मकर लगन की कुंडली है केतु चन्द्र दूसरे भाव में है मंगल छठे भाव में है और बाकी के सभी ग्रह अष्टम भाव में है.कुम्भ का केतु चन्द्रमा के साथ हो तो वैसे तो इन्फोर्मेशन तकनीक में माहिर माना जाता है लेकिन मंगल के छठे भाव में आने से और मिथुन के मंगल के होने से जातक को गुप्त तकनीक का ज्ञाता भी माना जाता है,ग्रह पंचायत जो अष्टम भाव में है उसके अन्दर राहू का उपस्थित होना किसी भी कारक के लिए एक साथ हजारो विचार देने के लिए माना जाता है जो की जातक के लिए या तो बहुत ही ऊंचाइयों पर जाने के लिए या बिलकुल बेकार होने के लिए भी अपनी युति को प्रदान करता है,इस प्रकार की कुंडली अक्सर वैज्ञानिकों की देखी जाती है और इस प्रकार के लोग देखने में कुछ नहीं होने के बावजूद भी अपने को अन्दर ही अन्दर आगे बढाने के लिए माने जाते है.
कहावत है की सतयुग में गुरु की मान्यता थी तो कलयुग में शुक्र की मान्यता है,शुक्र जब कार्य और पंचम का स्वामी होकर किसी प्रकार से अष्टम में बैठ जाता है तो जातक को अंदरूनी खोजो के प्रति अपने को आगे बढाने में मदद करता है,इस शुक्र को जब किसी प्रकार से राहू भी बल देता है तो व्यक्ति जमीनी तौर पर अपने को अन्दर ही अन्दर उन कारणों को प्रस्तुत करने का हौसला बना लेता है जिन्हें देख कर समझ कर जान कर लोग आगे अपने को बढाने में प्रस्तुत करते है.इसी शुक्र और राहू को गुरु भी बल देता है तो जातक शिक्षा के क्षत्र में स्वचालित मशीन की तरह अपने को सामने रखता है और उसके दिमाग को अगर किसी धन के कारण से नहीं जोड़ा जाए तो वह इतना शक्तिशाली हो जाता है की उसके सामने अच्छे अच्छे अपनी औकात को नहीं दिखा पाते है,इसी गुरु राशु शुक्र के साथ अगर शनि भी स्थापित हो जाता है तो जातक की खोजो को कार्य या वस्तु के रूप में सामने देखा जा सकता है साथ में बुध भी है तो जातक का स्वभाव कम बोलने और आगे बढ़ने में ही भलाई समझाने के लिए माना जाता है,अगर इस युति में जातक किसी प्रकार से रत्न व्यासाय या वह व्यवसाय जो शक्ति को बताने वाले होते है बहुत ही आगे बढाने के लिए अपनी युति को देता है अक्सर इस प्रकार के जातक इन्फोर्मेशन तकनीक डाक्टरी शिक्षा या किसी प्रकार की एन जी ओ वाली कार्य प्रणाली को अपने जीवन में लाकर बहुत ही अच्छी तरह से विदेशी कारको में अपने नाम को आगे बढ़ा सकाता है.
जातक की अभी शनि की दशा चल रही है और शनि के अन्दर राहू का अंतर चलने से जातक को अपने ही कारण और अपने ही कामो के अन्दर भटकाव मिल रहा है,आने वाली फरवरी के मध्य से जातक की शनि में गुरु की दशा का प्रभाव शुरू होगा यह प्रभाव जातक को स्थिरता प्रदान करने वाला होगा लेकिन जातक इस समय में अगर अपने को अपने कार्यों को धर्मी रूप में जैसे कार्य को किया और बदले में कुछ माँगा ही नहीं है या कार्य के फल के लिए दूसरो पर छोड़ दिया है तो वह दिक्कत देने वाला माना जा सकता है.
कहावत है की सतयुग में गुरु की मान्यता थी तो कलयुग में शुक्र की मान्यता है,शुक्र जब कार्य और पंचम का स्वामी होकर किसी प्रकार से अष्टम में बैठ जाता है तो जातक को अंदरूनी खोजो के प्रति अपने को आगे बढाने में मदद करता है,इस शुक्र को जब किसी प्रकार से राहू भी बल देता है तो व्यक्ति जमीनी तौर पर अपने को अन्दर ही अन्दर उन कारणों को प्रस्तुत करने का हौसला बना लेता है जिन्हें देख कर समझ कर जान कर लोग आगे अपने को बढाने में प्रस्तुत करते है.इसी शुक्र और राहू को गुरु भी बल देता है तो जातक शिक्षा के क्षत्र में स्वचालित मशीन की तरह अपने को सामने रखता है और उसके दिमाग को अगर किसी धन के कारण से नहीं जोड़ा जाए तो वह इतना शक्तिशाली हो जाता है की उसके सामने अच्छे अच्छे अपनी औकात को नहीं दिखा पाते है,इसी गुरु राशु शुक्र के साथ अगर शनि भी स्थापित हो जाता है तो जातक की खोजो को कार्य या वस्तु के रूप में सामने देखा जा सकता है साथ में बुध भी है तो जातक का स्वभाव कम बोलने और आगे बढ़ने में ही भलाई समझाने के लिए माना जाता है,अगर इस युति में जातक किसी प्रकार से रत्न व्यासाय या वह व्यवसाय जो शक्ति को बताने वाले होते है बहुत ही आगे बढाने के लिए अपनी युति को देता है अक्सर इस प्रकार के जातक इन्फोर्मेशन तकनीक डाक्टरी शिक्षा या किसी प्रकार की एन जी ओ वाली कार्य प्रणाली को अपने जीवन में लाकर बहुत ही अच्छी तरह से विदेशी कारको में अपने नाम को आगे बढ़ा सकाता है.
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