यह सवाल हरियाणा के एक सज्जन ने भेजा है,लेकिन सवाल भेजे जाने के पहले इन सज्जन ने अपने कैरियर के बारे में सवाल किया है पर कैरियर की स्पेलिंग भी सही नहीं लिखी है.इनकी कुंडली सिंह लगन की है और सिंह ही राशी है स्वामी सूर्य नवे भाव में विराजमान है जो राहू के साथ है.इस कुंडली में राहू सूर्य चन्द्र की युति समानांतर में मानी जाती है और राहू जब मेष राशि का होकर सूर्य के साथ बैठ जाता है तो वह पिता और दादा की बड़ी हैसियत का कारक माना जा सकता है.राहू सिंह राशि के चन्द्रमा को जब अपनी युति देता है तो वक्ती का जीवन राजनीति के क्षेत्र से या राज्य से जुड़ जाता है वह पिता के द्वारा भी माना जाता है और दादा के रूप में भी माना जाता है तीसरे भाव में केतु के होने से दो लोग हमेशा साथ चलने वाले होते है और जातक दूसरे नंबर का लड़का भी होता है,तुला का केतु इस बात का द्योतक है.मेष का केतु पहले नंबर के लडके एक लिए सूचित करता है तो तुला का केतु दूसरे नंबर के लडके के लिए सूचित करता है.जातक के चौथे भाव में शनि वक्री है इस शनि का स्थान मंगल की राशि वृश्चिक राशि में होने के कारण तथा शनि के वक्री होने के कारण जातक के अन्दर गूढ़ विद्याओं का होना भी माना जाता है जो जनता के भाव में होने से जनता के लिए दिमागी रूप से किये जाने वाले कार्यों की तरफ इशारा भी करता है.वैसे जातक ने जो नाम लिखा है वह कन्या राशि का है लेकिन यह नाम जातक का सत्य नहीं है,कारण कुंडली से जातक की राशि सिंह है और राहू के द्वारा देखे जाने पर जातक की राशि धनु मानी जाती है.जातक के द्वारा समाज सोसाइटी के लिए कुछ करना और जातक के द्वारा ज्योतिष तंत्र मन्त्र और इसी प्रकार की विद्याओं की तरफ जाना भी इसी राहू और सूर्य के द्वारा माना जाता है शनि वक्री के द्वारा जातक को मेहनत से किये जाने वाले कामो में सफलता की तरफ जाना नहीं मिलता है उसके अन्दर चालाकी की मात्रा अधिक देने के लिए सूर्य राहू और चौथे भाव का वक्री शनि है जो अपनी बुद्धि को जनता के अन्दर चलाने के बाद तथा शनि वक्री के द्वारा अपनी पूरी दसम दृष्टि से सिंह राशि के चन्द्रमा को देने के बाद जनता को शिक्षा के नाम से शनि की चालाकी से अपने कार्यों को विश्व में फैलाने का काम भी किया जाता है जैसे की साइबर जगत में जाकर अपने द्वारा कोइ नाम चुनकर दूसरो की मेहनत को चालाकी से प्राप्त करने के बाद उसका फ़ायदा लेने का काम भी माना जाता है.अक्सर नवे भाव के राहू को नीच की उपाधि जाती है इसी राहू का प्रभाव है की जातक नीच कुल में पैदा होने के बाद अपने पिता और दादा से ऊंचे क्षेत्र में जाने का प्रयास करता है लेकिन अधिक चालाकी के कारण वह अपने द्वारा किये जाने वाले कार्यों से किसी न किसी प्रकार से फंस कर कानूनी या सामाजिक दिक्कत को भी सहन करता है,वक्री शनि का स्थान चौथे भाव में होने से तथा इस शनि का अष्टम और द्वादस भाव से नवम पंचम योग होने के कारण राहू शनि का षडाष्टक योग होने से जातक के द्वारा क़ानून से अलग रहकर काम करने से अथवा किसी व्यवसाय को उस प्रकार से करने से जो क़ानून के द्वारा प्रतिबंधित हो या अपने व्यवसाय में उस काम को लेकर करने से जो लोकहित में दिक्कत देने वाला है के कारण जेल जाने या कानूनी रूप से उलझाने वाले कारणों को खुद के द्वारा ही पैदा कर लेता है.नीच का गुरु छठे भाव में है और कार्य भाव में वृष का मंगल भी है जो जातक को गलत तरीके से दूसरो की कार्य विद्या को अथवा गलत तरीके से बैंक आदि के द्वारा लों आदि लेकर अथवा सरकारी धन का गलत तरीके से प्रयोग करने के कला में भी प्रवीण होता है.
वर्त्तमान में राहू का गोचर जन्म के वक्री शनि के साथ है तथा धन भाव में शनि का भी गोचर चल रहा है,इसलिए भी जातक के सामने जो पहले काम किया गया है या जो कारण अपने लिए पहले से ही पैदा किये गए है वे किसी न किसी प्रकार से उन्हें साफ़ करने के लिए माने जा सकते है.राहू का ध्यान सीधा ही शनि की ताकत को लेकर जन्म के शुक्र बुध पर जो अष्टम स्थान में विराजमान है के प्रति गलत धारणा से भी माना जा सकता है जो कमन्यूकेशन मीडिया या विदेशी लोगो के साथ किसी प्रकार की ठगी जाल साजी के लिए भी माना जा सकता है.और यह कारण भी जातक के लिए बड़ी मुसीबत में डालने वाला माना जा सकता है.सबसे खतरनाक समय जातक के लिए कार्यों के मामले में आने वाले नवम्बर के बाद से माना जा सकता है.
जातक अपनी बुद्धि के इस प्रयोग अगर सही रूप से प्रदर्शित करना चाहता है तो उसे उन व्यापारों की तरफ जाना चाहिए जो विज्ञापन के क्षेत्र की तरफ जाते हो जिनसे यात्रा वाले कारण बनाते है जैसे टूर आदि की बुकिंग करना वाहनों को चलवाना या कमीशन से कार्य करना,बाहरी लोगो के लिए सुविधा वाले कार्य करना यात्रा के कारणों की बुकिंग आदि से आय प्राप्त करना तथा मकान फ्लेट आदि की बुकिंग करना किराए से मकान दूकान आदि लोगो को दिलवाना यह सब कार्य जातक कानूनी रूप से कर सकता है तो यह राहू शनि का योग आराम से निकाला जा सकता है.इसके साथ ही अगर जातक कृषि संबंधी कारणों में जाना चाहे तो जातक खेती में काम आने वाली खाद उन्नत किस्म के बीज आदि की कमीशन से बिक्री आदि भी कर सकता है.
वर्त्तमान में राहू का गोचर जन्म के वक्री शनि के साथ है तथा धन भाव में शनि का भी गोचर चल रहा है,इसलिए भी जातक के सामने जो पहले काम किया गया है या जो कारण अपने लिए पहले से ही पैदा किये गए है वे किसी न किसी प्रकार से उन्हें साफ़ करने के लिए माने जा सकते है.राहू का ध्यान सीधा ही शनि की ताकत को लेकर जन्म के शुक्र बुध पर जो अष्टम स्थान में विराजमान है के प्रति गलत धारणा से भी माना जा सकता है जो कमन्यूकेशन मीडिया या विदेशी लोगो के साथ किसी प्रकार की ठगी जाल साजी के लिए भी माना जा सकता है.और यह कारण भी जातक के लिए बड़ी मुसीबत में डालने वाला माना जा सकता है.सबसे खतरनाक समय जातक के लिए कार्यों के मामले में आने वाले नवम्बर के बाद से माना जा सकता है.
जातक अपनी बुद्धि के इस प्रयोग अगर सही रूप से प्रदर्शित करना चाहता है तो उसे उन व्यापारों की तरफ जाना चाहिए जो विज्ञापन के क्षेत्र की तरफ जाते हो जिनसे यात्रा वाले कारण बनाते है जैसे टूर आदि की बुकिंग करना वाहनों को चलवाना या कमीशन से कार्य करना,बाहरी लोगो के लिए सुविधा वाले कार्य करना यात्रा के कारणों की बुकिंग आदि से आय प्राप्त करना तथा मकान फ्लेट आदि की बुकिंग करना किराए से मकान दूकान आदि लोगो को दिलवाना यह सब कार्य जातक कानूनी रूप से कर सकता है तो यह राहू शनि का योग आराम से निकाला जा सकता है.इसके साथ ही अगर जातक कृषि संबंधी कारणों में जाना चाहे तो जातक खेती में काम आने वाली खाद उन्नत किस्म के बीज आदि की कमीशन से बिक्री आदि भी कर सकता है.
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