मकर लगन की कुंडली है और लगनेश शनि का स्थान सप्तम में है,कुंडली में शनि वक्री है और वक्री शनि के लिए दिमागी कार्यों को करने का तथा चतुराई से अपने जीवन के क्षेत्र में बढ़ने का कारण जाना जा सकता है.शनि का स्थान कर्क राशि में होने के कारण जनता के काम पानी के काम चावल के काम वाहन के काम खेती बाडी से सम्बंधित क्षेत्रो के काम भवन और भूमि के निर्माण तथा प्रोग्रेस देने वाले काम जल से सम्बंधित क्षेत्र के काम आदि माने जाते है.गुरु केतु के चौथे भाव में होने के कारण जातक को एक वकील के सम्पूर्ण गुण ईश्वर की तरफ से मिले होते है और वह धर्म तथा अपने घर के संबंधो के प्रति हमेशा ही वफादार रहता है,किसी गुरु का जो उसे शिक्षा और धर्म के क्षेत्र में आगे बढाने वाले होते है का आशीर्वाद भी साथ चलने वाला होता है,माता के भाव में गुरु केतु के होने से जातक को माता की धार्मिकता ही जीवन में सर्वोच्च स्थान पर ले जाने वाली होती है.मंगल बुध का बारहवे भाव में होने से जातक को किसी भी कानूनी काम के विरुद्ध चलने पर किसी के भी प्रति गुस्सा का जल्दी आना माना जाता है और पारिवारिक कारणों में भी पिता के परिवार और ऊंची शिक्षा के क्षेत्र में रहने पर जातक का नरम गरम स्वभाव रहा होता है.राहू का कार्य भाव में होने पर जातक के अन्दर कार्य करने की असीम क्षमता को भी माना जाता है लेकिन जातक के सामने एक साथ कई प्रकार की बाते आने पर वह कभी कभी अपने कार्यों के प्रति उदासीन भी हो जाता है,राहू ही जातक को तरक्की देने के लिए माना जाता है.वर्त्तमान में राहू का स्थान कार्य के बाद मिलाने वाले फलो की राशि यानी ग्यारहवे भाव में है और इस प्रकार जातक के दिमाग में कनफ्यूजन पैदा हो रहा है की जातक के लिए उन्नति का कारण कैसे और कब होगा.अक्सर जीवन में उन्नित देने के लिए गुरु जब किसी भी खराब या अच्छे गृह से अपनी युति बना लेता है तो जातक को उन्नति का अवसर प्राप्त होने लगता है.गुरु का इस राहू से युति बनाने का समय पिछले समय में तो आ चुका है लेकिन आगे यह आने वाले मई के महीने में फिर से शुरू हो रहा है यह उन्नति लगातार उन्नति के लिए मानी जा सकती है.वैसे बुध में शुक्र की दशा लगने पर आने वाले समय में जमीन की खरीद या भवन की खरीद के लिए भी माना जा सकता है.
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