अच्छा ज्योतिषी उसे ही कहा जाता है जो ज्योतिषी के पास जाते ही जातक के बारे मे कथन शुरु कर दे। यह सब कोई बडी बात नही है बल्कि इस विद्या को मूक प्रश्न के दायरे मे लाया जाता है। मूक प्रश्न को जानने के लिये दो सिद्धान्त अक्सर प्रयोग मे लाये जाते है,एक ग्रह सिद्धान्त कहा जाता है और दूसरा भाव सिद्धान्त कहा जाता है।
ग्रह सिद्धान्त
इस सिद्धान्त के अनुसार प्रश्न कुंडली बनाकर सर्वप्रथम मूक प्रश्न के प्रतिनिधि ग्रह का विचार किया जाता है। और भाव मे ग्रह की स्थिति के अनुसार मूक प्रश्न का निश्चय किया जाता है मूक प्रश्न का प्रतिनिधि लगनेश या चन्द्रमा को ही माना जाता है और दोनो के कमजोर होने या कनफ़्यूजन मे होने पर चौथे भाव के स्वामी को इस कार्य के लिये प्रतिनिधि बनाया जाता है। इस प्रकार से लगन या चन्द्र अथवा चौथे भाव के बल को विचारने के बाद प्रतिनिधि ग्रह का निश्चय कर लिया जाता है। यहां ध्यान देने योग्य बात है कि कभी चौथे भाव के मालिक के नीच राशि मे हो अथवा वह सूर्य के साथ होने के कारण अस्त हो गया हो तो लगनेश या चन्द्रमा से मूक प्रश्न का विचार करना हितकर होता है।
उदाहरण
प्रस्तुत कुंडली मेष लगन की है और प्रश्चक सामने आकर बैठ गया है,इस प्रश्चक के बारे मे देखना है कि प्रश्चक के मन के अन्दर क्या प्रश्न चल रहा है। मेष लगन के मालिक मंगल है,मंगल नीच राशि के होकर चौथे भाव मे विराजमान है,चौथे भाव के मालिक भी चन्द्रमा है,तो ऊपर लिखे नियम के अनुसार लगनेश नीच राशि मे होने के कारण लगनेश से तो प्रश्चक के प्रश्न का पता नही किया जा सकता है,लेकिन चन्द्रमा से जाना जा सकता है एक तो चन्द्रमा मन का कारक भी है और ऊपर से चौथे भाव का मालिक भी है। चन्द्रमा दूसरे भाव मे वृष राशि मे केतु के साथ बैठा है.दूसरे भाव के चन्द्रमा के बारे मे प्रश्चक के मन मे चांदी सोने के सिक्के या जवाहरात के व्यापार का प्रश्न है,घर से चलते समय रास्ते मे उसे कोई सहायक मिला था जो सादी विष भूषा मे था,प्रश्चक घर से चलते समय धन या सम्पत्ति विषय वाली चिन्ता करता हुआ निकलता है। प्रश्चक को जब इतना बताया गया तो उसने आश्चर्य से जबाब दिया कि -उसने अपने दो सोने के सिक्के जो किसी प्रसिद्ध सोने की कम्पनी के थे,पैसे की कमी से किसी के पास गिरवी रखे थे,वह सिक्के उसे लेने जाना है वह सिक्के उसे मिल जायेंगे,या नही। इस प्रकार से जातक के मूक प्रश्न का हल निकल गया,अब प्रश्चक को यह चिन्ता है कि उसके सिक्के मिलेंगे या नही ? इस बात का जबाब खोजने के लिये चन्द्रमा के द्वारा किससे लिया गया और किसे दिया गया,इस बात का पता करने के लिये प्रश्चक के द्वारा उन सिक्को को लेने का कारक तो चन्द्रमा से दूसरा स्थान है और चन्द्रमा ने जिसे दिया है वह चन्द्रमा से बारहवे स्थान का कारक है। बारहवे स्थान के कारक ग्रह की इच्छा को समझना जरूरी है कि उसके अन्दर बेईमानी है या ईमानदारी है। मेष लगन मे गुरु गुरु वक्री है और वह चन्द्रमा से बारहवे भाव मे विराजमान है। कहा जाता है कि जब गुरु जो इस कुंडली मे भाग्य के भी कारक है और खर्च के तथा यात्रा भाव के भी कारक है,लेकिन वक्री होने से वे हर काम को जल्दी से किये जाने का कारण पैदा करते है। गुरु के चौथे भाव मे नीच का मंगल है,लेकिन मंगल पर अष्टम राहु ने अपनी नजर डालकर नीच भाव में डर पैदा किया है,इस डर से गुरु का मानसिक कारण यह सोच कर बेईमानी नही करेगा क्योंकि गुरु को डर है कि वह या तो बदनामी मे आजायेगा या किसी प्रकार के बेकार के झमेले मे फ़ंस जायेगा। इसलिये गुरु उन सिक्कों को वापस कर देगा। दूसरा प्रश्न है कि आखिर चन्द्रमा को इन सिक्को को गुरु के पास रखने का कारण क्या था,इस बात को जानने के लिये गुरु के कार्य भाव को देखना पडेगा,गुरु के कार्य भाव के मालिक शनि है और शनि का साथ सूर्य के साथ छठे भाव मे है तथा शनि की तीसरी नजर अष्टम के राहु पर है और दसवी नजर मिथुन राशि पर तीसरे भाव मे है। चौथा मंगल और अष्टम का राहु नवम पंचम की युति मे है और इस युति का सीधा प्रभाव जातक के द्वारा किये जाने वाले तकनीकी काम की तरफ़ इशारा कर रहा है। राहु का स्थान तकनीकी गहन जानकारी के लिये सूचित कर रहा है तो मंगल व्यवसाय स्थान के बारे मे अपनी युति दे रहा है,चन्द्रमा के साथ केतु कार्य को साझेदारी के लिये भी जाना जा सकता है। इस प्रकार कार्य के लिये जातक को खुद के व्यवसाय के लिये धन की जरूरत थी और उसने उन सोने के सिक्को को गिरवी रखा था।
GURU ,G, PRANAAM, KIRPA ISI TARAH AAP AUR BHI PRASHAN KUNDLIO PAR GYAN DAVE. SHUB CHINTAK.
ReplyDeleteखुश रहो विनोद,जरूर लिखता रहूंगा पढते रहो.
ReplyDeleteshubham sharma 11:25am ashoknagar m.p. me preshan ho gya hu job nhi lgi pariwar sab chut rha he upaye or karan btaye
ReplyDeleteगुरूजी प्रणाम, आपके द्वारा दी गयी जानकारी बहुत महत्वपूर्ण और जीवनदायी है.
ReplyDeletemai apki sardar parnak krta hu or koti koti apka dhanyad krta hu guruji
ReplyDeleteaap jasa yugpurush ka ghan hi is duniya ko chla rha hai or jagat ko parkasith kar rha hai apka bhut bhut dhanwad
ReplyDeleteप्रभु जी आपने ने ऊपर बड़ा सुंदर बताया है लेकिन एक लगन तो सवा दो घन्टे एक ही रहता है तो क्या इस समय के अन्दर जितने लोग प्रश्न पूछेंगे सारे सिक्कों के बारे ही पुछगे।कृपया शंका निवारण करें।जय श्री राधे।
ReplyDeleteKUCH JYOTISH AAP SE 5 BHGWAN KE NAAM 5 FRUIT K NAAM FLOWR K NAAAM PUCHTE HAI OR HMARE BTANE SE PAHL HE WO EK PEPER PR LIKH DETE H
ReplyDeleteआचार्य श्री राधे राधे। क्या प्रश्न कुण्डली से पितृदोष का पता लगाया जा सकता है यदि हां तो समझाने की कृपा करें
ReplyDeleteGuru ji parnam
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