जब हम सड़क से जा रहे हो और कोइ व्यक्ति रास्ते में मरा मिले तो उसकी पहिचान नहीं मिलने पर मरने वाले व्यक्ति के लिए अन्तं क्रिया आदि में स्वजन शामिल भी नहीं हो पाते है और पुलिस आदि अपने अपने कार्यों को खोज बीन के आधार पर करने के बाद कुछ पता नहीं मिलने पर लावारिस हालत में अंत क्रिया को कर देती है.यह कुंडली आज दिनांक १२/१०/२०११ के दिन के ११ बजकर १२ मिनट की है,एक टेलीफोन आता है की एक व्यक्ति का मृत शरीर सड़क के किनारे पडा है,उसकी लाश क्षत विक्षत अवस्था में सड़क के किनारे पडी है मरने वाले का सर अलग है और जानवर उसके मुहं को खा गए है.सर के अलग होने से जनता को भ्रम है की मृत व्यक्ति की ह्त्या की गयी है,उसका एक्सीडेंट नहीं हुया है.सबसे पहले लगन को देखते है,लगन वृश्चिक है राहू लगन में विराजमान है,शनि केतु चन्द्र मंगल ग्रह लगन को देख रहे है.लगनेश मंगल से व्यक्ति के बारे में पता कर सकते है,कारण शरीर से सम्बंधित कारण लगन से देखे जाते है तथा जो वस्तुए निर्जीव होती है और धन संपत्ति से सम्बन्ध रखती है उन्हें दूसरे भाव से देखा जाता है.लगनेश के नवे भाव में होने से और राहू चन्द्र केतु शनि के द्वारा सम्बन्ध रखने के कारण पहले महत्व लगनेश के कार्य से परखा जाएगा,लगनेश के दसवे भाव में गुरु वक्री है,जातक गुरु से सम्बंधित स्थान में कार्य करता है,यानी व्यक्ति किसी शिक्षा संस्थान से सम्बन्ध रखने वाले स्थान पर कार्य करता है,लगनेश से दसवे भाव में लगन से छठी राशि मेष आती है और मेष राशि का कारक भी मंगल है,व्यक्ति का कार्य शरीर रूप में लोगो के प्रति माना जाएगा,इस राशि से केतु का दूसरे भाव में होना कार्य स्थान के प्रति माना जाएगा की जातक जहां काम करता है वहां पर लड़किया है,यानी जब स्थान शिक्षा संस्थान से सम्बन्ध रखता है और गुरु के वक्री होने से माना जा सकता है की वह शिक्षा स्थान भी नहीं है तो माना जाएगा की वह स्थान लड़कियों के निवास का है,मृतक क्या कार्य करता है उसके लिए लगनेश की दृष्टि को देखना पडेगा,नवे भाव का मंगल अपनी चौथी दृष्टि से बारहवे भाव में विराजमान शुक्र बुध को देख रहा है,बारहवा भाव बाहर जाने का रास्ता है,और मंगल के द्वारा चौथी दृष्टि से देखने का मतलब है कि मृतक उस शिक्षा संस्थान के लिए लड़कियों के निवास स्थान के बाहर जाने के रास्ते में कंट्रोल करने यानी सुरक्षा के कार्यों को करता है.
मृतक के कार्यों को जानने के बाद यह पता करना भी जरूरी है कि वह शिक्षा संस्थान किस संस्था या किस व्यक्ति के द्वारा चलाया जा रहा है,लगन से पंचम भाव में चन्द्रमा विराजमान है,जो शिक्षा से सम्बन्ध रखता है,चन्द्रमा की सप्तम दृष्टि लाभ भाव में विराजमान सूर्य और शनि पर है.शनि अपनी तीसरी दृष्टि से लगन में विराजमान राहू पंचम में चन्द्रमा और अष्टम भाव को देख रहा है,उलटा चलने पर अष्टम को जमीन के नीचे की चीजो खनिज आदि के लिए जाना जाता है,बुध की राशि होने के कारण तथा वक्री गुरु के द्वारा देखे जाने पर अस्थाई रूप से निकाले जाने वाले खनिजो के लिए इसे पहिचाना जाएगा,इस भाव का मालिक बुध लगन से बारहवे भाव में शुक्र के साथ है,यानी वह खनिज सुन्दर और कलात्मक रूप से सजाकर व्यवसाय के रूप में बाहर भेजा जाता है.राहू चन्द्र मंगल की युति की युति को एक ऐसे कैमिकल से जोड़ कर देखा जाएगा जो तरल होने पर पानी के रूप में अपने अन्दर काटने की शक्ति रखता है,चन्द्रमा से सफ़ेद मंगल से पका हुआ और राहू से जमीन के अन्दर की धुल के रूप में भी देखा जाएगा,इसके रंग को देखने के लिए चन्द्रमा से सफ़ेद मंगल से लाल और राहू से राख के रूप में भी समझा जाएगा,इसका दुबारा से निर्माण करने पर कलातमक और सजावटी रूप में व्यापारिक रूप से प्रयोग करने और समझाने के लिए भी माना जाएगा.राहू से राख मंगल से पकाकर चन्द्रमा से सफ़ेद रंग का बनाना चूना के रूप में तथा शुक्र और बुध के रूप से उसे और अधिक कलात्मक बनाने के बाद सफ़ेद सीमेंट के रूप में भी जाना जाएगा.यानी यह संस्थान सफ़ेद सीमेंट की फैक्टरी का माना जाएगा.लेकिन कौन सी सफ़ेद सीमेंट की फैक्टरी हो सकता है कि एक स्थान पर कई फेक्टरी हो,तो इस बात के लिए माना जाएगा कि मंगल का स्थान राहू की युति में होने से दक्षिण-पूर्व दिशा को प्रदर्शित करता है,इसके साथ ही और अधिक पहिचान करने के लिए चौथा भाव जो यात्रा का भाव है उसके चौथे यानी सप्तम में केतु के वृष राशि में होने से रेलवे लाइन के लिए भी माना जाएगा जो सूर्य और शनि से युति रखता है,यानी दक्षिण-पूर्व से उत्तर-पश्चिम को जाने वाली रेलवे लाइन के दक्षिण में यह संस्थान है.संस्थान का जो गेट है वह राहू के रूप में देखे जाने पर और वृश्चिक राशि की दिशा दक्षिण-पश्चिम होने के कारण संस्थान का गेट दक्षिण-पश्चिम में है.संस्थान के बारे और अधिक गहराई में जाने से उस गेट के किनारों पर खूबसूरती से बनाया गया कोइ स्मारक और सजावटी पेड़ पौधे भी है.इस प्रकार से मृत व्यक्ति के कार्य स्थान का पता लगता है.
मृत व्यक्ति की मृत्यु का कारण जानना ही इस कुंडली का उद्देश्य है,इस कारण को जानने के लिए लगनेश से अष्टम स्थान यानी मृत्यु के स्थान को देखते है.यह स्थान चौथे भाव के रूप में है यानी यात्रा से सम्बन्धित है,जो सड़क के रूप में है,मृत्यु का कारण इस भाव के स्वामी शनि के द्वारा देखा जाएगा,शनि ग्यारहवे भाव में है और सूर्य के साथ है,साथ ही शनि का स्थान कन्या राशि में ही,शनि कन्या राशि में किराए का रूप ले लेता है,सूर्य से वह वाहन सरकारी धन से किराए के रूप में लिया गया है,शनि की नजर राहू पर जाने से वह वाहन कचरा जैसी मिट्टी जो इस फैक्टरी के काम आती है को लाने ले जाने का काम करता है,राहू के सप्तम में केतु के होने से जो वाहन को चला रहा था वह दो की संख्या में थे,केतु के सामने राहू होने से वाहन को चलाने वाले किसी प्रकार के नशे में थे,केतु से तीसरे भाव में मंगल के नीच राशि में होने से वे मृत व्यक्ति को अपने दाहिने हिस्से से टकराने के बाद गए है.वाहन की गति तेज होने से वाहन के साइड में किसी लोहे की एंगिल आदि का सिरा मृत व्यक्ति के गर्दन को काट कर गया है.जोर से धक्का लगाने के बाद मृत व्यक्ति सड़क के किनारे दूर जाकर राहू यानी झाड़ियो में गिरा है.केतु यानी कुत्तो ने जिनकी संख्या दो मानी जा सकती है ने मृत व्यक्ति के मुहं को खाया है.
और अधिक जानने के लिए मृत व्यक्ति के व्यक्तिगत जीवन के बारे में भी जानना जरूरी है,मृत व्यक्ति मगल से सम्बन्धित है यानी राजपूत जाती से है,लगन से तीसरे भाव में सूर्य शनि के होने से और कन्या राशि का शनि सूर्य होने से वह अपने बड़े भाई के साथ केतु चन्द्र और राहू की युति यानी लेबर कालोनी में निवास करता है,मृत व्यक्ति के घर में सम्प्तामेश शुक्र और अष्टमेश बुध यानी मृत व्यक्ति की साली एक ही घर में है.मृत व्यक्ति के केवल कन्या संतान का होना ही माना जा सकता है,बड़ी लड़की के बाद एक पुत्र पैदा हुया होगा जो पैदा होने के कुछ समय बाद ही गुजर गया होगा.
Namashkar acharya ji
ReplyDeleteaapke articles to gyan ka bhandar hai. jinhe pad kar mujhe mere bahut se prashno ka uttar sahaj hi mil jata hai
dhanywad
बहुत अच्छा है.
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