यह कुंडली पंजाब प्रांत के एक सज्जन की है उनका सवाल है की उन्होंने जनता से सम्बंधित कार्य किया और हर कार्य में उन्हें वर्त्तमान में कठिनाई आ रही है. इस कुंडली में वृश्चिक लगन है और लगनेश मंगल स्वराशी के होकर सप्तमेश और व्ययेश शुक्र तथा भाग्येश चन्द्र के साथ विराजमान है,लगनेश के आगे बुध गुरु सूर्य है तथा लगनेश के चौथे भाव में शनि कर्क राशि का है लगनेश से छठे भाव में राहू विराजमान है,राहू केतु का सम्मिलत असर बुध गुरु सूर्य पर है तथा सप्तम में होने के साथ लगन तीसरे भाव जो हिम्मत और पराक्रम का कहा जाता है के साथ पंचम और पंचम के कारको पर अपना असर दे रहा है,इस कुंडली में राहू जो मित्र भाव में उसे ही जीवन में कठिनाई देने के लिए माना जा सकता है जो उच्च के केतु की हैसियत से पंचम भाव के केतु का सहारा लेकर पहले तो बाहरी समबंधो के मामले में साथ आया और कुछ कारणों से जातक की विद्या जो बुध के रूप में और धन कमाने के गुना भाग को अपने में ग्रहण किया उसके साथ गुरु जो धन की राशि में होने और सप्तम के प्रभाव को दो गुना करने वाला है उसे भी अपनी गिरफ्त में लेकर सूर्य जो कार्य का मालिक पर भी अपना ग्रहण दिया है.जो भी खुद की हिम्मत और अपने प्रचार प्रसार तकनीकी ज्ञान से पंचम के केतु का सहारा लेकर कार्य किया वह मित्र भाव में विराजमान राहू ने अपनी शक्ति से मित्रता या कार्य में सहयोग करने वाले साथी या काम करने वाले मित्रो के रूप में जिनकी संख्या लगनेश से छठे भाव में होने से लगभग छः मानी जाती है अपने अन्दर ग्रहण कर लिया,वर्त्तमान में यही राहू गुप्त रूप से जातक के ऊपर हावी होकर जातक के कमन्यूकेशन और कार्य करने वाले साधन तथा जातक के कार्य स्थान को अपने घेरे में लेने की कोशिश कर रहे है.जातक को अपने खुद पर भी भरोसा इसलिए नहीं रहा है क्योंकि पिछले मई के महीने तक जातक को एक सम्मोहन में रखा गया इसके अन्दर जातक को लगनेश की सहायता से लों लेने शुक्र की सहायता से महंगे कारणों को पैदा करने और चन्द्रमा का बल लेकर कार्य करने की शक्ति को क्षीण करने का प्रयास किया गया,जैसे ही मई का महीना बीता और राहू ने धन स्थान से लगन में अपना स्थान बनाया जातक को अपने परिवार पर भी भरोसा होना ख़त्म होने लगा और जो भी जातक को विदेशी सहायता करने वाले तथा जनता वाले कारण थे सभी कुछ बरबाद होने लगा.वैसे इस प्रकार की कार्य प्रणाली तो जातक के लिए पिछले सितम्बर दो हजार नौ से ही मानी जा सकती है लेकिन जातक की हिम्मत से जो शनि जातक को दे रहा है और जातक एन वक्त पर अपने दिमाग को बदलना जानता है जातक के पास स्थान बुद्धि और जान पहिचान के कारण जातक के साथ कुछ बहुत ही बुरा यह लोग नहीं कर पाए है.पिछले समय जो लोग कानूनी रूप से सहायता देने वाले थे और अपने को व्यवसाय में साथ देने वाले थे,वे लोग मई से अठारह महीने पहले गुप्त रूप से जानकारी लेते रहे और उनमे से एक तो कही चला गया लेकिन दो अभी भी कार्यों में तो सहायक है और अपने को धन संबंधी और कार्य संबंधी कार्यों को करने का अवसर प्रदान कर रहे है लेकिन वह अपनी योग्यता को केवल जातक लिए नकारा ही करने पर माने जाते है.
जातक का केतु शिक्षा स्थान में है जातक के लिए राहू और गुरु बुध मिलकर सूर्य के साथ किसी शाही कंपनी के लिए कम्पयूटर या इसी प्रकार की व्यवसायिक गतिविधि को बताता है,शनि के विदेशी भाव में होने के कारण जातक लोगो को विदेश में रहने के लिए सुविधा को देने के लिए भी अपना कार्य करना माना जाता है,यह कार्य सही भी है और जातक के लिए धन और प्रतिष्ठा देने के लिए भी अपनी युति को देता है,वर्त्तमान में राहू में शनि की दशा चलने से जो भी लोग जातक के द्वारा विदेशी शिक्षा या निवास के लिए अपने अपने स्थान पर है वे भी किसी न किसी कारण जातक के प्रति राहू की सांगत से दुष्प्रचार करने के लिए माने जा सकते है,आने वाले नवम्बर के महीने से शनि का प्रभाव राहू से कम हो रहा है साथ ही जिन लोगो ने जातक के साथ धोखा किया है या बरबाद करने की कोशिश की है वह भी शनि के बारहवे भाव में जाने से और राहू के द्वारा शनि को सामने देखने से वे खुद ही अपने अपने कारणों से बरबाद होने लगेंगे,इसके बाद वैसे तो गुरु की सहायता जातक को पिछली मई से मिल गयी थी लेकिन गुरु के वक्री हो जाने और मंगल चन्द्र शुक्र की सहायता में दिक्कत का कारन पैदा हो गया था वह आने वाले सत्ताईस दिसंबर से गुरु के मार्गी होने पर जातक को धन की सहायता और कार्यों की सहायता मिलनी शुरू हो जायेगी,जातक के सामने दोहरे कार्य आने शुरू होने के योग भी शनि के द्वारा मिलना माना जा सकता है जिनके अन्दर धन वाले क्षेत्र में कार्य करना या व्यवसायिक रूप से किसी रोजाना की वस्तुओं का व्यापार करना भी माना जाता है शनि से शनि का गोचर चौथे भाव में होने से जातक का स्थान परिवर्तन भी कार्यों के लिए माना जा सकता है जो वर्त्तमान में कार्य करने के स्थान से पश्चिम दिशा की तरफ हो सकता है.
जातक का केतु शिक्षा स्थान में है जातक के लिए राहू और गुरु बुध मिलकर सूर्य के साथ किसी शाही कंपनी के लिए कम्पयूटर या इसी प्रकार की व्यवसायिक गतिविधि को बताता है,शनि के विदेशी भाव में होने के कारण जातक लोगो को विदेश में रहने के लिए सुविधा को देने के लिए भी अपना कार्य करना माना जाता है,यह कार्य सही भी है और जातक के लिए धन और प्रतिष्ठा देने के लिए भी अपनी युति को देता है,वर्त्तमान में राहू में शनि की दशा चलने से जो भी लोग जातक के द्वारा विदेशी शिक्षा या निवास के लिए अपने अपने स्थान पर है वे भी किसी न किसी कारण जातक के प्रति राहू की सांगत से दुष्प्रचार करने के लिए माने जा सकते है,आने वाले नवम्बर के महीने से शनि का प्रभाव राहू से कम हो रहा है साथ ही जिन लोगो ने जातक के साथ धोखा किया है या बरबाद करने की कोशिश की है वह भी शनि के बारहवे भाव में जाने से और राहू के द्वारा शनि को सामने देखने से वे खुद ही अपने अपने कारणों से बरबाद होने लगेंगे,इसके बाद वैसे तो गुरु की सहायता जातक को पिछली मई से मिल गयी थी लेकिन गुरु के वक्री हो जाने और मंगल चन्द्र शुक्र की सहायता में दिक्कत का कारन पैदा हो गया था वह आने वाले सत्ताईस दिसंबर से गुरु के मार्गी होने पर जातक को धन की सहायता और कार्यों की सहायता मिलनी शुरू हो जायेगी,जातक के सामने दोहरे कार्य आने शुरू होने के योग भी शनि के द्वारा मिलना माना जा सकता है जिनके अन्दर धन वाले क्षेत्र में कार्य करना या व्यवसायिक रूप से किसी रोजाना की वस्तुओं का व्यापार करना भी माना जाता है शनि से शनि का गोचर चौथे भाव में होने से जातक का स्थान परिवर्तन भी कार्यों के लिए माना जा सकता है जो वर्त्तमान में कार्य करने के स्थान से पश्चिम दिशा की तरफ हो सकता है.
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