विदिशा मध्य प्रदेश के जातक का प्रश्न है की उसके जीवन खूब सारी टेंसन है,कुंडली के अनुसार लगन कन्या है और तीसरे भाव में मंगल राहू चौथे भाव में सूर्य बुध शुक्र छठे भाव में गुरु नवे भाव में केतु दसवे भाव में शनि वक्री और ग्यारहवे भाव में कर्क राशि का चन्द्रमा है.वैसे तो मंगल राहू को तकनीकी क्षेत्र में तरक्की करने वाला मानते है और किसी भी प्रकार की कमन्यूकेशन के क्षेत्र में जातक अच्छी तरक्की करता है,शिक्षा के क्षेत्र में भी जातक अच्छी शिक्षा जो तकनीकी होती है देना जानता है,डाक्टरी या जासूसी कार्यों में भी जातक निपुण होता है लेकिन जब तीसरे भाव का मंगल राहू से ग्रसित हो और चन्द्रमा भी घेरे में आता हो तो भावुक मन के अन्दर पता नहीं क्या क्या विचार पनपने लगते है.इसके अलावा भी जातक के पीछे जब पिता की प्रतिष्ठा और मर्यादा हो आगे धन और परिवार संबंधी कारण हो घर के अन्दर सदस्यों का दबाब हो तो भी टेंसन के कारण व्यक्ति का जीवन बहुत ही उत्तेजना में रहता है और इस प्रकार की प्रक्रिया से या तो जातक खुद बीमार हो जाता है या घर छोड़ कर दूसरी जगह पर जाकर अपना निवास करने लगता है.
यह युति अक्सर व्यक्ति को तांत्रिक क्रियाओं से ग्रस्त होने के लिए भी मानी जा सकती है,जैसे केतु का नवे भाव में होना और राहू मंगल का तीसरे भाव में होना.कन्या राशि वाले व्यक्ति कोमल स्वभाव के होते है और उनके तीसरे भाव में शमशानी राशि वृश्चिक आती है मंगल इस राशि का स्वामी है,लालकिताब के अनुसार भी यह भाव मंगल का पक्का घर है,इस घर में राहू के आने से शमशानी शक्तिया जातक पर हावी हो जाती है,परिणाम में जातक का स्वभाव झल्लाहट से पूर्ण हो जाता है,वह बात बात में चिल्लाने लगता है,जीभ का स्वभाव बदल जाता है जातक को आमिष भोजन के लिए जी ललचाने लगता है अधिक मिर्च मशाले उसे अच्छे लगाने लगते है,अक्सर ऐसे लोग किसी प्रकार से किसी ह्त्या तक कर सकते है,शमशानी कारण देखकर उन्हें एक प्रकार की संतुष्टि सी भी होती है,घर के बाहर जाने पर या किसी छोटी यात्रा में उनके साथ नुकसान भी होने लगते है,अगर जातक बढ़ा भाई है तो जातक की संतान पर भी बुरा प्रभाव पड़ने लगता है,जातक की पत्नी के प्रति भी स्वाभाव में परिवर्तन देखा जाता है माता को भी कोइ पेट संबंधी बीमारी यूट्रेस में दिक्कत का होना माना जाता है,माता के परिवार में भी अनहोनी घटनाए होने लगती है,रात को सोते समय मुहं सूख जाता है पेशाब के रास्ते में इन्फेक्सन होने लगता है,या मल के साथ खून आना शुरू हो जाता है,जातक के दाहिने कंधे पर कोइ निशाँ अपने आप बनाने लगता है और बिगड़ भी अपने आप जाता है आदि बाते इस प्रकार के प्रभाव के लिए देखी जाती है,यह प्रभाव जातक के लिए अक्सर रात को नींद भी पूरी नहीं होने के कारण भी माना जाता है उसे स्वप्न भी मरे हुए लोगो के या वीरान जगह पहाड़ आदि दिखाई देते है.
इस प्रकार के कारण और टेंसन को दूर करने का सबसे बढ़िया उपाय है की जातक को पूजा पाठ में अपने मन को लगा लेना चाहिए,जातक को किसी प्रकार की तामसी भोजन को भी नहीं लेना चाहिए,नींद वाली दवाईया भी त्याग देनी चाहिए,अगर जातक समर्थ है तो जातक को दक्षिण दिशा में समुद्र के किनारे के किसी शिव स्थान में जाकर समुद्र स्नान करने के बाद शिव के दर्शन करना चाहिए.अगर उसे श्रद्धा है तो राहू का तर्पण भी करना चाहिए तथा गुजरे हुए पूर्वजो के नाम से कोइ मजार यादगार आदि को बनवा देना चाहिए.
यह युति अक्सर व्यक्ति को तांत्रिक क्रियाओं से ग्रस्त होने के लिए भी मानी जा सकती है,जैसे केतु का नवे भाव में होना और राहू मंगल का तीसरे भाव में होना.कन्या राशि वाले व्यक्ति कोमल स्वभाव के होते है और उनके तीसरे भाव में शमशानी राशि वृश्चिक आती है मंगल इस राशि का स्वामी है,लालकिताब के अनुसार भी यह भाव मंगल का पक्का घर है,इस घर में राहू के आने से शमशानी शक्तिया जातक पर हावी हो जाती है,परिणाम में जातक का स्वभाव झल्लाहट से पूर्ण हो जाता है,वह बात बात में चिल्लाने लगता है,जीभ का स्वभाव बदल जाता है जातक को आमिष भोजन के लिए जी ललचाने लगता है अधिक मिर्च मशाले उसे अच्छे लगाने लगते है,अक्सर ऐसे लोग किसी प्रकार से किसी ह्त्या तक कर सकते है,शमशानी कारण देखकर उन्हें एक प्रकार की संतुष्टि सी भी होती है,घर के बाहर जाने पर या किसी छोटी यात्रा में उनके साथ नुकसान भी होने लगते है,अगर जातक बढ़ा भाई है तो जातक की संतान पर भी बुरा प्रभाव पड़ने लगता है,जातक की पत्नी के प्रति भी स्वाभाव में परिवर्तन देखा जाता है माता को भी कोइ पेट संबंधी बीमारी यूट्रेस में दिक्कत का होना माना जाता है,माता के परिवार में भी अनहोनी घटनाए होने लगती है,रात को सोते समय मुहं सूख जाता है पेशाब के रास्ते में इन्फेक्सन होने लगता है,या मल के साथ खून आना शुरू हो जाता है,जातक के दाहिने कंधे पर कोइ निशाँ अपने आप बनाने लगता है और बिगड़ भी अपने आप जाता है आदि बाते इस प्रकार के प्रभाव के लिए देखी जाती है,यह प्रभाव जातक के लिए अक्सर रात को नींद भी पूरी नहीं होने के कारण भी माना जाता है उसे स्वप्न भी मरे हुए लोगो के या वीरान जगह पहाड़ आदि दिखाई देते है.
इस प्रकार के कारण और टेंसन को दूर करने का सबसे बढ़िया उपाय है की जातक को पूजा पाठ में अपने मन को लगा लेना चाहिए,जातक को किसी प्रकार की तामसी भोजन को भी नहीं लेना चाहिए,नींद वाली दवाईया भी त्याग देनी चाहिए,अगर जातक समर्थ है तो जातक को दक्षिण दिशा में समुद्र के किनारे के किसी शिव स्थान में जाकर समुद्र स्नान करने के बाद शिव के दर्शन करना चाहिए.अगर उसे श्रद्धा है तो राहू का तर्पण भी करना चाहिए तथा गुजरे हुए पूर्वजो के नाम से कोइ मजार यादगार आदि को बनवा देना चाहिए.
thanks sir....
ReplyDeletepls tell us sir kya es trha ki problem se bachne ka koi or upaye bhi hai?
ReplyDeletemeri abhi mangle or rahoo ki yutti chl rhi hai
ReplyDeleteराहु मंगल की युति से अगर चिंता और खून मे उत्तेजना है तो इसके लिये बुध केतु का सहारा लिया जाता है जैसे दिमाग मे आने वाले विचारो को लिखते जाना दिमाग मे चलने वाले चित्रो को उकेरने के लिये चित्रकला का सहारा लेना अपने व्यवसाय को बढाने के लिये विज्ञापन का सहारा लेना खुद को बुद्धि वाले कामो मे लगाये रहना और गुस्सा तथा मानसिक अशांति के लिये शाम के समय कम से कम पन्द्रह मिनट के लिये मेडीटेसन का सहारा लेना.
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