भूत वर्तमान भविष्य इन तीन के द्वारा ही संसार की अकथनीय कहानी मिलती है। सूर्य भूत मे भी है वर्तमान मे भी है और भविष्य में भी है,भूत मे अपने पिता के लिये वर्तमान मे खुद के लिये और भविष्य में पुत्र के लिये अपनी मान्यता को सूचित करता है। सूर्य लगन से इन तीनो का विश्लेषण किया जा सकता है।
चन्द्रमा के द्वारा मानसिक सोच के लिये भी इसी तरह से और माता के लिये भी इसी प्रकार का रूप देखने को मिलता है,भूतकाल मे चन्द्रमा दादी के लिये वर्तमान मे माता के लिये और भविष्य में बडी पुत्री के मान्यता को माना जाता है इसी बात को चन्द्र लगन से खोजा जा सकता है।
लगन से व्यक्ति के शरीर का रूप नवम से पिछले जन्म का लगन से इस जन्म का और पंचम से अगले जन्म का मानना भी शास्त्रों में बताया गया है। लेकिन सूर्य से शरीर का प्रकार और चन्द्रमा से मन की सोच को भी कारण बनाकर कर प्रस्तुत किया गया है।
इसी प्रकार से मंगल के बारे मे बताया गया है कितना मूल्य मंगल के नवम भाव से खून का मिलता है कितने प्रकार के गुण उस खून के अन्दर विद्यमान थे और कितना पराक्रमी खून भूतकाल में था,जहां मंगल विद्यमान है वह मंगल के वर्तमान के खून के बारे मे प्रदर्शित करता है,मंगल से पंचम में देखने पर पता लगता है कि वह भविष्य में आने वाली संतान के प्रति कितना बलवान होगा या उसके अन्दर समय से कितना परिवर्तन हो जायेगा।
बुध से भी जातक के प्रकाट्य रूप को समझा जा सकता है,वह पिछले जन्म मे कितना बलशाली था उसकी कितनी मान्यता थी कितनी जान पहिचान थी वर्तमान के बुध के लिये जहां बुध स्थापित है उससे देखा जाता है कि जातक कितनी शक्ति से अपने को अपनी जान पहिचान मे ले जा सकता है और बुध से पंचम से जाना जा सकता है कि आगे जातक की संतान कितनी शक्ति से अपने को संसार मे अपने को प्रचारित करेगा। बुध के कारक है बहिन बुआ बेटी.
गुरु जो जीव का कारक है आने जाने वाली सांसो को कन्ट्रोल करने वाला है जीव को संसार में प्रकट करने के बाद प्रकृति उससे क्या कार्य करवाना चाहती है,गुरु से नवे भाव से पता किया जाता है कि गुरु ने पिछले जीवन को किस माहौल और किस प्रकार के ज्ञान मे रहकर अपने जीवन को बिताया है,गुरु से पंचम में जाने के बाद पता लगता है कि जातक का अगला जीवन किस प्रकार के माहौल मे और किस प्रकार के ज्ञान से अपने को आच्छादित करेगा।
शुक्र धन सम्पत्ति मान मर्यादा और कलयुग मे गुरु की जगह पर शुक्र को जानने तथा शुक्र की मान्यता होने से पिछले समय में जातक का शुक्र किस प्रकार के प्रभाव को देने वाला था और वर्तमान मे शुक्र की मान्यता क्या है तथा आगे के जीवन मे शुक्र किस प्रकार से अपनी मान्यता को देगा।
शनि जो कार्य और कठिनाइयों के मामले मे जाना जाता है के प्रति भी शनि के स्थान से नवे भाव मे देखने से पता किया जा सकता है कि पिछले जीवन मे जातक ने कितनी कठिनाइयों को प्राप्त किया है और आगे के जीवन मे जातक को कितनी कठिनाइयां प्राप्त होनी है इसके लिये शनि से पंचम स्थान को देखा और समझा जाता है।
इसी प्रकार के कारण को राहु और केतु से भी देखा समझा जा सकता है। साथ ही यह भी समझने वाली बात है कि भूत काल को पिछले जीवन से भी देखा जा सकता है तो पिछली मिनट मे भी देखना जरूरी होता है,उसी प्रकार से वर्तमान को अभी से भी देखा जा सकता है और घडी की सुई अगर एक मिनट आगे बढ गयी है तो वर्तमान को वहीं से भी देखना शुरु करना पडेगा तो भविष्य के लिये अगले जन्म को भी देखा जा सकता है तो अगले मिनट को भी भविष्य को देखना और समझना पड सकता है।
लगन पंचम नवम भाव को सुधारने के लिये कुंडली के अनुसार अगर लगन पंचम नवम के रत्न पेन्डल मे गले मे पहिनने से राहु अपनी किसी भी युति को ग्रहो के बलशाली होने से दिमागी कारण को बदलने मे सफ़ल नही हो पाता है। जैसे सिंह धनु और मेष राशि वाले या लगन वाले रूबी पुखराज मूंगा तीनो रत्नो का पेंडल अपने गले मे पहिन कर बुरे ग्रहो के असर को दूर करने मे समर्थ रहते है,अक्सर लोग अपने मन मे धारणा यह लगाने लगते है कि उपरत्न कम शक्ति देते है लेकिन हमने अपने जीवन मे यह देखा है कि उपरत्न उसी प्रकार से कार्य करते है जैसे कि वास्तविक रत्न काम करते है। रत्न का रूप पत्थर है,अगर मारबल की मूर्ति को श्रद्धा से अभिमन्त्रित करने के बाद उसके अन्दर देवी शक्ति को प्राप्त करने के लिये स्थापित किया जा सकता है तो मिट्टी की मूर्ति को भी श्रद्धा से स्थापित करने के बाद उसी शक्ति को प्राप्त किया जाता है,बिना अभिमन्त्रित किये मारबल की मूर्ति भी केवल सजा हुआ रूप है तो मिट्टी की बनी हुयी मूर्ति भी दिखाने के लिये मानी जा सकती है। ग्रहो के प्रभाव को उत्तम बनाने के लिये उस ग्रह के योग मे अगर रत्न को शोधित कर लिया जाये तो रत्न या उपरत्न बहुत अच्छा कार्य कर सकता है। इस बात को मैने खुद के द्वारा ग्रह के योगो मे कितने ही उपरत्नो के पेन्डल रामेश्वरम जैसे स्थान मे या गोहाटी में नवग्रह मन्दिर मे या सुचिन्द्रम के नवग्रह मन्दिर मे जाकर अभिमन्त्रित किया और लोगों को पहिनने को दीं,किसी ने भी कोई शिकायत आज तक नही की है,अगर रत्नो को लेकर स्वर्ण धातु मे किसी पेंडल को बनाया जाता है तो आज की महंगाई के चलते जिन्हे वास्तविक जरूरत है वे रत्न या उपरत्न को धारण नही कर पाते है इसलिये पंचधातु में रत्नो को या उपरत्न को योग मे जडवा कर शोधित कर लिया जाये तो वह पेन्डल अच्छा काम करता है। एक पेंडल की कीमत मय शोधन के लगभग इकत्तीस सौ रुपया पड जाती है।
तुला कुम्भ और मिथुन वृष कन्या मकर लगन वालो के लिये भी उपरत्न का पेंडल बनाया जाता है,इसके अन्दर काकानीली बुध का उपरत्न और जिरकान शुक्र बुध शनि की मिक्स युति को कायम रखने के लिये उपयोग मे लाया जाता है,इसकी कीमत भी इकत्तीस सौ के लगभग पडती है भेजने का खर्चा अलग से देना होता है। सुचिन्द्रम से शोधित पेन्डल कुछ अभी भी मेरे पास है इच्छुक लोग अपनी अपनी सुविधा से मंगा सकते है। अधिक जानकारी करने के लिये ईमेल astrobhadauria@gmail.com पर लिख सकते है.
कर्क वृश्चिक मीन राशि या लगन वालो के लिये मूंगा मोती और पुखराज भी उपरत्नो के रूप मे जातको को पहिनाये जाते है इन्हे भी पंचधातु मे बनाया जाता है। मंगाने के लिये सज्जन ईमेल astrobhadauria@gmail.com पर अपनी जिज्ञासा से अपनी अपनी सुविधा से मंगा सकते है।
चन्द्रमा के द्वारा मानसिक सोच के लिये भी इसी तरह से और माता के लिये भी इसी प्रकार का रूप देखने को मिलता है,भूतकाल मे चन्द्रमा दादी के लिये वर्तमान मे माता के लिये और भविष्य में बडी पुत्री के मान्यता को माना जाता है इसी बात को चन्द्र लगन से खोजा जा सकता है।
लगन से व्यक्ति के शरीर का रूप नवम से पिछले जन्म का लगन से इस जन्म का और पंचम से अगले जन्म का मानना भी शास्त्रों में बताया गया है। लेकिन सूर्य से शरीर का प्रकार और चन्द्रमा से मन की सोच को भी कारण बनाकर कर प्रस्तुत किया गया है।
इसी प्रकार से मंगल के बारे मे बताया गया है कितना मूल्य मंगल के नवम भाव से खून का मिलता है कितने प्रकार के गुण उस खून के अन्दर विद्यमान थे और कितना पराक्रमी खून भूतकाल में था,जहां मंगल विद्यमान है वह मंगल के वर्तमान के खून के बारे मे प्रदर्शित करता है,मंगल से पंचम में देखने पर पता लगता है कि वह भविष्य में आने वाली संतान के प्रति कितना बलवान होगा या उसके अन्दर समय से कितना परिवर्तन हो जायेगा।
बुध से भी जातक के प्रकाट्य रूप को समझा जा सकता है,वह पिछले जन्म मे कितना बलशाली था उसकी कितनी मान्यता थी कितनी जान पहिचान थी वर्तमान के बुध के लिये जहां बुध स्थापित है उससे देखा जाता है कि जातक कितनी शक्ति से अपने को अपनी जान पहिचान मे ले जा सकता है और बुध से पंचम से जाना जा सकता है कि आगे जातक की संतान कितनी शक्ति से अपने को संसार मे अपने को प्रचारित करेगा। बुध के कारक है बहिन बुआ बेटी.
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शनि जो कार्य और कठिनाइयों के मामले मे जाना जाता है के प्रति भी शनि के स्थान से नवे भाव मे देखने से पता किया जा सकता है कि पिछले जीवन मे जातक ने कितनी कठिनाइयों को प्राप्त किया है और आगे के जीवन मे जातक को कितनी कठिनाइयां प्राप्त होनी है इसके लिये शनि से पंचम स्थान को देखा और समझा जाता है।
इसी प्रकार के कारण को राहु और केतु से भी देखा समझा जा सकता है। साथ ही यह भी समझने वाली बात है कि भूत काल को पिछले जीवन से भी देखा जा सकता है तो पिछली मिनट मे भी देखना जरूरी होता है,उसी प्रकार से वर्तमान को अभी से भी देखा जा सकता है और घडी की सुई अगर एक मिनट आगे बढ गयी है तो वर्तमान को वहीं से भी देखना शुरु करना पडेगा तो भविष्य के लिये अगले जन्म को भी देखा जा सकता है तो अगले मिनट को भी भविष्य को देखना और समझना पड सकता है।
लगन पंचम नवम भाव को सुधारने के लिये कुंडली के अनुसार अगर लगन पंचम नवम के रत्न पेन्डल मे गले मे पहिनने से राहु अपनी किसी भी युति को ग्रहो के बलशाली होने से दिमागी कारण को बदलने मे सफ़ल नही हो पाता है। जैसे सिंह धनु और मेष राशि वाले या लगन वाले रूबी पुखराज मूंगा तीनो रत्नो का पेंडल अपने गले मे पहिन कर बुरे ग्रहो के असर को दूर करने मे समर्थ रहते है,अक्सर लोग अपने मन मे धारणा यह लगाने लगते है कि उपरत्न कम शक्ति देते है लेकिन हमने अपने जीवन मे यह देखा है कि उपरत्न उसी प्रकार से कार्य करते है जैसे कि वास्तविक रत्न काम करते है। रत्न का रूप पत्थर है,अगर मारबल की मूर्ति को श्रद्धा से अभिमन्त्रित करने के बाद उसके अन्दर देवी शक्ति को प्राप्त करने के लिये स्थापित किया जा सकता है तो मिट्टी की मूर्ति को भी श्रद्धा से स्थापित करने के बाद उसी शक्ति को प्राप्त किया जाता है,बिना अभिमन्त्रित किये मारबल की मूर्ति भी केवल सजा हुआ रूप है तो मिट्टी की बनी हुयी मूर्ति भी दिखाने के लिये मानी जा सकती है। ग्रहो के प्रभाव को उत्तम बनाने के लिये उस ग्रह के योग मे अगर रत्न को शोधित कर लिया जाये तो रत्न या उपरत्न बहुत अच्छा कार्य कर सकता है। इस बात को मैने खुद के द्वारा ग्रह के योगो मे कितने ही उपरत्नो के पेन्डल रामेश्वरम जैसे स्थान मे या गोहाटी में नवग्रह मन्दिर मे या सुचिन्द्रम के नवग्रह मन्दिर मे जाकर अभिमन्त्रित किया और लोगों को पहिनने को दीं,किसी ने भी कोई शिकायत आज तक नही की है,अगर रत्नो को लेकर स्वर्ण धातु मे किसी पेंडल को बनाया जाता है तो आज की महंगाई के चलते जिन्हे वास्तविक जरूरत है वे रत्न या उपरत्न को धारण नही कर पाते है इसलिये पंचधातु में रत्नो को या उपरत्न को योग मे जडवा कर शोधित कर लिया जाये तो वह पेन्डल अच्छा काम करता है। एक पेंडल की कीमत मय शोधन के लगभग इकत्तीस सौ रुपया पड जाती है।
तुला कुम्भ और मिथुन वृष कन्या मकर लगन वालो के लिये भी उपरत्न का पेंडल बनाया जाता है,इसके अन्दर काकानीली बुध का उपरत्न और जिरकान शुक्र बुध शनि की मिक्स युति को कायम रखने के लिये उपयोग मे लाया जाता है,इसकी कीमत भी इकत्तीस सौ के लगभग पडती है भेजने का खर्चा अलग से देना होता है। सुचिन्द्रम से शोधित पेन्डल कुछ अभी भी मेरे पास है इच्छुक लोग अपनी अपनी सुविधा से मंगा सकते है। अधिक जानकारी करने के लिये ईमेल astrobhadauria@gmail.com पर लिख सकते है.
कर्क वृश्चिक मीन राशि या लगन वालो के लिये मूंगा मोती और पुखराज भी उपरत्नो के रूप मे जातको को पहिनाये जाते है इन्हे भी पंचधातु मे बनाया जाता है। मंगाने के लिये सज्जन ईमेल astrobhadauria@gmail.com पर अपनी जिज्ञासा से अपनी अपनी सुविधा से मंगा सकते है।
santosh pusadkar आप ने जो बताया सही है. आप को धन्यवाद करता हू .शुक्र की महादशा १३ ऑक्ट २००९ सुरु हो गायी है.कन्या लग्न कुंडली है. केतू दिव्तीय मै , शनी तृतीय ,गुरु पंचम बुध शुक्र.चंद्र सप्तम मै , रवी राहू अष्टम मै. मंगल नअवं मै है कोनसा रतन पाहणा पडेगा . कृपया मागदर्शन करे.
ReplyDeleteसंतोष जी आपको शनि शुक्र और बुध का मिक्स पेंडेंट पहिनना चाहिये.
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ReplyDeletenice and effective one post
ReplyDeleteशुक्र की महादशा ko kaise dur kare
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