इस जातक की कुंडली मेष लगन की है और स्वामी मंगल है.मंगल का स्थान ग्यारहवे भाव में राहू के साथ है.सूर्य का स्थान धन स्थान में है बुध पराक्रम स्थान में है और पराक्रम में ही धन तथा सप्तम के स्वामी शुक्र वक्री होकर विराजमान है.केतु का स्थान पंचम में सिंह राशि का है चन्द्रमा अष्टम स्थान में वृश्चिक राशि में है इसलिए जातक की राशि वृश्चिक है.शनि नवे भाव में धनु राशि का वक्री है.
शुक्र जो सप्तम का स्वामी है और धन के मामले में भी अपनी युति को देता है यह बुध के साथ वक्री है,बुध स्वग्रही है और नवे भाव के शनि से वक्री रूप में किसी भी कार्य के लिए अधिकारों की प्राप्ति के लिए जल्दबाजी करने के लिए जाना जाता है,शनि का स्थान कार्य के रूप में भी है और कार्यों के बाद मिलाने वाले फलो के रूप में भी है. शनि का स्वभाव किसी भी कार्य को धीरे धीरे करना होता है और फलो को भी धीरे धीरे देने का होता है लेकिन गुरु के भाव में जाकर वक्री होने के कारण जो भी फल पराक्रम से मिलते है उनके लिए दिमाग के जल्दबाजी के कारण नहीं मिल पाते है.शुक्र भी शनि के घेरे में होने से जो भी कार्य और सम्पादन किया जता है वह अपने ही मन से अच्छा नहीं मानने के कारण उसे अपने ही द्वारा बरबाद कर दिया जाता है.भाग्य के स्वामी गुरु लगन में है इसलिए गुरु के प्रभाव से जो भी जीवन में उन्नति होती है वह शरीर के रूप में संबंधो के रूप में तो अच्छी मानी जाती है लेकिन जो भी जीवन साथी नौकरी रोजाना के कार्यो और लोगो से सलाह लेने की आदत से भी अलग अलग सलाह लेने के कारण भी दिक्कत का सामना करना पड़ता है.
राहू मंगल के एक साथ कार्य के बाद मिलाने वाले फलो के स्थान में होने के कारण भी खून के अन्दर उत्तेजना का होना माना जाता है,राहू मंगल के साथ होने से खुद का अकेला होना भी माना जाता है और दो बहिनों का एक साथ होना या एक बहिन का रिश्ता टूट कर वापस घर में आकर बैठ जाना या जीवन साथी के रूप में सामाजिक या अदालाती मामले चलना भी एक दिमागी सामजस्य नहीं बैठने का कारण माना जा सकता है.
वर्त्तमानमें शनि का गोचर आने वाले नवम्बर के महीने तक गुरु से छठे भाव में है और इस गोचर के कारण शनि का लगातार दिक्कत देने का कारण भी माना जाता है जैसे रोजाना के कामो का बाधित होना और पेट संबंधी बीमारियों का होना अथवा पिता के खानदान के द्वारा कोइ अदालती या बंटवारे का कारण पैदा करना अथवा माता के द्वारा किसी प्रकार की आशंका का पैदा होना और घर के माहौल में दिक्कत का होना माना जा सकाता है.
उपायों के लिए जातक को अपने माता के साथ किसी धर्म स्थान में जाकर पूर्वजो के प्रति श्राद्ध या तर्पण करना चाहिए साथ ही माता का कहना माना जाना भी ठीक रहेगा गले में चांदी की चैन या मोती की माला पहिनने से भी लाभ मिल सकता है गुरु का आने वाले इकत्तीस दिसंबर तक वक्री होना भी जल्दबाजी के कारण कार्यों का खराब होना माना जा सकता है.
Naukri nhi hai August se
ReplyDeleteInterviews bhi badiya hoten hain par last me kaam atak jata hai
Varun Sharma
Dob 27.04.1987
Delhi
Time 02:45am