Sunday, October 16, 2011

कन्या राशि मे ग्यारहवा राहु और सरकारी नौकरी का भूत

धनु लगन और दसवे भाव मे लगनेश गुरु का चन्द्र शनि से योगात्मक मिलान तथा दूसरे भाव का केतु अष्ट्म भाव मे राहु शुक्र छठे भाव मे मंगल की उपस्थिति सप्तम मे बुध और सूर्य का होना,सरकारी नौकरी के लिये लगातार प्रयास को करने का कारण नही माना जा सकता है,लेकिन लगन और लगनेश की शक्ति को देखने की अधिक मान्यता और अन्य लगने जैसे चन्द्र लगन और सूर्य लगन का विस्तृत होना बहुत ही जरूरी है। धनु लगन पर ध्यान देने से लगन खाली है और सम्मुख यानी दूसरे भाव मे केतु है.यह केतु बजाय कार्य को देने के कार्य के लिये खर्च करना और भागने दौडने से अधिक नही माना जा सकता है,जैसे मकर का केतु इस लगन के लिये माना जायेगा और मकर के केतु का सीधा सम्बन्ध अष्टम के राहु और शुक्र से बन जायेगा,इस सम्बन्ध के बनने के कारण राहु का प्रभाव जातक को लगातार यात्रा करना और नौकरी के भागना इन्टरव्यू देना और जब कोई कारण नौकरी का बने तो राहु की गलत नीति के कारण अचानक रुकावट देना तथा छठे भाव के मंगल के द्वारा नौकरी के लिये रिस्वत आदि की मांग होना जातक के धनेश शनि होने के कारण तथा शनि का लगन से दसवे भाव मे होना कठिन मेहनत करने के बाद जीवन की गति को सुधारने के लिये तो जाना जा सकता है लेकिन रिस्वत देने के मामले मे नही जाना जा सकता है। इसके साथ ही शनि का योग जब गुरु और चन्द्र से मिल जाये तो कार्य के लिये लगातार बदलने वाला मन भी कहा जा सकता है,जैसे कार्य के लिये कोई प्रयास कभी सफ़ल भी हो लेकिन शनि चन्द्र की युति से कार्य के लिये मन का बदल जाना और शनि केतु का नवम पंचम योग होने से भटकाव का शुरु हो जाना,यानी इस विभाग मे नही तो अन्य विभाग के लिये दूसरे शिक्षाओ से प्राप्त करने का कारण करने लग जाना भी माना जाता है। इसी प्रकार से जब चन्द्र लगन को देखा जाये और चन्द्र लगनेश जब चन्द्रमा से दसवे भाव मे बुध के रूप मे है और सूर्य साथ है तो जातक के अन्दर यह भावना तो भरेगा ही कि उसे सरकारी नौकरी करनी है,सूर्य लगन से भी अगर सूर्य लगनेश को देखा जाये तो भी बुध के सूर्य के साथ होने से सरकारी नौकरी का प्रयास करना ही माना जा सकता है।

हमने उपरोक्त कारणो मे देखा कि लगन के लगनेश भी बुध की राशि मे विराजमान है,चन्द्र लगन के मालिक भी बुध है और सूर्य लगन के मालिक भी बुध है,लेकिन बुध सूर्य और मंगल के बीच मे होने से पापकर्तरी योग मे भी माने जाते है,इस पाप कर्तरी योग का प्रभाव यह है कि बुध से बारहवे भाव मे मंगल है जो धन की राशि मे है और मंगल का प्रभाव है कि वह बुध के लिये यानी सरकारी नौकरी के लिये पहले खर्च करे फ़िर नौकरी के लिये आगे सूर्य के होने से नौकरी को प्राप्त करे। सरकारी नौकरी के मालिक सूर्य के आगे राहु शुक्र के होने से जातक का ध्यान उन्ही क्षेत्रो मे जायेगा जो वाहन या पेट्रोल डीजल गैस आदि से सम्बन्ध रखते हो इसके साथ ही जब राहु का साथ शुक्र के साथ हो जाता है तो जातक के अन्दरूनी दिमाग मे एक बात जरूर समा जाती है कि जो भी नौकरी करनी है वह इस प्रकार की होनी चाहिये जो चमक दमक से पूर्ण हो और जहां पर अधिक धन का आना गुप्त रूप से हो,यह प्रभाव ही रिस्वत आदि के लिये भी माना जा सकता है। यह प्रभाव किसी अन्य ग्रह की युति से भी गोचर के समय से सम्भव माना जाता है,साथ ही लालकिताब के अनुसार अगर जातक राहु और चन्द्र के प्रभाव से अगर रिस्वत लेने वाला बनता है और मंगल आकर छठे भाव मे बैठ जाता है तो जातक के द्वारा जो भी रिस्वत ली जाती है वह किसी प्रकार से पकडी नही जाती है। राहु शुक्र का यह योग वाहन और सडक आदि से मिलने वाले टेक्स के रूप मे भी जाना जा सकता है और आर टी ओ जैसी नौकरी के लिये भी माना जा सकता है। इसके अलावा भी यह कार्य शनि के दसवे भाव मे होने से और गुरु शनि की आपसी युति होने से भी यह कार्य अक्सर धन वाले सरकारी क्षेत्रो के लिये भी माना जा सकता है।

इस प्रकार की युति से जातक को उम्र की तेतीसवी साल की आखिरी मे एक महिने पहले इसी प्रकार की नौकरी लग जाती है,जल्दी सफ़लता के लिये जातक को लगनेश पंचमेश और भाग्येश रत्नो या उपरत्नो का पेंडल पहिनना चाहिये.जैसे धनु लगन के लिये पुखराज,पंचम भाव के लिये मूंगा और नवम भाव के मालिक के लिये रूबी बहुत जल्दी जातक को फ़ायदा करेगा,इस कुंडली मे लगन पंचम और नवम भाव खाली है।

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