दिल्ली से एक सज्जन का प्रश्न है कि उनकी नौकरी कब लगेगी?
नौकरी के लिये कुंडली का छठवां दसवां और दूसरा भाव देखा जाता है.हर भाव का दूसरा भाव प्राप्ति का रूप प्रदान करता है और ग्यारहवा भाव उस भाव का लाभ का भाव है.इन सज्जन की कुंडली धनु लगन की है और गुरु इस लगन के स्वामी है। इनके दूसरे भाव के अन्दर लगनेश वक्री होकर विराजमान है साथ ही छठे भाव के मालिक शुक्र है जो पंचम स्थान मे विराजमान है तथा दसवे भाव के मालिक बुध है जो सप्तम स्थान मे विराजमान है. दूसरे भाव के अन्दर तो गुरु विराजमान है बाकी के भाव छ: और दस दोनो खाली है। दूसरे भाव की नौकरी का कारक खुद का शरीर होता है,छ: का कारक अपनी खुद की बुद्धि होती है और दस का कारक बडी शिक्षा को माना जाता है। इन सज्जन के लिये खुद के द्वारा ही प्रयास करने पर नौकरी का कारण मिलता है,इसके बाद दूसरे भाव के लिये लाभ का भाव बारहवा भाव है जो इन्हे लाभ तो दे सकता है लेकिन बाहर से अपने क्षेत्र या प्रयास से कोई लाभ नही मिल रहा है। लगनेश के छठे भाव में सूर्य पिता के रूप मे बुध चाचा के रूप मे और मंगल विदेश तथा पुत्र के रूप मे अपनी गति को प्रदान कर रहे है। यानी जातक के पिता चाचा और आगे इनके पुत्र का कार्य तो नौकरी के प्रति मिलता है लेकिन आपके लिये नही मिलता है। लगनेश के चौथे भाव मे अगर देखा जाये तो पंचम स्थान में लगन से छठे भाव के कारक शुक्र का स्थान है,शुक्र को भौतिक सम्पत्ति के लिये भी माना जाता है और पुरुष की कुंडली मे पत्नी के लिये भी माना जाता है। राहु और चन्द्र का भी स्थान है,इसलिये आपके लिये व्यवसाय का रूप सही मायने मे मिलता है जो पत्नी के प्रयास से या माता के प्रयास से राहु जो दवाइयों का कारक है या साज सज्जा के सामान का कारक के द्वारा जीवन यापन के लिये अपना योगदान माना जा सकता है।
नौकरी के लिये कुंडली का छठवां दसवां और दूसरा भाव देखा जाता है.हर भाव का दूसरा भाव प्राप्ति का रूप प्रदान करता है और ग्यारहवा भाव उस भाव का लाभ का भाव है.इन सज्जन की कुंडली धनु लगन की है और गुरु इस लगन के स्वामी है। इनके दूसरे भाव के अन्दर लगनेश वक्री होकर विराजमान है साथ ही छठे भाव के मालिक शुक्र है जो पंचम स्थान मे विराजमान है तथा दसवे भाव के मालिक बुध है जो सप्तम स्थान मे विराजमान है. दूसरे भाव के अन्दर तो गुरु विराजमान है बाकी के भाव छ: और दस दोनो खाली है। दूसरे भाव की नौकरी का कारक खुद का शरीर होता है,छ: का कारक अपनी खुद की बुद्धि होती है और दस का कारक बडी शिक्षा को माना जाता है। इन सज्जन के लिये खुद के द्वारा ही प्रयास करने पर नौकरी का कारण मिलता है,इसके बाद दूसरे भाव के लिये लाभ का भाव बारहवा भाव है जो इन्हे लाभ तो दे सकता है लेकिन बाहर से अपने क्षेत्र या प्रयास से कोई लाभ नही मिल रहा है। लगनेश के छठे भाव में सूर्य पिता के रूप मे बुध चाचा के रूप मे और मंगल विदेश तथा पुत्र के रूप मे अपनी गति को प्रदान कर रहे है। यानी जातक के पिता चाचा और आगे इनके पुत्र का कार्य तो नौकरी के प्रति मिलता है लेकिन आपके लिये नही मिलता है। लगनेश के चौथे भाव मे अगर देखा जाये तो पंचम स्थान में लगन से छठे भाव के कारक शुक्र का स्थान है,शुक्र को भौतिक सम्पत्ति के लिये भी माना जाता है और पुरुष की कुंडली मे पत्नी के लिये भी माना जाता है। राहु और चन्द्र का भी स्थान है,इसलिये आपके लिये व्यवसाय का रूप सही मायने मे मिलता है जो पत्नी के प्रयास से या माता के प्रयास से राहु जो दवाइयों का कारक है या साज सज्जा के सामान का कारक के द्वारा जीवन यापन के लिये अपना योगदान माना जा सकता है।
Guruji , aap pls meri patrika dhekhiye na pls, muje guide kijiye, , mera date - 23 november 1984, pune me rat ko 8:10 baje , pls muje bhi kya karana chahiye , agar buisness hai toh konasa karna chahiye ? Gurudev kripaya marg dhikhaye
ReplyDelete20/04/1994 sir mere nukari kab lage
ReplyDeleteD.O.B.20/04/1994 SIR MERE NUKARI KAB LAGE
ReplyDeleteMaharaj sadr Pranam
ReplyDeletemai na to apni rashi janta na hi is pr belive karta
pr mrere parents k kahne pr is pr vichar bi karta hun
mai software industry me jana chahta hun kya ye mere liye sahi feild hai ya kisi or fild me jaun
mai is samy duvidha me hun ki mere liye
kon sa plc sahi hai
NAME- Jyoti Prateek Dwivedi
dob- 15-10-1990
pandit ji aap bato ki meri naukri kab laggegi
ReplyDeleteMeri job KB lagegi
ReplyDeleteName Megha Nagle dob 12/7/94
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