिन जिनके बारहवे भाव मे राहु यो या चौथे भाव मे राहु अथवा अष्टम भाव मे राहु हो लोग अपनी पहिचान बताने से इसलिये डरते है कि वे जो काम कर रहे है वह किसी की नजर में आ गया तो उन्हे दिक्कत हो सकती है,जबकि बारहवे भाव का राहु हमेशा रिस्तो के मामले मे डराया ही करता है। इसका भी एक कारण और भी माना जाता है कि जब लोग अपने अनुसार चलने वाले होते है घर परिवार दोस्तो से अपने बारे मे हर बात को छुपाया करते है तो साइबर संसार मे आकर वे किसी तरह से नाम पता और अन्य बाते केवल डर की बजह से छुपाते है। इसका एक कारण और भी माना जाता है कि लोग दूसरे के नाम से अपने बारे मे व्यक्त करते है और किसी भी उल्टे काम के लिये दूसरो का नाम बताकर बचने की कोशिश करते है। लेकिन नाम का रूप प्रकृति ने दिया होता है,जो नाम दिया है उसी नाम से संसार में चलना भी होता है अपना संसार बनाना भी होता है लेकिन जब नाम को ही छुपा लिया और फ़र्जी नाम से किसी बात को जानने की कोशिश की जाये तो वह तो किसी भी प्रकार से समझ मे नही आ सकती है।
बात नाम के बारे मे चल रही थी,भदौरिया जी ने कई बार इस बात को जांचा है परखा है कि नाम को छुपाकर अपने बारे मे जानना चाहते है उन्हे डर लगता है कि भदौरियाजी किसी भी प्रकार से उनके नाम को उनके दोस्तो को नही बता दें या उनकी जो बुराइया है उनके बारे मे वे किसी को खुलासा करने मे कोई गल्ती नही कर दे,लेकिन ज्योतिषी मास्टर और डाक्टर का मूल धर्म होता है कि वह किसी की भी बुराई को किसी अन्य के सामने नही कहे अगर वह किसी भी बात को जो बुरी है तो वह किसी भी प्रकार से अपने बारे मे केवल अपनी अच्छाई को चाहने वाला है इस प्रकार का व्यवहार कभी भी जो अपनी बुराई या कठिनाई को कहना चाह रहा है उसके लिये वह कभी भी अच्छा नही कर सकता है। जब किसी को मित्रवत माना जाता है तभी उसकी कठिनाई को फ़ील किया जा सकता है,और जब तक किसी की बीमारी को कष्ट को महसूस नही किया जायेगा कभी भी उसका इलाज नही हो सकता है।
राहु का नियम है कि वह नाम का बखान जरूर करता है जैसे इस कुंडली मे राहु का स्थान तुला राशि मे है तो वह मिथुन राशि के नाम को चुनेगा या कुम्भ राशि को चुनेगा। मिथुन राशि मे मंगल वैसे ही बैठा हुआ इसलिये राहु के सामने एक ही नाम सामने आता है वह कुम्भ राशि से इसलिये अपने प्रश्न को जानने वाले का नाम कुम्भ राशि से स अक्षर से शुरु होना चाहिये।
जातक ने अपने प्रश्न के बारे मे पूंछा है कि उसकी शादी कब होगी तो शादी के लिये उसके सप्तम को देखना पडेगा,सप्तम का स्थान वृष राशि ने पकडा हुआ है और इस राशि का स्वामी शुक्र है,शुक्र का स्थान सूर्य के साथ पंचम भाव मे है यानी पिता ने एक बार शादी कर दी है और जातक चाहता है कि वह अफ़ेयर आदि से दूसरी शादी को करे या दूसरे सम्बन्ध बनाये। इस बात के लिये भी राहु गुप्त रूप से विराजमान मंगल को ही अपना शिकार बनायेगा। यानी अपने अन्य सम्बन्ध को गुप्त रखने के बाद अपनी शादी या किसी प्रकार के बडे सम्बन्ध को बनाकर अपनी खुद की जिन्दगी को शाही करने के चक्कर मे है या किसी प्रकार से जिससे प्रश्न पूंछा जा रहा है उसके बारे मे उसके ज्ञान को परखने का कारण माना जा सकता है।
इस प्रकार की ग्रह युति अक्सर मैने सीबीआई या पुलिस वालो की कुंडली मे भी देखी है जो अपने बारे मे कुछ बताकर पूरे भेद को पता कर ले जाते है और बाद मे जब खुलासा होता है तो वे यह कहने लगते है क्या करे उनकी मजबूरी थी। उन्हे नौकरी करनी थी इसलिये उन्होने ऐसा किया। इस बात को और अधिक बल तब मिलता है जब गुरु बुध और केतु छठे भाव मे विराजमान होते है तो गुरु जो सम्बन्ध का कारक है बुध कमन्यूकेशन का कारक माना गया है और केतु नौकरी करने वाला व्यक्ति भी कहा जा सकता है,जब गुरु और केतु की सम्मिलित द्रिष्टि लगनेश मंगल पर पड रही है तो वास्तव मे ऐसा जातक अपने सम्बन्धो को बनाकर गुप्त रूप से धन कमाने के लिये अपनी योग्यता को आगे प्रदर्शित करना चाहता है।
वैसे एक बात और मानी जा सकती है जब राहु का गोचर लगन पर हो रहा होता है तो व्यक्ति बहुत ही घने अंधेरे मे अपने को रखता है,या यूं कहा जाये कि जातक के पास केवल एक ही शक्ति काम करती है कि वह किसी प्रकार से अपने को गुप्त रखने के बाद अपने बारे मे सब कुछ जान ले या किसी अन्य के बारे मे जान ले। यह राहु अपने को कानून से भी बचाता है और पिता तथा परिवार और अपनी संतान से भी बचाता है। जैसे इस प्रकार की कुंडली मे वर्तमान मे राहु का गोचर लगन मे चल रहा है और केतु का स्थान सप्तम मे है। जातक की सहायता करने वाले दो लोग है और उनमे से एक को वह अपने लिये अपनी आत्म संतुष्टि के लिये प्रयोग मे लाना चाहता है,लेकिन उसके लिये वह प्रयोग करने वाले दो कारक एक तरफ़ तो गुरु बुध केतु के चक्कर मे है और दूसरी तरफ़ सीना तानकर मंगल खडा है। भेद छुपाने के लिये राहु का सहारा भी लिया तो केतु ने अपनी रोशनी से उसे भी उजागर कर दिया।
बात नाम के बारे मे चल रही थी,भदौरिया जी ने कई बार इस बात को जांचा है परखा है कि नाम को छुपाकर अपने बारे मे जानना चाहते है उन्हे डर लगता है कि भदौरियाजी किसी भी प्रकार से उनके नाम को उनके दोस्तो को नही बता दें या उनकी जो बुराइया है उनके बारे मे वे किसी को खुलासा करने मे कोई गल्ती नही कर दे,लेकिन ज्योतिषी मास्टर और डाक्टर का मूल धर्म होता है कि वह किसी की भी बुराई को किसी अन्य के सामने नही कहे अगर वह किसी भी बात को जो बुरी है तो वह किसी भी प्रकार से अपने बारे मे केवल अपनी अच्छाई को चाहने वाला है इस प्रकार का व्यवहार कभी भी जो अपनी बुराई या कठिनाई को कहना चाह रहा है उसके लिये वह कभी भी अच्छा नही कर सकता है। जब किसी को मित्रवत माना जाता है तभी उसकी कठिनाई को फ़ील किया जा सकता है,और जब तक किसी की बीमारी को कष्ट को महसूस नही किया जायेगा कभी भी उसका इलाज नही हो सकता है।
राहु का नियम है कि वह नाम का बखान जरूर करता है जैसे इस कुंडली मे राहु का स्थान तुला राशि मे है तो वह मिथुन राशि के नाम को चुनेगा या कुम्भ राशि को चुनेगा। मिथुन राशि मे मंगल वैसे ही बैठा हुआ इसलिये राहु के सामने एक ही नाम सामने आता है वह कुम्भ राशि से इसलिये अपने प्रश्न को जानने वाले का नाम कुम्भ राशि से स अक्षर से शुरु होना चाहिये।
जातक ने अपने प्रश्न के बारे मे पूंछा है कि उसकी शादी कब होगी तो शादी के लिये उसके सप्तम को देखना पडेगा,सप्तम का स्थान वृष राशि ने पकडा हुआ है और इस राशि का स्वामी शुक्र है,शुक्र का स्थान सूर्य के साथ पंचम भाव मे है यानी पिता ने एक बार शादी कर दी है और जातक चाहता है कि वह अफ़ेयर आदि से दूसरी शादी को करे या दूसरे सम्बन्ध बनाये। इस बात के लिये भी राहु गुप्त रूप से विराजमान मंगल को ही अपना शिकार बनायेगा। यानी अपने अन्य सम्बन्ध को गुप्त रखने के बाद अपनी शादी या किसी प्रकार के बडे सम्बन्ध को बनाकर अपनी खुद की जिन्दगी को शाही करने के चक्कर मे है या किसी प्रकार से जिससे प्रश्न पूंछा जा रहा है उसके बारे मे उसके ज्ञान को परखने का कारण माना जा सकता है।
इस प्रकार की ग्रह युति अक्सर मैने सीबीआई या पुलिस वालो की कुंडली मे भी देखी है जो अपने बारे मे कुछ बताकर पूरे भेद को पता कर ले जाते है और बाद मे जब खुलासा होता है तो वे यह कहने लगते है क्या करे उनकी मजबूरी थी। उन्हे नौकरी करनी थी इसलिये उन्होने ऐसा किया। इस बात को और अधिक बल तब मिलता है जब गुरु बुध और केतु छठे भाव मे विराजमान होते है तो गुरु जो सम्बन्ध का कारक है बुध कमन्यूकेशन का कारक माना गया है और केतु नौकरी करने वाला व्यक्ति भी कहा जा सकता है,जब गुरु और केतु की सम्मिलित द्रिष्टि लगनेश मंगल पर पड रही है तो वास्तव मे ऐसा जातक अपने सम्बन्धो को बनाकर गुप्त रूप से धन कमाने के लिये अपनी योग्यता को आगे प्रदर्शित करना चाहता है।
वैसे एक बात और मानी जा सकती है जब राहु का गोचर लगन पर हो रहा होता है तो व्यक्ति बहुत ही घने अंधेरे मे अपने को रखता है,या यूं कहा जाये कि जातक के पास केवल एक ही शक्ति काम करती है कि वह किसी प्रकार से अपने को गुप्त रखने के बाद अपने बारे मे सब कुछ जान ले या किसी अन्य के बारे मे जान ले। यह राहु अपने को कानून से भी बचाता है और पिता तथा परिवार और अपनी संतान से भी बचाता है। जैसे इस प्रकार की कुंडली मे वर्तमान मे राहु का गोचर लगन मे चल रहा है और केतु का स्थान सप्तम मे है। जातक की सहायता करने वाले दो लोग है और उनमे से एक को वह अपने लिये अपनी आत्म संतुष्टि के लिये प्रयोग मे लाना चाहता है,लेकिन उसके लिये वह प्रयोग करने वाले दो कारक एक तरफ़ तो गुरु बुध केतु के चक्कर मे है और दूसरी तरफ़ सीना तानकर मंगल खडा है। भेद छुपाने के लिये राहु का सहारा भी लिया तो केतु ने अपनी रोशनी से उसे भी उजागर कर दिया।
how to hide your name can you tell me
ReplyDeleteWhat Is Kundli
ReplyDeleteVashikaran Expert
Vashikaran For Love
Girl Vashikaran Specialist
Get Your Love Back By Vashikaran
I Need My Love Back
I Want To Stop My Girlfriend Marriage
I Want to Stop Someone Marriage