जातक की लगन मेष है और मंगल जातक के धन भाव में विराजमान है,छठे भाव में राहू है अष्टम में गुरु और नवे भाव में शनि विराजमान है,सूर्य बुध दसवे भाव में चन्द्र शुक्र ग्यारहवे भाव में और केतु बारहवे भाव में है.
जातक का जन्म मेष लगन के अश्विनी नक्षत्र में हुआ है उसका मालिक केतु है,जातक का जीवन केतु पर आधारित है,जातक का चन्द्रमा कुम्भ राशि का है और शुक्र के साथ है लेकिन चन्द्रमा का अस्त होना और धनिष्ठा में स्थापित होने का मतलब है की जातक की सोच मंगल की जैसी है,अस्त होने के कारण वह अपनी सोच को मानसिक रूप से दबा कर केवल इसलिए ही अपने कार्यों को कर रहा है की उसके पास धन की कमी है,धन का कारक शुक्र शतभिषा नक्षत्र में है जिसका मालिक राहू है इसलिए राहू की सोच जातक के दिमाग में जाती है की वह किसी प्रकार के लों आदि से अपने खुद का कार्य करे.
व्यापार के चार भाव माने जाते है चौथा भाव खुद के व्यापार का होता है अष्टम भाव संतान के व्यापार का होता है,बारहवा भाव पूर्वजो के जमाने से चलने वाले व्यापार के बारे में अपनी युति को बताता है.लगन और चौथे भाव में कोइ ग्रह नहीं है इसलिए खुद के द्वारा व्यापार करने का रास्ता नहीं है,पंचम स्थान को शुक्र और चन्द्रमा देख रहे है,तथा पंचम के चौथे भाव में यानी अष्टम भाव में गुरु विराजमान है,लगनेश मंगल और गुरु का आपसी रिश्ता भी है,यह प्रभाव जातक के लिए शुक्र यानी कोइ स्त्री दोस्त और चन्द्रमा यानी बड़ी बहिन अपनी राय से किसी कार्य को करने के लिए अपने बल को दे रहे है.
वर्त्तमान की ग्रह स्थिति के अनुसार जातक के कार्य भाव में सूर्य बुध छठे भाव में शनि राशि और धन भाव में मंगल है,अगर शनि मंगल और सूर्य की युति को पकड़ते है तो जातक की राजकीय सेवा होती है कार्य में कठिनाई होती है जो पद होता है उसके अन्दर किसी न किसी प्रकार की आशंका से बारहवा केतु पदावनति करता है,शनि मंगल और बुध को देखते है तो जातक तकनीकी कार्य करता है लेकिन व्यापार में भी मन होता है और बड़े प्रतिष्ठान में कार्य करने का अवसर मिलता है इसी से जातक को कम्पयूटर का काम करने वाला भी माना जाता है लेखा वाले काम भी करने का अनुभव होता है एक भाई को व्यापार होना भी माना जा सकता है किसी प्रकार के अनुभव को लिखाकर और उसे प्रकाशित भी किया जा सकाता है,शनि मंगल राहू को साथ लेकर चलते है तो जातक को साधारण कार्य होने की बात मिलाती है जीवन धन और परिवार की तरफ से संघर्ष के लिए माना जाता है भाई से झगड़ा होना भी माना जाता है यह ग्रह योग पिछले समय का कष्ट वाला जीवन भी माना जा सकाता है,इसके अन्दर पुलिस या अस्पताल या इसी प्रकार के कारण भी पाए जाते है.अगर शनि बुध और सूर्य को देखते है तो जातक के पास सरकारी कार्य भी हो और व्यापार भी हो साथ ही पिता के द्वारा या राज्य के द्वारा कृषि भूमि भी खरीदी गयी हो जातक अपने कार्यों को अपने मित्रो की सहायता से पूरा करना चाहता हो जातक का सामाजिक व्यवहार अच्छा रहा हो,अगर शनि बुध के साथ मंगल को साथ में लेकर चलते है तो शिक्षा के व्यवधान के कारण राजकीय बड़ी सेवा में नहीं जा पाया हो अधिक परिश्रम करने के बाद ही जीवन यापन चल रहा हो विद्युत् ऊर्जा जैसे कार्य हो तकनीकी कार्य हो,शनि बुध के साथ राहू को मिला लेते है तो जातक की भाई बहिन का जीवन संघर्ष पूर्ण हो जातक के विशवास घाती मित्र हो पितामह किसी क्षेत्र में व्यापार जैसी गति विधि को चलाने वाले रहो हो,इस कारण से व्यापार तो बड़ा हो सकता है लेकिन कभी धोखा होने से जातक का जीवन राहू के कारण अकस्मात ही दिक्कत वाला माना जा सकता है,जैसे पिछले जमा धन को जैसे बीमा आदि के द्वारा या किसी प्रकार से शेयर आदि के काम से धन को कमाया गया हो और किसी विदेशी व्यक्ति या किसी बड़े संस्थान के मालिक से बात होने पर अपने धन को प्रयोग में लाया जाए लेकिन दो या तीन साल में वह व्यक्ति अपने हाथ ऊपर कर दे तथा विदेशी लोगो या अपने से बाहर वाले लोगो के पास धन फंस जाने से दिक्कत हो जाए आदि बाते मानी जा सकती है.
जातक का जन्म मेष लगन के अश्विनी नक्षत्र में हुआ है उसका मालिक केतु है,जातक का जीवन केतु पर आधारित है,जातक का चन्द्रमा कुम्भ राशि का है और शुक्र के साथ है लेकिन चन्द्रमा का अस्त होना और धनिष्ठा में स्थापित होने का मतलब है की जातक की सोच मंगल की जैसी है,अस्त होने के कारण वह अपनी सोच को मानसिक रूप से दबा कर केवल इसलिए ही अपने कार्यों को कर रहा है की उसके पास धन की कमी है,धन का कारक शुक्र शतभिषा नक्षत्र में है जिसका मालिक राहू है इसलिए राहू की सोच जातक के दिमाग में जाती है की वह किसी प्रकार के लों आदि से अपने खुद का कार्य करे.
व्यापार के चार भाव माने जाते है चौथा भाव खुद के व्यापार का होता है अष्टम भाव संतान के व्यापार का होता है,बारहवा भाव पूर्वजो के जमाने से चलने वाले व्यापार के बारे में अपनी युति को बताता है.लगन और चौथे भाव में कोइ ग्रह नहीं है इसलिए खुद के द्वारा व्यापार करने का रास्ता नहीं है,पंचम स्थान को शुक्र और चन्द्रमा देख रहे है,तथा पंचम के चौथे भाव में यानी अष्टम भाव में गुरु विराजमान है,लगनेश मंगल और गुरु का आपसी रिश्ता भी है,यह प्रभाव जातक के लिए शुक्र यानी कोइ स्त्री दोस्त और चन्द्रमा यानी बड़ी बहिन अपनी राय से किसी कार्य को करने के लिए अपने बल को दे रहे है.
वर्त्तमान की ग्रह स्थिति के अनुसार जातक के कार्य भाव में सूर्य बुध छठे भाव में शनि राशि और धन भाव में मंगल है,अगर शनि मंगल और सूर्य की युति को पकड़ते है तो जातक की राजकीय सेवा होती है कार्य में कठिनाई होती है जो पद होता है उसके अन्दर किसी न किसी प्रकार की आशंका से बारहवा केतु पदावनति करता है,शनि मंगल और बुध को देखते है तो जातक तकनीकी कार्य करता है लेकिन व्यापार में भी मन होता है और बड़े प्रतिष्ठान में कार्य करने का अवसर मिलता है इसी से जातक को कम्पयूटर का काम करने वाला भी माना जाता है लेखा वाले काम भी करने का अनुभव होता है एक भाई को व्यापार होना भी माना जा सकता है किसी प्रकार के अनुभव को लिखाकर और उसे प्रकाशित भी किया जा सकाता है,शनि मंगल राहू को साथ लेकर चलते है तो जातक को साधारण कार्य होने की बात मिलाती है जीवन धन और परिवार की तरफ से संघर्ष के लिए माना जाता है भाई से झगड़ा होना भी माना जाता है यह ग्रह योग पिछले समय का कष्ट वाला जीवन भी माना जा सकाता है,इसके अन्दर पुलिस या अस्पताल या इसी प्रकार के कारण भी पाए जाते है.अगर शनि बुध और सूर्य को देखते है तो जातक के पास सरकारी कार्य भी हो और व्यापार भी हो साथ ही पिता के द्वारा या राज्य के द्वारा कृषि भूमि भी खरीदी गयी हो जातक अपने कार्यों को अपने मित्रो की सहायता से पूरा करना चाहता हो जातक का सामाजिक व्यवहार अच्छा रहा हो,अगर शनि बुध के साथ मंगल को साथ में लेकर चलते है तो शिक्षा के व्यवधान के कारण राजकीय बड़ी सेवा में नहीं जा पाया हो अधिक परिश्रम करने के बाद ही जीवन यापन चल रहा हो विद्युत् ऊर्जा जैसे कार्य हो तकनीकी कार्य हो,शनि बुध के साथ राहू को मिला लेते है तो जातक की भाई बहिन का जीवन संघर्ष पूर्ण हो जातक के विशवास घाती मित्र हो पितामह किसी क्षेत्र में व्यापार जैसी गति विधि को चलाने वाले रहो हो,इस कारण से व्यापार तो बड़ा हो सकता है लेकिन कभी धोखा होने से जातक का जीवन राहू के कारण अकस्मात ही दिक्कत वाला माना जा सकता है,जैसे पिछले जमा धन को जैसे बीमा आदि के द्वारा या किसी प्रकार से शेयर आदि के काम से धन को कमाया गया हो और किसी विदेशी व्यक्ति या किसी बड़े संस्थान के मालिक से बात होने पर अपने धन को प्रयोग में लाया जाए लेकिन दो या तीन साल में वह व्यक्ति अपने हाथ ऊपर कर दे तथा विदेशी लोगो या अपने से बाहर वाले लोगो के पास धन फंस जाने से दिक्कत हो जाए आदि बाते मानी जा सकती है.
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