प्रस्तुत कुंडली गुजरात से विद्या प्राप्त करने वाली एक बालिका की है.उसका आशय है की वह जून दो हजार बारह के पहले अपनी पढाई में ७२ प्रतिशत नंबर ला सकती है और उसकी नौकरी लग सकती है.यह कुंडली मीन लगन की है और लगनेश पंचम भाव में केतु के साथ विराजमान है.पंचम भाव बुद्धि के साथ शिक्षा संतान जल्दी से कमाए जाने वाले धन और मनोरंजन का भाव भी है.गुरु और केतु की निगाह एक जैसी है साथ ही ज्योतिष में गुरु का चेला केतु है,गुरु चेला एक ही भाव में हो तो माना जा सकता है की जातक के अन्दर बुद्धिमानी का प्रभाव तो होगा,दोनों ही चन्द्रमा और राहू को तथा राहू और चन्द्रमा दोनों को आमने सामने की दृष्टि से एक सात का प्रभाव भी दे रहे है.राहू तीसरे भाव में विराजमान धनेश और नवमेश मंगल (वक्री) को भी निगाह दे रहे है गुरु केतु मंगल (वक्री) की सम्मिलित दृष्टि नवं भाव में जा रही है जो उच्च शिक्षा के लिए माना जा सकता है.लेकिन जातिका का मित्र भाव का राहू नवं में गोचर कर रहा है और आने वाले जनवरी दो हजार तेरह तक वह इसी भाव में गोचर करेगा.मंगल जब वक्री हो जाता है तो शक्ति हीन माना जा सकता है कारण पराक्रम का बल नहीं मिल पाता है हिम्मत भी नहीं रहती है,कुदरत ने राहू का साथ चन्द्रमा को दिया और चन्द्रमा जो माता के रूप में है और मित्र भाव में भी है तो माता ने मित्र जैसे व्यवहार से जातिका को हिम्मत देकर आगे की शिक्षा के लिए हमेशा उत्साहित किया है.इसी उत्साह का परिणाम है की जातिका विद्या के क्षेत्र में लगाता अपने प्रयास कर रही है.लेकिन जातिका का उत्साह अपने मित्रो के द्वारा कभी कभी समाप्त इसलिए हो जाता है क्योंकि चन्द्रमा के साथ जब भी राहू होता है तो वह झूठ बोलने और कार्य की जगह पर गलत तरीके से अपने लिए आगे बढ़ने के प्रयासों में माना जाता है,चन्द्रमा का मित्र भाव में होना तथा राहू का साथ देना दोनों ही इस बात के लिए अपन प्रभाव को बता रहे है की जातिका की दोस्ती ऐसे मित्रो से है जो अपने को आगे बढाने के लिए गलत तरीके स्तेमाल कर रहे है जैसे नक़ल करना शिक्षा या कार्यों के लिए अपने जान पहिचान या गलत तरीको का उपयोग करना आदि,जब की जातिका का स्वभाव नेक तरीके से अपने को आगे बढाने के लिए माना जाता है,उसका कारण है की लगनेश केतु के साथ मुख्य त्रिकोण यानी पंचम भाव में विराजमान है.जातिका का धर्म में विस्वास है वह स्वामी नारायण की भक्त है और ऐसा जातिका का पिता भी है माता के लिए भी जब कोइ बल नहीं मिले तो वह भी भक्ति में अपना विशवास रखती है.जातिका को कपडे की खेल कूद की फैसन की और गाने बजाने की संगती की अच्छी जानकारी है,विदेशी भाषाओं में तीन भाषाए उसे अच्छी तरह से आती है इस बात के लिए गुरु से चौथे भाव में सूर्य बुध और शुक्र की उपस्थिति से माना जाता है.
राहू के कारण जातिका को उच्च शिक्षा में जनवरी तो हजार तेरह तक कुछ दिक्कत मानी जा सकती है यह दिक्कत भी अगर सही मायने में देखा जाए तो जीवन में बहुत अच्छे के लिए है.जैसे जन्म स्थान को छोड़ना और विदेशी परिवेश में रहकर पढ़ना और काम भी करना यह दो प्रकार की बाते जातिका के जीवन में आगे के लिए मानी जाती है.जातिका अगर अपने ध्यान को संगीत गायन वादन सजना संवारना दोस्ती करना आदि बातो से दूर रहेगी या वह अपने झूठे दोस्तों का साथ त्याग देगी तो वह जो बहत्तर प्रतिशत की बात करती है बयासी प्रतिशत तक नंबर ला सकती है और उसे जून दो हजार बारह से पहले ही कोइ नियोक्ता अपने आप आकर नौकरी दे सकता है.
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