सन्तान की पैदाइस मे तुला लगन का महत्व अक्सर चौथे नम्बर की सन्तान के बारे मे जाना जाता है.इससे पता उल्टी रीति से कुंडली को देखा जाता है,कि कितने बडे भाई बहिन है और सीधी गणना करने से कितने छोटे भाई बहिन है इस बात का पता किया जाता है। बडे भाई बहिनो के लिये उल्टी रीति से देखने पर तुला लगन मे नवे भाव से देखने पर बुध की मिथुन राशि आती है और इस राशि का मालिक बुध है जो स्त्री ग्रह के रूप मे जाना जाता है,और सबसे बडी बहिन होने के लिये अपनी गति को देता है.इसके पहले सूर्य की सिंह राशि आती है जिसका मालिक सूर्य होने से पुरुष ग्रह की शक्ति को देखकर माना जाता है कि बडी बहिन के बाद एक बडा भाई होता है,फ़िर तुला लगन को अगर पुरुष ग्रह अपनी पूर्ण युति से देखते है तो इस राशि के मालिक शुक्र के दो रूप मिलते है शुक्र अगर किसी स्त्री ग्रह के साथ होता है तो पुरुष संतति और शुक्र अगर पुरुष ग्रह के साथ होता है तो स्त्री संतति के कारण को समझा जा सकता है। जातक की लिंग प्रकृति को निर्धारण करने के कारको मे लगनेश का बहुत ही महत्व होता है। इसके अलावा भी अगर लगनेश को अधिक स्त्री ग्रह देखते है तो वह स्त्री रूप मे और पुरुष ग्रह अधिक द्रिष्टि देते है तो पुरुष रूप में समझा जाता है। जैसे लगन के मालिक को अगर पुरुष ग्रह अपनी शक्ति मे अन्य पुरुष ग्रहो की शक्ति को शामिल करने के बाद देता है तो वह रूप पुरुष सन्तति के रूप मे गिना जाता है। इसके उदाहरण के लिये अगर तुला लगन का मालिक दूसरे भाव मे है और उसे शनि अपनी द्रिष्टि से देख रहा है तो यह समझना जरूरी है कि पहले तो शुक्र पुरुष राशि के प्रभाव मे है जैसे तुला लगन की दूसरी राशि वृश्चिक है और इस राशि का मालिक मंगल है,मंगल के प्रभाव से शुक्र का रूप पुरुष रूप मे परिवर्तित होता है इसके बाद अगर बारहवे दसवे आठवे छठे भाव मे गुरु विराजमान है तो पुरुष ग्रह की द्रिष्टि से और भी लगनेश को पुरुष ग्रहो का बल मिल जाता है,साथ ही गुरु के साथ अगर पुरुष ग्रहो जैसे सूर्य मंगल का प्रभाव शामिल हो जाता है तो वह सन्तति पुरुष सन्तति के रूप मे सामने आती है। लेकिन यह भी ध्यान रखने वाली बात होती है कि किसी प्रकार से गुरु या मंगल वक्र हो जाता है तो बजाय पुरुष संतति के स्त्री संतति के बारे मे जाना जा सकता है।
तुला लगन मे जब राहु विराजमान हो जाता है तो जातक के जीवन असमान्य स्थितिया हमेशा बनी रहती है,उसके कार्य के बारे मे कुछ नही कहा जा सकता है उसके विवाह सम्बन्धो के बारे मे भी कुछ नही कहा जा सकता है,उसके जीवन के बारे मे भी कुछ नही कहा जा सकता है। इस लगन मे राहु होने का मतलब होता है कि केतु का स्थान सप्तम मे अपने आप आजयेगा,सूर्य के साथ होने पर राहु का प्रभाव बडे भाई के कारक ग्रह पर होने के कारण बडे भाई के जीवन मे ग्रहण की युति बन जायेगी और केतु जो सप्तम स्थान मे बैठा होगा उसकी युति से बडे भाई का जो पुत्र होगा वह विदेशी मान्यता के अनुरूप माना जायेगा। लगन तुला होगी लेकिन सूर्य और राहु के होने से कुण्डली बडे भाई की मानी जायेगी और बुध के साथ होने पर वह बडी बहिन से भी मिलती जुलती होगी। तुला लगन की कुंडली को या तो चन्द्रमा की लगन से या लगनेश की लगन से मान्यता गिनने पर फ़लादेश मे त्रुटि रहने की सम्भावना कम हो जायेगी।
तुला लगन का राहु और सूर्य बडे भाई के जीवन मे उसके सप्तम मे बैठा केतु ही उसके जीवन को बरबाद करने वाला माना जायेगा कारण उस लगन के केतु का प्रभाव अगर किसी प्रकार से चन्द्रमा से हो गया है तो वह बडे भाई की पत्नी के रूप मे हमेशा अपनी झूठी तरफ़दारी से अपने को आगे बढाने की कोशिश करेगा और उसकी पत्नी हमेशा अपने पुत्र और दामाद के लिये ही अपने जीवन को समर्पित कर देगा। इस लगन के जातक की भाभी के लिये केतु को गिना जायेगा। केतु की द्रिष्टि जिन ग्रहो भावो को अपनी गिरफ़्त मे ले रही होगी वही भाव और ग्रह अपनी युति मे केतु जैसा बर्ताव करना शुरु कर देंगे,इसके अलावा केतु जिन ग्रहों भावो से षडाष्टक योग बना रहा होगा जिन भावो को का असर केतु के लिये द्वादस का गोचर और जन्म के हिसाब से होगा उनके लिये वह हमेशा दिक्कत देने वाला होगा। अगर केतु से पंचम मे चन्द्रमा यानी जातक के ग्यारहवे भाव मे चन्द्रमा है तो केतु की चन्द्र की युति से चन्द्र ग्रहण योग बन जायेगा और जातक की भाभी की माता ग्रहण के कारण विधवा भी हो सकती है या परित्यक्ता भी हो सकती है साथ ही केतु से पंचम भाव मे चन्द्रमा होने से भाभी की माता प्राथमिक शिक्षा वाले कार्यों मे भी हो सकती है और राज्य से भी किसी न किसी प्रकार का लाभ उसे चन्द्रमा से नवे भाव मे केतु होने से मिल रहा होगा।
इस केतु का असर जातक के बडे भाई पर असीमित रूप मे पड रहा होगा,जैसे सप्तम के केतु को दूसरे नम्बर का लडका कहा जाता है,जातक के बडे भाई का लडका दूसरे नम्बर का होगा उसके पहले अगर राहु के साथ बुध है तो और सूर्य भी उसे साथ दे रहा है तो किसी न किसी प्रकार से जातक की भाभी को पहली सन्तान का या तो गर्भपात करवा दिया जाता है या वह पैदा होने के बाद भी टिक नही पाती है। केतु के पंचम में चन्द्रमा के होने से यह भी जाना जाता है कि जातक की भाभी की माँ के गुजरने के बाद जातक की भाभी की पुत्री का राज घर पर होगा और उस राज में जो भी जातक की भाभी की जायदाद आदि होगी वह जातक की भाभी के बाद जातक के बडे भाई के दामाद के कब्जे मे चली जायेगी।
जिस प्रकार से केतु का असर जातक के दूसरे भाव मे होगा उसी प्रकार का असर जातक के बडे भाई की पुत्र वधू के साथ मिलेगा। कारण वही कारक तो जातक के बडे भाई की पत्नी के रूप मे केतु अपने रूप को जाहिर करेगा और वही रूप बडे भाई के बडे पुत्र के लिये जो दूसरे नम्बर का होगा उसके लिये माना जायेगा। जातक को जातक की भाभी हमेशा अपमान देने और अपमानित करने की द्रिष्टि से देखेगी तो जातक के बडे भाई का पुत्र भी अपनी पत्नी को अपमान और अपमानित करने वाली नजर से देखेगा। अक्सर यह कारण लांछन लगाने और झूठी चोरी आदि लगाने के कारको मे जाना जायेगा। कोई भी कार्य हो जातक के द्वारा जो भी किया जायेगा वह कितना ही अच्छा हो या अच्छे के लिये किया जाये लेकिन उसके अन्दर भी अपमान और झूठे इल्जाम लगाये जाने के कारण जातक को मानसिक रूप से प्रताणित करने का काम ही जातक की भाभी का और बाद मे जातक के बडे भाई की पुत्र वधू के लिये किया जायेगा।
तुला लगन मे जब राहु विराजमान हो जाता है तो जातक के जीवन असमान्य स्थितिया हमेशा बनी रहती है,उसके कार्य के बारे मे कुछ नही कहा जा सकता है उसके विवाह सम्बन्धो के बारे मे भी कुछ नही कहा जा सकता है,उसके जीवन के बारे मे भी कुछ नही कहा जा सकता है। इस लगन मे राहु होने का मतलब होता है कि केतु का स्थान सप्तम मे अपने आप आजयेगा,सूर्य के साथ होने पर राहु का प्रभाव बडे भाई के कारक ग्रह पर होने के कारण बडे भाई के जीवन मे ग्रहण की युति बन जायेगी और केतु जो सप्तम स्थान मे बैठा होगा उसकी युति से बडे भाई का जो पुत्र होगा वह विदेशी मान्यता के अनुरूप माना जायेगा। लगन तुला होगी लेकिन सूर्य और राहु के होने से कुण्डली बडे भाई की मानी जायेगी और बुध के साथ होने पर वह बडी बहिन से भी मिलती जुलती होगी। तुला लगन की कुंडली को या तो चन्द्रमा की लगन से या लगनेश की लगन से मान्यता गिनने पर फ़लादेश मे त्रुटि रहने की सम्भावना कम हो जायेगी।
तुला लगन का राहु और सूर्य बडे भाई के जीवन मे उसके सप्तम मे बैठा केतु ही उसके जीवन को बरबाद करने वाला माना जायेगा कारण उस लगन के केतु का प्रभाव अगर किसी प्रकार से चन्द्रमा से हो गया है तो वह बडे भाई की पत्नी के रूप मे हमेशा अपनी झूठी तरफ़दारी से अपने को आगे बढाने की कोशिश करेगा और उसकी पत्नी हमेशा अपने पुत्र और दामाद के लिये ही अपने जीवन को समर्पित कर देगा। इस लगन के जातक की भाभी के लिये केतु को गिना जायेगा। केतु की द्रिष्टि जिन ग्रहो भावो को अपनी गिरफ़्त मे ले रही होगी वही भाव और ग्रह अपनी युति मे केतु जैसा बर्ताव करना शुरु कर देंगे,इसके अलावा केतु जिन ग्रहों भावो से षडाष्टक योग बना रहा होगा जिन भावो को का असर केतु के लिये द्वादस का गोचर और जन्म के हिसाब से होगा उनके लिये वह हमेशा दिक्कत देने वाला होगा। अगर केतु से पंचम मे चन्द्रमा यानी जातक के ग्यारहवे भाव मे चन्द्रमा है तो केतु की चन्द्र की युति से चन्द्र ग्रहण योग बन जायेगा और जातक की भाभी की माता ग्रहण के कारण विधवा भी हो सकती है या परित्यक्ता भी हो सकती है साथ ही केतु से पंचम भाव मे चन्द्रमा होने से भाभी की माता प्राथमिक शिक्षा वाले कार्यों मे भी हो सकती है और राज्य से भी किसी न किसी प्रकार का लाभ उसे चन्द्रमा से नवे भाव मे केतु होने से मिल रहा होगा।
इस केतु का असर जातक के बडे भाई पर असीमित रूप मे पड रहा होगा,जैसे सप्तम के केतु को दूसरे नम्बर का लडका कहा जाता है,जातक के बडे भाई का लडका दूसरे नम्बर का होगा उसके पहले अगर राहु के साथ बुध है तो और सूर्य भी उसे साथ दे रहा है तो किसी न किसी प्रकार से जातक की भाभी को पहली सन्तान का या तो गर्भपात करवा दिया जाता है या वह पैदा होने के बाद भी टिक नही पाती है। केतु के पंचम में चन्द्रमा के होने से यह भी जाना जाता है कि जातक की भाभी की माँ के गुजरने के बाद जातक की भाभी की पुत्री का राज घर पर होगा और उस राज में जो भी जातक की भाभी की जायदाद आदि होगी वह जातक की भाभी के बाद जातक के बडे भाई के दामाद के कब्जे मे चली जायेगी।
जिस प्रकार से केतु का असर जातक के दूसरे भाव मे होगा उसी प्रकार का असर जातक के बडे भाई की पुत्र वधू के साथ मिलेगा। कारण वही कारक तो जातक के बडे भाई की पत्नी के रूप मे केतु अपने रूप को जाहिर करेगा और वही रूप बडे भाई के बडे पुत्र के लिये जो दूसरे नम्बर का होगा उसके लिये माना जायेगा। जातक को जातक की भाभी हमेशा अपमान देने और अपमानित करने की द्रिष्टि से देखेगी तो जातक के बडे भाई का पुत्र भी अपनी पत्नी को अपमान और अपमानित करने वाली नजर से देखेगा। अक्सर यह कारण लांछन लगाने और झूठी चोरी आदि लगाने के कारको मे जाना जायेगा। कोई भी कार्य हो जातक के द्वारा जो भी किया जायेगा वह कितना ही अच्छा हो या अच्छे के लिये किया जाये लेकिन उसके अन्दर भी अपमान और झूठे इल्जाम लगाये जाने के कारण जातक को मानसिक रूप से प्रताणित करने का काम ही जातक की भाभी का और बाद मे जातक के बडे भाई की पुत्र वधू के लिये किया जायेगा।
namaskar sir, mera bhee tula lagan hai 13/08/1962 jaipur ka birth hai sanjay kalla time 11.01 a.m. kya mujh par bhee yahi lagoo hota hai jaisa ki aapne tula lagan ke baare mein likha main bhee bahut sankat ke daur se gujar raha hoon. margdarshan kare aapki ati kripa hogi
ReplyDeleteतुम्हारी कुंडली मे सूर्य और राहु दसवे भाव मे चले गये है और केतु के साथ शनि वक्री होकर विराजमान हो गया है,स्त्री ग्रह पुरुष राशियों में स्थापित हो गये है गुरु वक्री होकर पंचम में विराजमान हो गया है,यहां पर सूर्य राहु के साथ है जरूर लेकिन वह बडे भाई को वकालत जैसे कामो मे साथ रखता है और धन आदि के मामले सन्धारण करने की क्षमता को भी दिखाने वाला होता है,पिता के भाव मे होने से अक्सर जो भी कार्य होते है वे पिता की नजर मे तो बहुत ही उच्च कोटि के माने जाते है लेकिन माता के दोहरी जिन्दगी को जीने वाला भी माना जा सकता है,इकत्तीस दिसम्बर तक गुरु के वक्री रहने तक ही दिक्कत का सामना करना है उसके बाद सफ़लता आने लगेंगी.
ReplyDeletekoi upaay ho to sujhaaye maine lal kitaab ke upaay bhee kiye hai vedic upchaar bhee kiye hai sab kuch theek hai kaam mein lagan aur paisa ghar se ja raha hai kahin income sources nahi ban rahe property dealer ka business hai pichhle12-13 saalo se par ghar mein chaar bhaiyo mein main hi peechhe rah gaya hu mata ji ko 20 october ko teen saal ho jayenge humse juda hue jinko main bahut chahata thaa uske baad meri to grahasthi hi ujad gayi bas pitaji ka saya aur unka sahyog hai jo main abhi tak tika hua hu kripaya kuch sateek upaay aur upchaar bataye jis se mera kalyan ho thank you jo aapne jaankari di uske liye pranam prabhu
ReplyDeletekoi upaay ho to sujhaaye maine lal kitaab ke upaay bhee kiye hai vedic upchaar bhee kiye hai sab kuch theek hai kaam mein lagan aur paisa ghar se ja raha hai kahin income sources nahi ban rahe property dealer ka business hai pichhle12-13 saalo se par ghar mein chaar bhaiyo mein main hi peechhe rah gaya hu mata ji ko 20 october ko teen saal ho jayenge humse juda hue jinko main bahut chahata thaa uske baad meri to grahasthi hi ujad gayi bas pitaji ka saya aur unka sahyog hai jo main abhi tak tika hua hu kripaya kuch sateek upaay aur upchaar bataye jis se mera kalyan ho thank you jo aapne jaankari di uske liye pranam prabhu
ReplyDeleteGURU,G, KIRPA MERE BHI DUKHO KA KAM KIJIY .DOB 25 -2-1956 (16:15PM)
ReplyDeleteVINOD KUMAR 25-2-1956(16:15PM)NEW DELHI.
ReplyDeleteSandeep 1-11-1976 time6:36am delhi plz give prediction
ReplyDeletemy date of birth is 31/07/1992 - time 12:34 PM , lucknow aur hm twins brother hai ..mera career k baare mei bta skte hai kya aap plz
ReplyDeleteNMSTE GURUJI MERA JNAM 16/03/1996 RATRI 8:50 P.M KO HUAA HE ME GOVT JOB KI TYARI KR RHA HU
ReplyDeleteमेरा नाम कमलेश मिश्रा है में बहुत परेशान हूँ?
ReplyDeleteमेरा जन्म 10 जून 1994 में दिन में 12.05 पर हुआ था जन्म स्थान दमोह मध्यप्रदेश