राहु को रूह और मंगल को खून की उपाधि दी गयी है लालकिताब से भी बताया गया है कि राहु के साथ बुध आने से मंगल बद हो जाता है मंगल के दो रूपो मंगल नेक और मंगल बद के अलग अलग देवता माने गये है,मंगल बद के देवता भूत प्रेत पिशाच और पितर आदि होते है और मंगल नेक के देवता दैविक शक्तियों वाले देवता माने जाते है जिसमे हनुमान जी को मुख्य माना जाता है,अगर मंगल बद वाला व्यक्ति दैविक शक्तियों के प्रति समर्पित हो जाता है तो भूखों मरने लगता है और मंगल नेक वाला व्यक्ति अगर भूत प्रेत पिशाच और पितर आदि की पूजा पाठ मे लग जाता है तो वह बरबाद हो जाता है। अक्सर इस बात का अन्दाज अधिक श्रद्धा करने वाले लोग जानते होंगे कि वे किसी के कहने से किसी दैविक स्थान पर जाते है वह जो लेकर जाता है वह तो सभी बातो से पूर्ण हो जाता है लेकिन को जाता है अगर उसकी सिफ़्त उस देवी देवता से नही मिलती है तो वह वहां जाकर वापस आते ही बरबाद होने लगता है,कई तो धर्म स्थान की यात्रा से वापस आते ही किसी न किसी प्रकार की दुर्घटना से अपने को जबरदस्ती घिरवा लेते है। यही कुछ इस कुंडली के अनुसार समझा जा सकता है। लोग जो मंगल बद की श्रेणी मे आते है वे अगर मंगल के अच्छे स्थान से पूर्ण होते है तो उनका रूप पुलिस डाक्टर बडे इन्जीनियर के रूप मे देखने को मिलता है और जिनका मंगल नेक होता है वे धर्म स्थानो पूजा पाठो और धर्म कर्म की सामग्री आदि को बेचते खाते देखे जाते है। अथवा किसी आफ़िस मे कलम घिसते हुये देखे जाते है। किसान की श्रेणी मंगल नेक मे आजातीहै और किसान के द्वारा पैदा हुये अनाज को बेचने और उससे पैदा करने वालो को मंगल बद की श्रेणी मे गिना जाता है,आयुर्वेद के लोग और पंचायत से मामला निपटाने वाले लोग भी मंगल नेक की श्रेणी मे ही गिने जाते है। मंगल नेक वालो का भोजन सात्विक रूप मे देखा जाता है और मंगल बद का भोजन शराब कबाब आदि की श्रेणी मे गिना जाता है।
इस कुंडली मे जातक का मंगल बद है और वह बुध के साथ भी है साथ ही राहु जो लगन मे उसका भी असर जातक के मंगल और बुध पर है,राहु दादा का कारक भी है जातक का मंगल दादा के खून से मिलता जुलता है जो आदते दादा के अन्दर होनी चाहिये वही आदते जातक के अन्दर होनी चाहिये,राहु का असर कुम्भ राशि मे होने से जातक का दादा अपने भाइयों मे बडा होना चाहिये तो जातक के पिता का भी ग्यारहवे भाव मे होने से अपने भाई बहिनो मे बडा होना चाहिये यही बात जातक के लिये मानी जा सकती है कि जातक भी अपने भाई बहिनो मे बडा होना चाहिये। बुध के साथ मंगल के होने से भी जातक के बारे मे जाना जा सकता है कि जातक के पिता खानदान मे किसी न किसी बात के कारण अदालती मामले या जायदाद के प्रति नरम गरम वाली बाते चलनी चाहिये,मंगल पर राहु का असर होने के कारण जातक का खून अचानक गर्म होकर दिक्कत देने वाला होना चाहिये अथवा शरीर के निचले हिस्से मे अधिक फ़ोडा फ़ुन्सी भी होने चाहिये। राहु के द्वारा बुध पर असर देने के कारण जातक को ऊंची शिक्षा का लेना विदेशी परिवेश मे होना चाहिये और उस शिक्षा मे व्यापारिक शिक्षा तथा कम्पयूटर और तकनीकी मामले मे बहुत अच्छा होना चाहिये यानी जातक को आई टी क्षेत्र मे नाम वाला आदमी होना चाहिये। पिता के जन्म स्थान मे जातक के दादा को होना चाहिये और जातक के पिता को विदेशी परिवेश मे या किसी धन आदि के क्षेत्र मे ब्रोकर जैसे काम करना चाहिये।
केतु के साथ शनिहोने से जातक की बहिनो की संख्या अधिक होनी चाहिये लेकिन जातक बहिनो की परवाह करने वाला नही होना चाहिये जातक के सप्तम मे केतु के होने से जातक की शिक्षा मे शुरु मे कुछ दिक्कत होनी चाहिये और जातक के प्रति किसी न किसी प्रकार का कारण जो पेट और पाचन क्रिया से सम्बन्धित हो वह असरकारक होना चाहिये,जातक के लिये हमेशा किसी न किसी सहारे की जरूरत होनी चाहिये साथ ही माता को किसी शिक्षा के क्षेत्र मे होना चाहिये आदि बाते मिलती है।
इस कुंडली मे जातक का मंगल बद है और वह बुध के साथ भी है साथ ही राहु जो लगन मे उसका भी असर जातक के मंगल और बुध पर है,राहु दादा का कारक भी है जातक का मंगल दादा के खून से मिलता जुलता है जो आदते दादा के अन्दर होनी चाहिये वही आदते जातक के अन्दर होनी चाहिये,राहु का असर कुम्भ राशि मे होने से जातक का दादा अपने भाइयों मे बडा होना चाहिये तो जातक के पिता का भी ग्यारहवे भाव मे होने से अपने भाई बहिनो मे बडा होना चाहिये यही बात जातक के लिये मानी जा सकती है कि जातक भी अपने भाई बहिनो मे बडा होना चाहिये। बुध के साथ मंगल के होने से भी जातक के बारे मे जाना जा सकता है कि जातक के पिता खानदान मे किसी न किसी बात के कारण अदालती मामले या जायदाद के प्रति नरम गरम वाली बाते चलनी चाहिये,मंगल पर राहु का असर होने के कारण जातक का खून अचानक गर्म होकर दिक्कत देने वाला होना चाहिये अथवा शरीर के निचले हिस्से मे अधिक फ़ोडा फ़ुन्सी भी होने चाहिये। राहु के द्वारा बुध पर असर देने के कारण जातक को ऊंची शिक्षा का लेना विदेशी परिवेश मे होना चाहिये और उस शिक्षा मे व्यापारिक शिक्षा तथा कम्पयूटर और तकनीकी मामले मे बहुत अच्छा होना चाहिये यानी जातक को आई टी क्षेत्र मे नाम वाला आदमी होना चाहिये। पिता के जन्म स्थान मे जातक के दादा को होना चाहिये और जातक के पिता को विदेशी परिवेश मे या किसी धन आदि के क्षेत्र मे ब्रोकर जैसे काम करना चाहिये।
केतु के साथ शनिहोने से जातक की बहिनो की संख्या अधिक होनी चाहिये लेकिन जातक बहिनो की परवाह करने वाला नही होना चाहिये जातक के सप्तम मे केतु के होने से जातक की शिक्षा मे शुरु मे कुछ दिक्कत होनी चाहिये और जातक के प्रति किसी न किसी प्रकार का कारण जो पेट और पाचन क्रिया से सम्बन्धित हो वह असरकारक होना चाहिये,जातक के लिये हमेशा किसी न किसी सहारे की जरूरत होनी चाहिये साथ ही माता को किसी शिक्षा के क्षेत्र मे होना चाहिये आदि बाते मिलती है।
nice and informative post
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