प्रस्तुत कुंडली तुला लगन की है और लगनेश शुक्र केतु के साथ बारहवे भाव में है.राशि सिंह है तथा सप्तमेश द्वितीयेश वक्री होकर तीसरे भाव में है,तृतीयेश और षष्ठेश गुरु पंचम में विराजमान है और वक्री है.लाभेश सूर्य कार्य भाव में है,भाग्येश और व्ययेश बुध सूर्य के साथ कार्य भाव में है,सुखेश तथा पंचमेश शनि द्वितीय भाव में विराजमान है.अपने परिवार के लोग गुप चुप रूप से ग्रहों के प्रभाव से कुछ ऐसा कर लेते है की वे अपने को परिवार से दूर करने और हमेशा के लिए परिवार से रिश्ता समाप्त कर बहुत दूर चले जाते है.प्रस्तुत कुंडली में कुछ ऐसा ही देखने को मिलता है,वैश्य कुल में उत्पन्न यह जातिका अपनी मर्जी से बिना अपने परिवार को बताये शादी भी कर बैठी है और अपने परिवार में रहकर भी अपने परिवार वालो को नहीं बता पायी है की उसने शादी कर ली है.कुंडली में शनि राहू सूर्य बुध की आपसी युति है.पिता का कारक सूर्य शनि और राहू के घेरे में है,शनि जो माता के घर का भी मालिक है और शिक्षा तथा अफेयर का भी मालिक है वृश्चिक राशि का होकर कुटुंब के भाव में विराजमान है.वृश्चिक राशि को गुप्त कार्यों की राशि बताया जाता है मैथुन तथा जननेंद्रिय के साथ समाज विरोधी कार्यों का कारक भी बताया गया है.तुला लगन वालो के लिए यह राशि धन और कुटुंब भाव में आने से अक्सर तुला लगन वालो के लिए यह राशि कुछ अनोखा ही करने के लिए उकसाती है.शनि सुख का कारक भी है और शनि अफेयर का कारक भी है,जातिका गुप्त रूप से अफेयर भी करती रही और काम सुख के लिए अपने गुप्त भी रखे रही,गुरु जो शिक्षा के स्थान में है और वक्री है वह अपने को प्रदर्शन के लिए आधुनिकता के रूप में अपने बल को प्रकट कर रहा है,गुरु के आगे राहू जिसे शनि और सूर्य के साथ भाग्य और बाहरी दुनिया का कारक बुध का बल मिला हुआ है,उसकी आड़ में जातिका को अपने ही घर के लोग नहीं समझ पाए है.इस जातिका ने जो किया वह समाज के हिसाब से निंदनीय है लेकिन उसने अपनी संतुष्टि के लिए जिन माता पिता ने पाला पोशा बड़ा किया शिक्षा दीक्षा के लिए अपनी पूरी सहायता की उन्ही के लिए क्या जातिका ने धोखा देकर उनके आत्मीय सम्मान को नहीं ठुकराया है? यह सब सितारों के कारण हुआ है इस कारण में जातिका को या समाज को या उसके द्वारा किये गए कार्य को निंदनीय बताया जाए तो क्या यह उचित होगा? अगर सितारों के कारण हुआ है तो समाज की मर्यादा को क़ानून को किस प्रकार से देखा जाएगा? माता या पिता के लिए दोष देना की उन्होंने अपनी संतान की परवाह नहीं की होगी,उन्होंने अपनी संतान के ऊपर नजर नहीं रखी होगी,यह भी कहना गलत है,कारण जब शनि जो कुटुंब भाव में बैठा है,तो जातक की माता के कारण जातक का पिता अपने कुटुंब से दूर जाकर बैठ गया है,कुटुंब की निगाह में वह अपने पैदा होने वाले स्थान से बहुत दूर चला गया है,पिता के अष्टम में वक्री गुरु होने से पिता के लिए यह आधुनिकता का जामा कहा जाएगा.वह खुद ही स्वार्थी व्यक्ति कहा जा सकता है,सूर्य जब कर्क राशि का है बुध का साथ है शनि राहू का बल मिला हुआ है तो पिता का ध्यान संपत्ति और अहम् पर अधिक माना जाएगा,उसे अपने परिवार के बारे में कुछ पता ही नहीं है कारण उसने धन और कार्यों का चश्मा पहिना हुआ है.जब वह इस चश्मा को उतारता तो उसे ध्यान आता की उसकी लड़की जवान हो गयी है या उसकी लड़की किस संगती में कैसे रह रही है वह कालेज जा रही है या कार्य करने का बहाना बनाकर या कार्यों के लिए टूर पर जाने की बताकर कही और जा रही है.फिर आगे सवाल आयेगा की माता को पुत्री पर ध्यान रखना चाहिए था,माता का कारक शनि वृश्चिक राशि में बैठा है,उसकी पंचम दृष्टि पिता के कारक सूर्य पर है और सूर्य भी बुध के साथ विराजमान है,बुध से अष्टम में गुरु वक्री है,पिता के जीवन में भी एक स्त्री है,जिसके कारण माता का ध्यान पिता की निगरानी और घर के क्लेश के लिए माना जा सकता है,माता के कारक शनि का वृश्चिक राशि में होने के कारण माता का आस्तित्व ही परिवार में नहीं है,साथ ही पिता के द्वारा उसके धन भाव में चन्द्र के होने से दूसरी स्त्रियों का परिवार में दखल भी माना जा सकता है.बच्चे जब अपने पिता और माता को ही गलत रूप से देखते है तो उनके अन्दर वही धारणा बनाती है की जब माँ पिता का कुछ नहीं कर पायी तो उनके लिए भी क्या होगा.राहू वर्त्तमान में शनि पर गोचर कर रहा है पिछले समय में वह सप्तमेश पर गोचर करने के बाद आया है,इस कारण से जातिका के लिए यह एक बुरा अनुभव देकर आया है,जातिका को पिछले सितम्बर से लेकर मई के महीने तक इस राहू ने एक नशा दिया था जिस नशे के कारण जातिका को कोइ परिवार समाज रिश्ता घर आदि नहीं दिखाई दिया.अब जब यह नशा परिवार में किसी अनहोनी के बाद अथवा पिता के द्वारा अपने परिवार में इस राहू के प्रभाव के कारण कुछ दिखाई दिया तो उसने अपने कर्तव्य की तरफ देखना शुरू किया है,लेकिन अब देर हो चुकी है,आने वाले इकत्तीस दिसंबर के पहले जातिका कुछ नहीं कहेगी और परिवार वाले अगर उसकी शादी कर देते है वह शादी भी चुपचाप कर लेगी,शादी करने के बाद जातिका मंगल वक्री का बल लेकर किसी न किसी बहाने से जिससे शादी की है उसे कानूनी रूप से त्याग देगी और जिससे उसने अपनी मर्जी से शादी की है उससे ही जनवरी दो हजार तेरह के बाद राहू के द्वारा लगन में गोचर करने और वक्री गुरु वक्री मंगल दोनों से युति लेने के कारण शादी करने के बाद समाज दूर पश्चिम दिशा में चली जायेगी,इस प्रकार से जातिका का अपने कुटुंब और समाज से दूर हो जाना भी माना जा सकता है,मंगल वक्री होने के कारण खुद के पति का आगे चलकर पौरुष नहीं होने पर जातिका का रुझान किसी अन्य पुरुष पर चला जाएगा इस प्रकार से जातिका समाज में स्वेच्छाचारी के रूप में समझी और देखी जायेगी.
पडित जी मे भी एक लडकी से शादी करना चाहता हु करनी चाहिए या नही
ReplyDeleteलडकी का जन्म 12/2/1992
जन्म समय 20:30 रात्रि (साय काल)
जन्म स्थान शाहपुरा जिला (भीलवाडा राज.)
लडके का जन्म 18/11/1989
जन्म स्थान गुलाबपुरा जिला (भीलवाडा राज. )
जन्म समय 7:15 सुबह( प्रात:काल) मुझे पुरा विवेचन भी बताए
गुरु मंगल की युति है अपने खुद के परिवार से ही जूझना पड सकता है लडकी के परिवार वाले तो बुद्धि और समाज के स्थान से अपने को दूर रखने की कोशिश करेंगे जबकि आपके परिवार वाले तो सीधे से ही आक्रमक होकर आपके विरोध मे आजायेंगे और वह स्थिति काफ़ी खतरनाक भी हो सकती है और समाज से दूर होने की बात भी हो सकती है.
Delete