इस जातक की धनु लगन की कुंडली है और गुरु दसवे भाव मे विराजमान है.चन्द्र राशि कुम्भ है,लेकिन इस जातक का नाम सिंह राशि से शुरु हो रहा है.इस बात का एक कारण जो नाडी ज्योतिष मे जाना जाता है उसके अनुसार जब जातक का नाम प्रकृति ने रखा हो और सोच समझ कर दुनियावी रीति से नही रखा गया हो तो उस प्रकृति का कैसे पता किया जा सकता है.अगर कुंडली मे गुरु को देखते है तो वह शनि के साथ दसवे भाव मे है यानी नीच का हो गया है साथ नाम को प्रदान करने वाले ग्रह चन्द्रमा का भी शनि की राशि कुम्भ मे जाना और केतु राहु के बीच मे अकेला फ़ंसा होना जातक के वास्तविक चन्द्र राशि से नाम का प्राप्त करना दिक्कत वाला है.समय पर अपने आप ही जातक के मन मे भावना पैदा हो जाती है कि वह अपने नाम की राशि को जाने और अपने ऊपर के संकट को हटाने का प्रयास भी करे.
"धनु लग्नोदयो जन्म तस्ये भूमि नन्दन,
चन्द्र पुत्र व्ययगेहे भृगु पुत्र समन्विते।
मृत्यु गेहे सिंहिकापुत्र भ्रातके रात्रिनाथ:,
दिवानाथ व्ययगेहे कर्मगेहे तस्य नन्दन:॥
लग्नाधीश: कर्म गेहे नीच भावे स्थित:,
कुटुम्ब गेहे हरण: सर्व सम्पदा:॥"
अर्थात- धनु लगन मे जन्म है मंगल लगन मे है,बुध व्यय भाव मे है शुक्र साथ मे है,राहु अष्टम मे है,छोटे भाई बहिन के घर मे चन्द्रमा है,सूर्य व्यय भाव मे है शनि कर्म स्थान मे है,लगनेश नीच भाव मे है और केतु सम्पत्ति और कुटुम्ब का नाश करने के लिये दूसरे भाव मे विराजमान है.
इस कुंडली मे जो ग्रह इस भाव को अपने अधिकार मे ले रहे है वे इस प्रकार से है:-
मंगल- लगन को अपने प्रभाव मे स्थिति से ले रहा है,चौथे भाव को अपनी चौथी नजर से कन्ट्रोल कर रहा है सप्तम भाव को अपना बल दे रहा है,अष्टम के राहु को अपने द्वारा कन्ट्रोल कर रहा है.
अर्थ- मंगल इस कुंडली मे पंचम और बारहवे भाव का मालिक है.यह जब लगन मे स्थापित हो गया तो पांचवे भाव और बारहवे भाव का असर जातक के शरीर पर डालता है,पांचवा भाव शिक्षा का भी माना जाता है और जल्दी से धन कमाने के लिये भी माना जाता है,शरीर मे यह पेट और संतान का कारक है,बारहवा भाव खर्चे का जाना जाता है,जातक को जल्दी से धन कमाने के गूढ अर्थ पता है वह जितना कमाता है उतना ही खर्च करने के लिये भी माना जाता है.जातक के रहने वाले स्थान को गुरु शनि राहु केतु देख रहे है,शनि धन का भी मालिक है और अपने द्वारा लिखने पढने और कार्य करने का भी मालिक है गुरु लगन का भी मालिक है और चौथे घर का भी मालिक है,जातक को गुरु शनि मिलकर अपना कार्य करने के लिये अपना बल दे रहे है,कार्य भी नौकरी करने और धन आदि के प्रति तकनीकी कार्य करने वाला बल प्रदान कर रहे है,लेकिन धन भाव का केतु जातक के साधनो के लिये और कार्य को जमाने वाले कारको के लिये बजाय धन देने के खर्च करवाने के लिये अपना प्रभाव दे रहा है,इधर राहु अष्टम भाव से जमीनी पानी जैसे डीजल पैट्रोल गैस आदि के मामले मे अपना काम बहुत आगे बढाने के लिये अपने प्रयास कर रहा है,अगर इसे दूसरे रूप मे देखा जाये तो वाहन चलाने और वाहन को कमीशन से चलाने का कार्य भी कहा जा सकता है.इस कारण को जातक का जल्दी से धन कमाने का कारण और खर्च करने की आदत से कर्जा होना भी माना जाता है.जातक का सूर्य जो भाग्य का मालिक है व्यय भाव मे है जातक को आंखो की परेशानी मानी जा सकती है पिता का कोई सहारा नही माना जा सकता है,बुध जो सप्तम और कार्य का मालिक है वह भी व्यय भाव मे है इस कारण से जातक के साझेदार या बोल कर किये जाने वाले काम साथ मे जीवन साथी वाले मामले मे भी बेकार का खर्च किया जाना माना जा सकता है,शुक्र जो लाभ और नौकरी के मालिक है बारहवे भाव मे है वह भी बुध और सूर्य के साथ होने से तथा तकनीकी राशि मे होने से जातक के प्रति सहायता से दूर है.
"दया दानेषु निरत्ता स्वास्थ्य चिन्ता यदा कदा,
एकत्रिंश: समायेते संहिता श्रुति गोचरा।"
पिछले समय मे राहु के मंगल पर गोचर करने के बाद लोगो पर दया करने से और बेकार मे अपने धन को दूसरो पर खर्च करने से धनहीन हो गया है और अपनी उम्र की इकत्तीसवी साल मे यह कथन सुन रहा है.
अपने कर्ज घरेलू दिक्कत को दूर करने के लिये कादम्बरी मंजरी का जाप चार लाख की संख्या मे करवाने से तथा दशांश का हवन करवाने से धन परिवार विदेश वास और परिवार की उन्नति सम्भव है.
"धनु लग्नोदयो जन्म तस्ये भूमि नन्दन,
चन्द्र पुत्र व्ययगेहे भृगु पुत्र समन्विते।
मृत्यु गेहे सिंहिकापुत्र भ्रातके रात्रिनाथ:,
दिवानाथ व्ययगेहे कर्मगेहे तस्य नन्दन:॥
लग्नाधीश: कर्म गेहे नीच भावे स्थित:,
कुटुम्ब गेहे हरण: सर्व सम्पदा:॥"
अर्थात- धनु लगन मे जन्म है मंगल लगन मे है,बुध व्यय भाव मे है शुक्र साथ मे है,राहु अष्टम मे है,छोटे भाई बहिन के घर मे चन्द्रमा है,सूर्य व्यय भाव मे है शनि कर्म स्थान मे है,लगनेश नीच भाव मे है और केतु सम्पत्ति और कुटुम्ब का नाश करने के लिये दूसरे भाव मे विराजमान है.
इस कुंडली मे जो ग्रह इस भाव को अपने अधिकार मे ले रहे है वे इस प्रकार से है:-
मंगल- लगन को अपने प्रभाव मे स्थिति से ले रहा है,चौथे भाव को अपनी चौथी नजर से कन्ट्रोल कर रहा है सप्तम भाव को अपना बल दे रहा है,अष्टम के राहु को अपने द्वारा कन्ट्रोल कर रहा है.
अर्थ- मंगल इस कुंडली मे पंचम और बारहवे भाव का मालिक है.यह जब लगन मे स्थापित हो गया तो पांचवे भाव और बारहवे भाव का असर जातक के शरीर पर डालता है,पांचवा भाव शिक्षा का भी माना जाता है और जल्दी से धन कमाने के लिये भी माना जाता है,शरीर मे यह पेट और संतान का कारक है,बारहवा भाव खर्चे का जाना जाता है,जातक को जल्दी से धन कमाने के गूढ अर्थ पता है वह जितना कमाता है उतना ही खर्च करने के लिये भी माना जाता है.जातक के रहने वाले स्थान को गुरु शनि राहु केतु देख रहे है,शनि धन का भी मालिक है और अपने द्वारा लिखने पढने और कार्य करने का भी मालिक है गुरु लगन का भी मालिक है और चौथे घर का भी मालिक है,जातक को गुरु शनि मिलकर अपना कार्य करने के लिये अपना बल दे रहे है,कार्य भी नौकरी करने और धन आदि के प्रति तकनीकी कार्य करने वाला बल प्रदान कर रहे है,लेकिन धन भाव का केतु जातक के साधनो के लिये और कार्य को जमाने वाले कारको के लिये बजाय धन देने के खर्च करवाने के लिये अपना प्रभाव दे रहा है,इधर राहु अष्टम भाव से जमीनी पानी जैसे डीजल पैट्रोल गैस आदि के मामले मे अपना काम बहुत आगे बढाने के लिये अपने प्रयास कर रहा है,अगर इसे दूसरे रूप मे देखा जाये तो वाहन चलाने और वाहन को कमीशन से चलाने का कार्य भी कहा जा सकता है.इस कारण को जातक का जल्दी से धन कमाने का कारण और खर्च करने की आदत से कर्जा होना भी माना जाता है.जातक का सूर्य जो भाग्य का मालिक है व्यय भाव मे है जातक को आंखो की परेशानी मानी जा सकती है पिता का कोई सहारा नही माना जा सकता है,बुध जो सप्तम और कार्य का मालिक है वह भी व्यय भाव मे है इस कारण से जातक के साझेदार या बोल कर किये जाने वाले काम साथ मे जीवन साथी वाले मामले मे भी बेकार का खर्च किया जाना माना जा सकता है,शुक्र जो लाभ और नौकरी के मालिक है बारहवे भाव मे है वह भी बुध और सूर्य के साथ होने से तथा तकनीकी राशि मे होने से जातक के प्रति सहायता से दूर है.
"दया दानेषु निरत्ता स्वास्थ्य चिन्ता यदा कदा,
एकत्रिंश: समायेते संहिता श्रुति गोचरा।"
पिछले समय मे राहु के मंगल पर गोचर करने के बाद लोगो पर दया करने से और बेकार मे अपने धन को दूसरो पर खर्च करने से धनहीन हो गया है और अपनी उम्र की इकत्तीसवी साल मे यह कथन सुन रहा है.
अपने कर्ज घरेलू दिक्कत को दूर करने के लिये कादम्बरी मंजरी का जाप चार लाख की संख्या मे करवाने से तथा दशांश का हवन करवाने से धन परिवार विदेश वास और परिवार की उन्नति सम्भव है.
guru ji mera time of birth 04:15 am "10.07.1978" hai mai maine bahut paresani maine hun plz help me.
ReplyDelete